RANCHI : गोपाल कॉम्प्लेक्स में लगी आग पर भले ही अग्निशमन विभाग ने काबू पा लिया हो लेकिन अगलगी की इस घटना ने सिटी के उन सैकड़ों अपार्टमेंट्स की सेफ्टी की पोल खोल दी है, जहां फायर सेफ्टी के नाम पर कोई भी व्यवस्था नहीं है। जी हां, यह सच है कि आग के मुहाने पर सिटी के सैंकड़ों अपार्टमेंट खड़े हैं, जहां कभी भी अनहोनी से बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन, इस मामले पर जिला प्रशासन के साथ-साथ बिल्डर्स ने भी आंखें मूंद रखी है।

संकरी गलियों में बड़ी-बड़ी इमारतें

नियमों को दरकिनार कर तंग गलियों में भी बहुमंजिली इमारतें धड़ल्ले से बन रही हैं। ज्यादातर अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। नगर निगम भी आंखें मूंदे है। गलियां इतनी संकरी है कि यदि आग लग गयी तो दमकल भी गंतव्य तक नहीं पहुंच सकता। अपर बाजार इलाके में करोड़ों रूपये का हर दिन कारोबार होता है और हर दिन 80 हजार से ज्यादा लोगों की दिनभर में आवाजाही होती है। ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाता है तो उसकी जवाबदेही लेने वाला कोई नहीं है और न ही सरकार के पास ऐसे संसाधन हैं जो संकरी गलियों में लगी आग को कंट्रोल कर सके।

आग से बचने की व्यवस्था नहीं

पिछले साल डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने सिटी के सभी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का सेफ्टी प्वाइंट ऑफ व्यू के लिहाज से फायर सेफ्टी की जांच करवाई थी। इसमें फायर डिपार्टमेंट में जांच के दौरान पाया था कि इन बिल्डिंग्स में आग लगने की आपात स्थिति में बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अधिकतर इमारतों में आग से निपटने के लिए उपकरण का केवल ढांचा भर है। पानी की बौछार के लिए जिस बॉक्स में पाइप लपेटकर रखा जाता है, उसमें पाइप ही नहीं है। पानी फेंकने के लिए लगाई गई पाइप जंग खा रही हैं।

क्या है नियम

2005 के नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार, सिटी के सभी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग और अपार्टमेंट में फायर सेफ्टी का इंतजाम करना जरूरी है, लेकिन, इसका पालन सिटी के अधिकतर अपार्टमेंट ने नहीं किया गया है।