कानपुर। जमीन घोटाले में एक बार फिर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम सामने आया है। कल शनिवार को इन दोनों के खिलाफ नूंह के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर धोखाधड़ी का मामला खेड़कीदौला थाने में दर्ज किया गया है। इनके साथ ही रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ एवं ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है।

इस पर जल्द कार्रवाई हो सकती है
वहीं आज इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज रविवार को मीडिया से बात करते हुए इशारा किया कि इस पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट्राचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है। इसमें दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई होगी। जमीन घोटला में पहले भी कई मामले दर्ज हुए हैं। एक नागरिक ने बहादुरी दिखाते हुए राबर्ट वाड्रा एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर एफआईआर दर्ज कराई है।
 
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घोटाले के वक्त हुड्डा की सरकार थी

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रॉबर्ट वाड्रा और मामले में शामिल दूसरे लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120B, 467, 468 और 471 के तहत दर्ज की गई है।शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कुछ अधिकारियों द्वारा बड़े नेताओं व खास लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी। वहीं मामले में आरोपी रॉबर्ट वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद हैं, जिस वक्त यह घोटाला हुआ उस वक्त भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी।

सौदा साढ़े सात करोड़ रुपये में हुआ था
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गांव शिकोहपुर में लक्ष्य बिल्टेक नामक कंपनी के पास 15 बीघा छह बिसवा जमीन थी। इसे ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज ने  जून, 2006 को खरीदी थी। इसमें से पांच बीघा 13 बिसवा जमीन राबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटिलिटी ने फरवरी, 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीद ली थी। यह सौदा साढ़े सात करोड़ रुपये में किया गया था। सौदे के दौरान जिस चेक का जिक्र किया गया था, वह खाते में जमा ही नहीं हुआ।

डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेची

इसके अलावा स्काईलाइट की तरफ से स्टांप डयूटी के जो रुपये सरकार के खाते में जमा करने थे, वह भी नहीं हुआ। वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से कॉमर्शियल लाइसेंस हासिल कर पूरी जमीन सितंबर 2012 को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दी गई। यह राशि सीधे स्काईलाइट के खाते में जमा हुई। इसी सौदे के बाद डीएलएफ को वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन तत्कालीन सरकार ने अलॉट कर दी थी।

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