गर्मी में बढ़ने वाली आग की घटना पर अव्यवस्था पड़ेगी भारी

गांव से लेकर शहर तक अधिकांश तालाबों व कुओं में पानी नहीं

गत वर्ष की घटनाओं देखते हुए सहले लोग व फायर कर्मी

<गर्मी में बढ़ने वाली आग की घटना पर अव्यवस्था पड़ेगी भारी

गांव से लेकर शहर तक अधिकांश तालाबों व कुओं में पानी नहीं

गत वर्ष की घटनाओं देखते हुए सहले लोग व फायर कर्मी

PRATAPGARH (27 March): PRATAPGARH (27 March): गर्मी शुरू हो गई और जिले में आग बुझाने का प्रशासन कोई ठोस बंदोबस्त नहीं कर सका है। आब यानी पानी के अभाव में यदि आग लगी तो ऐसे हालात में सब कुछ जल कर राख होना तय है। पिछले वर्ष आग लगने की सैकड़ों घटनाएं और उससे करोड़ों की सम्पत्ति के नुकसान से भी अफसरों ने सबक लेना अब तक मुनासिब नहीं समझा। उपेक्षा और इसी तरह का गैरजिम्मेदाराना रवैया रहा तो आग लगने पर हालात का बेकाबू होना तय है।

पानी की बदइंतजामी

शहर हो या फिर गांव, हर जगह अधिकांश तालाबों में धूल उड़ रही है। तालाबों में पानी भरवाने के प्रशासनिक आदेश को वह धूल जिले में मुंह चिढ़ा रही है। कागजों पर भले ही सैकड़ों तालाब पानी से लबालब हों पर लोग इसकी हकीकत कुछ और ही बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिले के अधिकांश ताला सूखे हैं। कुओं की स्थिति भी ठीक नहीं है। गर्मी में लोगों की प्यास न बुझा पाने वाले हैंडपंप से आग जैसे घटना पर काबू पाना असंभव है। पानी की बदइंतजामी को देखते हुए लोग ही नहीं फायर ब्रिगेड के अफसर व कर्मी भी सकते हैं। फायर अफसर कहते हैं कि लोगों का सहयोग और सतर्कता ही ऐसी स्थिति में आग पर काबू पाने का एक बेहतर माध्यम है।

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पट्टी व रानीगंज में फायर यूनिट नहीं

कुंडा व सदर तहसील के फायर सर्विस स्टेशन में आग से लड़ने का पूरा इंतजाम है। मगर पानी का की व्यवस्था न के बराबर है। पट्टी व रानीगंज तहसील में आज तक फायर यूनिट की स्थापना ही नहीं हो सकी। आग लगने की सूचना पर मुख्यालय से कई किलो मीटर दूर उन तहसीलों में फायर कर्मियों को जाना पड़ता है। उनके पहुंचते तक आग सब कुछ जला कर राख कर चुकी होती है। पानी के अभाव में ग्रामीण भी आग बुझा पाने में असमर्थ ही रहते हैं।

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लापरवाही पचा गई 'फायर हाइडेंट'

शहर में जगह-जगह 'फायर हाइडेंट' बनाए गए थे। आग शहर में लगने वाली आग को बुझाने के लिए पानी के बेहतर इंतजाम थे। मुख्यालय पर सिर्फ चार फायर टैंकर हैं। जिसमें दो गाड़ी की क्षमता साढ़े चार हजार लीटर पानी व दो गाड़ी की क्षमता ढाई हजार लीटर पानी की हैं। मुख्यालय पर एक बोलेरो कैंपर पंप है, जो ओपेन पानी हैं। अग्निकांड होने पर पानी मुहैया कराने के लिए बनाए गए फायर हाइड्रेंट जमीन में दब चुके हैं। स्टेशन रोड तिराहा, कचहरी रोड, चौक और पंजाबी मार्केट, शहीद उद्यान पार्क सहित अन्य क्षेत्रों में इनको खुद अग्निशमन अधिकारी व कर्मचारी भी नहीं तलाश पा रहे हैं। यही हाल नगर क्षेत्र में लगे ट्यूबबेल का भी हैं। यहां पर लगभग दर्जन भर ट्यूबबेल हैं। लेकिन आउट फ्लेंच न लगने से पानी भरने में दिक्कत होती हैं। इसके चलते दमकल का पानी खत्म हो जाने के बाद दोबारा पानी लाने तक सबकुछ जल चुका होता है।

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गत वर्ष हुए नुकसान की देखें रिपोर्ट

-फायर स्टेशन को मिलीं कुल म्म्क् सूचनाएं।

-मौके पर अफसरों को म्भ्भ् सूचनाएं मिलीं सही।

-आग से क्9 करोड़ से भी ज्यादा की सम्पत्ति हुई राख।

-आग की घटनाओं में कुल क्म् लोगों की हुई मौत।

-फायर कर्मियां ने फ्8 लोग व म्फ् मवेशियां की बचाई जान।

-मुख्यालय पर साढ़े चार हजार लीटर के हैं दो टैंकर।

-ढाई हजार लीटर पानी की क्षमता वाले दो छोटे टैंकर भी हैं।

-एक बोलेरो कैंपर की भी है मुख्यालय पर व्यवस्था।

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आग से इस तरह करें बचाव

-घी, तेज व पेट्रोल की आग को मिट्टी या बालू से बुझाएं।

-आग लगते ही तुरंत किसी तरह फायर स्टेशन को सूचना दें।

-शार्ट सर्किट से आग लगने पर तत्काल मेन स्विच को बंद करें।

-कपड़ों में आग लगने पर भागने के बजाय कंबल लेट कर बुझाएं।

-आग से घिरने पर शोर मचाएं, छत से छलांग न लगाएं।

- बिस्तर पर लेट पर बीड़ी या सिगरेट न पिएं।

-खाना पकाने के बाद चूल्हे की राख में पानी अवश्य डाल दें।

-चूल्हे से बर्तन उतारने के लिए शरीर के कपड़ों का प्रयोग न करें।

-माचिस की डिब्बी व चिमनी, लालटेन को बच्चों से दूर रखें।

वर्जन

आग बुझाने में पानी की अव्यवस्था व स्टाफ की कमी काफी अखरती है। कुओं व तालाबों में भी पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। शहर में बने फायर हाइडेंट जमीन में दब गए हैं। ऐसे में टेंकरों में पानी के लिए विभाग को जूझना पड़ता है। लोग सतर्क रहें उनसे यही गुजारिश है।

अबुल अब्बास हुसैन, एफएसओ