-महिला के अकाउंट से साइबर ठगों ने वर्ष 2016 में निकाले थे 10 हजार रुपए

-थाने से लेकर अधिकारियों के लगाते रही चक्कर, नहीं हुई सुनवाई

BAREILLY: साइबर ठगी को लेकर पुलिस का गैर जिम्मेदाराना रवैया लगातार जारी है। पहले तो पीडि़त को ही ठगी के लिए जिम्मेदार बताकर थाने से वापस कर दिया जाता है और जब वह अधिकारियों के पास पहुंचता है तो वहां भी उसे चक्कर ही लगाने पड़ते हैं। कोतवाली के छीपी टोला निवासी महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ। महिला का पति एडवोकेट है, लेकिन उसे भी एक-दो दिन नहीं बल्कि दो वर्ष तक एफआईआर दर्ज कराने के लिए चक्कर लगाने पड़े। उसने एसएसपी कलानिधि नैथानी के सामने शिकायत की तो एसएसपी के आदेश पर संडे रात किला पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। अब देखना है कि पुलिस साइबर ठगों को पकड़ती है या फिर अन्य मामलों की तरह इस केस की भी फाइल चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगाकर बंद कर दी जाएगी।

अक्टूबर 2016 में हुइर् थी ठगी

किला के छीपी टोला निवासी नासिरउद्दीन खां एडवोकेट हैं। उनकी पत्नी आरिफा बेगम का आईसीआईसीआई बैंक में सेविंग अकाउंट था। आरिफा के अकाउंट से 11 अक्टूबर 2016 को 10 हजार रुपए निकाल लिए गए। जब उन्हें इस बारे में पता चला तो बैंक में जाकर पूछताछ की, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। कई बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद उन्होंने पुलिस से शिकायत की, लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। एसएचओ, सीओ, एसपी से लेकर एसएसपी के ऑफिसेस में जाकर अप्लीकेशन दी लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। अधिकारियों के आदेश पर मामला साइबर सेल में ट्रांसफर किया गया लेकिन यहां भी जांच लंबे समय से पेंडिंग रही। न तो उनके रुपए वापस मिले और न ही साइबर ठगों का कोई सुराग लग सका। उनके अकाउंट से तीन बार ऑनलाइन ट्रांसफर कर रुपए निकाले गए थे। ठगों ने उन्हें फोन कर उनके अकाउंट की डिटेल मांगी थी।

ऐसे ही दौड़ाते हैं पीडि़त को

साइबर ठगी के मामले में नासिरउद्दीन अकेले ऐसे पीडि़त नहीं हैं, जिन्हें थानों और अधिकारियों के ऑफिस के चक्कर लगाने पड़े। ऐसे कई लोग हैं जिनके साथ ऐसा हो रहा है। लोग साइबर ठगों के झांसे में आकर अपने अकाउंट से जुड़ी डिटेल दे देते हैं। उसके बाद जब रकम निकल जाती है तो वह बैंक दौड़ते हैं तो यहां बिना सहयोग करे, पुलिस में शिकायत करने की सलाह दे दी जाती है। उसके बाद जब वह थाने पहुंचता है तो कहा जाता है कि इतने सारे मामले हो रहे हैं, तो भी अपनी जानकारी क्यों दे दी। अब पैसे वापस नहीं मिलेंगे, एफआईआर दर्ज कराने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। साइबर सेल में जाकर शिकायत करो। जब वह अधिकारियों के यहां जाता है तो केस साइबर सेल ट्रांसफर होता है। उसके बाद भी एफआईआर होगी या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं हाेती है।

ऐसे बचें साइबर ठगी से

-बैंक के नाम से आने वाले किसी भी फोन को इंटरटेन न करें

-बैंक कभी भी अपने कस्टमर को फोन कर जानकारी नहीं लेती है

-अपने अकाउंट के बारे में कोई भी जानकारी फोन पर न दें

-एटीएम कार्ड पर लिखी कोई भी डिजिट किसी से न शेयर करें

-एटीएम का पिन कोड भी किसी को न बताएं

-अपना एटीएम कार्ड हमेशा गोपनीय रखें

-एटीएम के अंदर भी मदद लें लेकिन कोड छिपाकर ही डालें

-एटीएम कार्ड भी किसी भी रुपए निकालने के लिए न दें