जांच में 25 परसेंट फेल

सिटी में एक हजार से अधिक मल्टीस्टोरी रेजीडेंशियल, कॉमर्शियल व अन्य संवेदनशील बिल्डिंग्स हैं। इनमें से काफी संख्या में ऐसी बिल्डिंग हैं, जिनमें फायर फाइटिंग के प्रॉपर इंतजाम नहीं हैं। आग लगने पर इन बिल्डिंग्स में रहने वालों की जान को खतरा हो सकता है। चीफ फायर ऑफिसर की मानें तो अभी तक चेक की गई 300 से अधिक बिल्डिंग्स में 70-80 में तो फायर फाइटिंग के इंतजामों में लापरवाही पाई गई है। कहीं फायर एक्सटिंग्यूशर बेकार मिले तो कई जगह फायर ब्रिगेड की गाड़ी जाने और घूमकर निकलने की जगह पर एनक्रोचमेंट, डाउन कमर का लैंडिंग वॉल्व गायब मिला। कई बिल्डिंग्स में तो फायर फाइटिंग के इंतजाम न के बराबर है। जाहिर है अगर इन बिल्डिंग्स में आग लगी तो फायर ब्रिगेड के लिए आग बुझाना आसान नहीं होगा। जान-माल का भी काफी नुकसान हो सकता है।

नोटिस को जरा गौर से ‘नोटिस’ करें

बड़ी संख्या में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में फायर फाइटिंग के प्रॉपर इंतजाम नहीं है। जबकि लगभग साल फायर डिपार्टमेंट बिल्डिंग्स की चेकिंग और कमियां पाए जाने पर नोटिस जारी करने का दावा करती है। इन हालात में फायर डिपार्टमेंट की वर्किंग पर ही सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि बिल्डिंग के बनने से पहले उसका मैप पास होने का प्रोविजन, बिल्डिंग बन जाने पर फायर डिपार्टमेंट से फाइनल एनओसी लिए जाने का नियम है। यही नहीं इसके बाद हर साल एनओसी रिन्यूवल भी फायर डिपार्टमेंट से करानी होती है। इतने सब नियम होने पर भी बिल्डिंग्स में फायर फाइटिंग के इंतजामों में कमियां क्यों पाई जा रही हैं? क्या फायर डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स आंख बंद कर के एनओसी दे देते हैं और बाद में किसी फायदे की वजह से हर साल इन्हें नोटिस जारी की जाती है।

तो असली खेल ये है

फायर डिपार्टमेंट के सोर्सेज का कहना है कि जानबूझकर भी कमियां निकाली जाती हैं, जिससे कि लोग फायर फाइटिंग के सामान खरीदने में फायर डिपार्टमेंट की हेल्प लेने को मजबूर हो जाएं। ऐसे लोगों को पहले से सेट कम्पनी के फायर फाइटिंग के उपकरण खरीदवा दिए जाते है। हालांकि चीफ फायर ऑफिसर एसके सिंह इन आरोपों से इंकार करते हैं।

ऐसे में हम क्यों पीछे रहें

फायर फाइटिंग के इंतजामों में कमियां पाए जाने की नोटिस फायर डिपार्टमेंट ने बिल्डिंग की सोसाइटी को देने के साथ ही इसकी जानकारी केडीए और एसीएम को भी दी है। मामले की जानकारी पाकर अब केडीए ने भी ऐसी बिल्डिंग्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। केडीए अधिकारियों का कहना है कि ऐसी बिल्डिंग्स की फाइल खोल दी है। कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के लिए इन्हें नोटिस भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई है।  

"पूरी सिटी में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स में फायर फाइटिंग के प्रॉपर इंतजाम कराने के लिए ड्राइव चलाई जा रही है। अभी तक 306 बिल्डिंग्स चेक की जा चुकी है। जिन बिल्डिंग्स में फायर फाइटिंग के इंतजाम नहीं पाए गए या कमियां पाईं गई हैं। उन्हें नॉम्र्स के मुताबिक प्रॉपर इंतजाम कराने के लिए नोटिस भेजी जा रही है। करीब 80  बिल्डिंग्स को नोटिस भेजी जा चुकी है। "

एसके सिंह, चीफ फायर ऑफिसर

इसलिए दी गई नोटिस

-टेरेस पर फायर टैंक न होना

-टेरेस पम्प न लगा होना

-फायर अलार्म सिस्टम न लगा होना

- हौजरील न होना

-डाउन कमर पाइप न होना

-डाउन कमर से लैंडिंग वॉल्व गायब होना

-फायर एक्सटिंग्यूशर कम होना

-फ्लोर वाइज पब्लिक एड्रेस सिस्टम न होना

-सेटबैक के लिए छोड़ी जगहों पर कंस्ट्रक्शन करना

इन मोहल्लों में हैं बिल्डिंग

सिविल लाइन्स, स्वरूप नगर, तिलक नगर, एलनगंज, खलासी लाइन, आर्य नगर, विष्णुपुरी, पार्वती बांग्ला रोड, काकादेव, गोविन्द नगर, जाजमऊ, किदवई नगर आदि

यहां लग चुकी है आग

- सिटी सेंटर, मालरोड

-संगीता अपार्टमेंट, सिविल लाइन्स

- इन्द्रप्रस्थ अपार्टमेंट, गोविन्द नगर

-केन चेम्बर्स, सिविल लाइन्स

- लैंडमार्क होटल

-क्राइस्टचर्च हॉस्टल के बाहर स्थित बिल्डिंग

फायर सेफ्टी नॉम्र्स

-बिल्डिंग के अन्दर चारों तरफ फायर ब्रिगेड की गाड़ी जाने की जगह होनी चाहिए

-फायर के लिए अलग से कम से कम 25 हजार लीटर का ओवरहेड टैंक

-हर फ्लोर पर फ्लैट के मुताबिक फायर एक्सिटिंग्यूशर लगे होने चाहिए

-हर फ्लोर पर हौजरील होनी चाहिए

-4 इंच का डाउन कमर पाइप लैंडिंग वॉल्व के साथ

-20 से 50 हजार लीटर तक वाटर टैैंक कैम्पस में

-मैन्यु्रअली इलेक्ट्रिक फायर अलार्म

-बिल्डिंग में दो स्टेयर्स हों

-फायर डिपार्टमेंट से फाइनल एनओसी और हर साल रिन्यूवल होना जरूरी

-फायर मार्शल(फायर इक्विपमेंट चलाने में ट्रेंड गार्ड या अन्य)हो

-एक साल में कम से कम एक बार फायर डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स की मौजूदगी में फायर मॉक ड्रिल

(ये नॉम्र्स एफएसओ शिवदरस के मुताबिक 15 मीटर से अधिक हाईराइज बिल्डिंग्स के लिए हैं.)