-सीएनडीएस ने शुरू किया फायर अलार्म लगाने का काम

-आग बुझाने के लिए टैंक अब तक बनना शुरू नहीं

LUCKNOW:

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ट्रॉमा सेंटर के अग्निकांड के बाद अब अलार्म सिस्टम लगाने का काम शुरू हो गया है। गांधी वार्ड, न्यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, जनरल सर्जरी सहित कई इमारतों में अलार्म सिस्टम इसी हफ्ते में लगाए गए हैं, लेकिन इतने बड़े अग्निकांड के बावजूद अब तक आग बुझाने के उपायों पर काम शुरू नहीं किया जा सका है।

सीएनडीएस कर रही काम

केजीएमयू में पहले भी फायर हाइड्रेंट लगाने का काम सीएनडीएस ने किया था। ट्रॉमा अग्निकांड के बाद सीएनडीएस को ही फायर अलार्म सिस्टम लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके बाद केजीएमयू में काम शुरू भी हो गया है। हॉस्पिटल की पुरानी इमारतों में फायर अलार्म सिस्टम लगा भी दिए गए हैं। शनिवार को वीसी ऑफिस में फायर अलार्म सिस्टम लगा दिए गए। इसके अलावा फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, एनाटमी में भी फायर अलार्म लगाए जा रहे थे, लेकिन अभी तक आग बुझाने के लिए इंतजाम पर कोई काम शुरू नहीं किया गया।

12 करोड़ का प्रोजेक्ट

केजीएमयू में शताब्दी, बुद्धा हॉस्टल, ट्रॉमा और न्यू ओपीडी के अलावा कहीं भी पानी का टैंक तक नहीं है जिससे आग लगने पर उसे बुझाने के काम में लाया जा सके। पूरे कैंपस की अलग अलग इमारतों में फायर के उपकरण लगाने और पाइप लाइन के लिए 2012-13 में 12 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया था। इसके निर्माण का काम सीएनडीएस को दिया गया। तेजी से काम करते हुए पाइप लाइन भी बिछा दी गई, लेकिन सप्लाई के लिए टैंक नहीं बनाया गया। पता चला कि इस प्रोजेक्ट में कई इमारतों को शामिल नहीं किया गया था इसलिए दोबारा प्रोजेक्ट तैयार किया गया। जिसका रिवाइज्ड स्टीमेट भेजा गया था। इसके बाद बारी आई पानी का टैंक बनाने की। ताकि आग लगने पर उस पानी से आग लगने वाली जगहों पर पानी पाइप लाइन द्वारा पहुंचाया जा सके। इसके लिए वीआईपी गेस्ट हाउस के पास बहुत बड़ा गड्ढा खोद दिया गया, लेकिन शासन से आगे बजट ही नहीं आया और नतीजतन काम रोकना पड़ा।

इन बिल्डिंग्स में नहीं हैं इंतजाम

केजीएमयू की पुरानी बिल्डिंग के 16 से अधिक विभागों और प्रशासनिक कार्यालय, पैथोलॉजी, पीआरओ कार्यालय में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं है। नई इमारतों में आग बुझाने के फायर हाइड्रेंट लगे हैं। ट्रॉमा और शताब्दी में पाइप लाइन भी बिछी है। यह हाल तब है जब 100 साल पुरानी बिल्डिंग में वषरें पुरानी वायरिंग है। जिनमें आए दिन शार्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं।

इसके लिए जो भी बजट था वह खत्म हो गया है। यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट भी भेजा जा चुका है। आगे बजट मिलने पर ही टैंक बनाने का काम शुरू हो सकेगा।

राजेश कुमार राय, रजिस्ट्रार केजीएमयू