पहले आग लगाई फिर की फायरिंग

डीडीयू के कबीर हॉस्टल रूम नंबर 148 कुशीनगर देवरिया बाबू के सतवन सिंह के नाम पर एलॉट है। सतवन एम.ए फस्र्ट इयर राजनीति शास्त्र का स्टूडेंट है। मंडे नाइट 9 बजे वह कामन हॉल में साथियों के साथ टीवी देख रहा था। अचानक उसे रूम से धुआं उठता नजर आया। सतवन के अनुसार वह अपने रूम की तरफ भागा। उसने बताया कि आधा दर्जन युवकों ने उसके कमरे में पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी। विरोध करने पर हमलावरों ने उसपर फायर कर दिया। जान बचाने के लिए वह भागा और सीढिय़ों से नीच गिरकर घायल हो गया। हमलावरों ने तीन राउंड गोलियां चलाई और पीछे के रास्ते से भाग निकले।

तीन हमलावर परिचित थे

आगजनी और फायरिंग से कबीर हास्टल में हड़कंप मच गया। सूचना पर एसपी सिटी परेश पांडेय समेत पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गए। घायल सतवन सिंह को इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इस भागम भाग में छात्र पिंटू मिश्रा के पैर में भी फैक्चर हो गया। उसे भी इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। आक्रोशित स्टूडेंट्स ने हॉस्पिटल में हंगामे का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि लिखित तहरीर देने पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। घायल सतवन ने बताया कि आधा दर्जन हमलावरों में वह 3 को पहचानता है।

एक्शन होता तो टल सकता था हमला

स्टूडेंट्स के बीच दो दिन पहले भी तमंचे तने थे। इसकी शिकायत स्टूडेंट्स ने चीफ प्रॉक्टर प्रो। ओ.पी पांडेय से की थी। इस मामले में दोनों पक्ष से शिकायत की गई लेकिन किसी की तरफ से पुलिस में तहरीर नहीं दी गई। स्टूडेंट्स का आरोप है कि हमले की आशंका पहले ही डीडीयू मैनेजमेंट को दी गई थी लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं हुई। न तो हास्टल में पुलिस फोर्स तैनात किया गया और न ही आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस का भी कहना है कि प्रॉक्टर ने अपने स्तर पर सूचना दी होती तो कार्रवाई कर घटना को टाला जा सकता था।

प्री प्लानिंग करके दिया गया घटना को अंजाम

संत कबीर हॉस्टल में फायरिंग और आगजनी की घटना को अंजाम देने वाले पूरी प्लानिंग के साथ आए थे। रूम नंबर 148 में जाने से पहले उन्होंने उसके आसपास के अन्य कमरों को बाहर बंद कर दिया था, ताकि अन्य हॉस्टलर्स बाहर न आ सकें। इसके अलावा हमलावरों ने पहले ही भागने का रास्ता भी तय कर लिया था। आगजनी और फायरिंग के बाद जब कुछ अन्य हॉस्टलर्स ने हमलावरों को दौड़ाकर पकडऩे की कोशिश की तो वह रूम नंबर 148 के बगल की छत के रास्ते भाग निकले। इन लोगों ने भागने के लिए टीचर्स कॉलोनी हीरापुरी का रास्ता पकड़ा। इन लोगों ने जाने से पहले रूम में आग लगा दी। आग से कमरे में रखा सामान पूरी तरह खाक हो गया।

पहले से ही जताई जा रही थी आशंका

हॉस्टलर्स में पहले से ही इस बात की चर्चा थी कि ऐसी किसी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। सैटर्डे को जब मेयर डॉ। सत्या पांडेय हॉस्टल्स के इन्सपेक्शन के लिए आई थीं तो भी रूम नंबर 148 में रहने वाले एमए के स्टूडेंट सतवंत सिंह पर कुछ बाहरी लोगों ने हमला किया था। इसी को देखते हुए आंशका थी कि सतवंत पर एक बार फिर हमला हो सकता है।

पहले भी हो चुकी हैं वारदातें

संत कबीर हॉस्टल में आगजनी और फायरिंग की यह पहली घटना नहीं है। 2006-07 के दौरान इसी हॉस्टल के रूम नंबर 100 में मेराज और बंटू सिंह नाम के दो लड़कों को जिंदा जलाया गया था। इसमें से मेराज तो बच गया था लेकिन बंटू की डेथ हो गई थी। 2012 की शुरुआत में इसी हॉस्टल के अंदर ग्राउंड फ्लोर पर खड़ी पल्सर बाइक में कुछ बाहरी लड़कों ने आधी रात को आग लगा दी थी। अगर ओवलऑल सभी ब्वॉयज हॉस्टल्स की बात की जाए तो पहले हॉस्टल में हत्या करके एक डेड बॉडी छुपाने, अप्रैल 2010 में एनसी ब्वॉयज हॉस्टल में फायरिंग और बाइक में आग लगाने, 2012 में एनसी हॉस्टल के रूम नंबर 33 के आसपास फायरिंग करने की घटनाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा लास्ट इयर हुई प्रदीप सिंह 'सहजनवां' की हत्या के तार भी यूनिवर्सिटी ब्वॉयज हॉस्टल से जुड़े मिले थे।

डीडीयू एडमिनिस्ट्रेशन की है लापरवाही

डीडीयू हॉस्टल्स में हो रही इन घटनाओं के लिए डीडीयू एडमिनिस्ट्रेशन भी काफी हद तक जिम्मेदार है। यहां हॉस्टल्स में शाम के बाद अंधेरा मचा रहता है। संत कबीर हॉस्टल में तो गैलरीज में रूम्स के सामने लाइट तक नहीं है। ऐसे में अगर कोई किसी घटना को अंजाम देता हुआ भाग निकले तो उसे अंधेरे में देखना भी मुश्किल है। इस बात को अराजक तत्व भी अच्छी तरह से जानते हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को अच्छे से यह मालूम है कि इन हॉस्टल्स में इतनी घटनाएं हो चुकी हैं और बाहरी लोग भी कब्जा करके रहते हैं। लेकिन इसके बाद भी यहां प्रॉपरली इन्सपेक्शन और रूम्स की चेकिंग करने जैसी कार्रवाई नहीं होती।

घायल स्टूडेंट की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। दबिश देकर उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। हॉस्टल में होने वाले बवाल के संदर्भ में डीडीयू मैनेजमेंट से भी बात की जाएगी।

परेश पांडेय, एसपी सिटी