PATNA : पूरे देश में भद पिटने के बाद समाज कल्याण विभाग अब जागा है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट काफी पहले आ गई थी लेकिन अब समाज कल्याण विभाग की कार्रवाई हुई है। विभाग ने 10 शेल्टर होम के एनजीओ संचालकों से काम छीनकर उनके खिलाफ केस दर्ज कराया है।

17 का काम असंतोषजनक

टिस ने रिपोर्ट में सूबे के 17 शेल्टर होम को चिह्नित किया था। जहां मानवाधिकार के उल्लंधन के गंभीर मामले पाए गए थे। रिपोर्ट में संचालकों द्वारा महिलाओं, युवतियों और बच्चों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार के बारे में स्पष्ट ब्योरा दिया गया है। विभाग के सामाजिक सुरक्षा निदेशालय ने पटना के कौशल कुटीर और अल्पावास गृह को बंद कर दिया है। वहां के भिक्षुकों एवं संवासिनों को विभाग के नियंत्रण में संचालित शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया है।

जांच में खुल चुकी है पोल

निदेशालय ने कौशल कुटीर द्वारा प्रशिक्षित युवक के बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने की शिकायत की जांच की थी लेकिन वह सत्यापित नहीं हुआ। अधीक्षक पर प्रताड़ना के आरोप के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराया। निदेशालय ने मुजफ्फरपुर के सेवा कुटीर व विकास समिति में मारपीट की शिकायत पर संचालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। यहां के बच्चों को पटना में शिफ्ट कर दिया गया है। मोतिहारी के शेल्टर होम में बच्चों की पिटाई के मामले में सभी एनजीओ से काम छीन लिया गया है और संचालक पर केस दर्ज कराया गया है। वहां के सभी बच्चों को जिला बाल संरक्षण इकाई के नियंत्रण में दे दिया गया है। भागलपुर में द बॉयज चिल्ड्रेन होम के संचालक एनजीओ रुपम प्रगति समाज समिति के कर्मचारी पर बच्चों के साथ मारपीट के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। शेल्टर होम को विभाग ने टेकओवर कर लिया है। मुंगेर की संस्था पनाह के संचालक पर केस दर्ज कराकर उसके बच्चों को विभाग के शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया गया है।