Lucknow: लखनऊ जैसा बड़ा शहर, हादसे होते रहते हैं। कभी हमारी गलती से कभी दूसरों की गलती से। हम ट्रैफिक नियमों का कितना पालन करते हैं ये सब जानते हैं। सरकारी रोडवेज बसें भी हादसों की चपेट में आती रहती हैं। इसलिए उनमें फस्र्ट एड बाक्स होना जरूरी है। स्टेट रोडवेज की बसों में ड्राइवर की सीट के पास फस्र्ट एड बाक्स लगे भी हैं लेकिन उनमें दवा और बैंडेज छोड़ कर बाकी सब कुछ रखा रहता है। यह सच तब सामने आया जब आई नेक्स्ट ने कैसरबाग बस अड्डे पर एक स्टिंग किया। इस स्टिंग से जो सच सामने आया आपको उससे रू-ब-रू कराते हैं।
समय - सुबह, 11 बज के 17 मिनट
लोकेशन - कैसरबाग बस अड्डा
रिपोर्टर कैसरबाग बस अड्डे पहुंचा ही था कि नजर एक बस पर पड़ी जिसकी हालत देखकर वो रोडवेज की नही डग्गामार बस ज्यादा लगती थी। बस में पैसेन्जर्स थे। अंदर आगे के हिस्से में एक लोहे का बाक्स लगा था जिस पर प्लस का निशान बना हुआ था। दिखने में वो फस्ट एड बाक्स लग रहा था.
रिपोर्टर ने उस बाक्स को खोला तो उसमें लाइफ सेविंग दवाओं को छोड़ कर बाकी सब कुछ था। माचिस, बीड़ी, पान मसाला, अगरबत्ती, लुंगी, बनियान, गमछा, एक बाक्स में बल्ब और रेडियो लगा था, नहीं तो तो बस दवा। जब फोटोग्राफर ने क्लिक करना शुरू किया तो बस ड्राइवर दौड़ता हुआ आया और बोला, कहां, भैया कैसे? रिपोर्टर ने कहा कि वो देख रहा था कि बस में फस्र्ट एड बाक्स है कि नहीं.
ड्राइवर तपाक से बोला है तव बतावौ का भवा। रिपोर्टर ने उससे पूछा कि इसमें दवा तो है नही? ड्राइवर बोला कि दवाई लेएका  हवए तौ जाओ मेडिकल परि, हियां का धरा है खाली डब्बा है बसि। वैसे तुम हउ कौन भैया.? जब रिपोर्टर ने बताया कि वो आई नेक्स्ट अखबार से है और यह पता कर रहा है कि बसों में जो फस्र्ट एड बाक्स होते हैं उनमें दवा-पट्टी है कि नही। इस पर ड्राइवर सकपका कर बोला, अरे दादा हमार फोटो ना खींचो भैया जऊन पूछो बताय देब.
फिर उसने बताना शुरू किया कि भैया यहां तो बहुत घोटाला है। नीचे से ऊपर तक सब खाते हैं। ना यकीन हो तो दूसरे लोगो से भी पूछ सकते हैं आप। सब ने यही बताया कि सिर्फ नई बसों में ही फस्र्ट एड बाक्स ठीक होता है। पुरानी गाडिय़ों में तो कहीं कहीं स्टेपनी तक नहीं होती।
किस तरह की दवाइयां आती हैं?   उसने बताया कि फस्र्ट एड बाक्स जो लग कर आता है उसमें एक डिटॉल, रूई का बंडल, एक गाज, एक ट्यूब, कुछ दवाएं और बैन्डेज होते हैं।
ये तो कुछ पहलू हैं फस्ट एड बाक्स के लेकिन उसी स्टिंग के बीच एक  और खुलासा हुआ.
समय - 2 बज कर 10 मिनट
स्थान - कैसरबाग बस अड्डा
उत्तर प्रदेश परिवहन के उतरौला डिपो के संविदा परिचालक उधम सिंह मिल गए। उनसे फस्र्ट एड बाक्स की बारे में बात की तो बोले कि वर्कशाप जाने के बाद नई बसों से दवा और पट्टी निकाल ली जाती है। उतरौला डिपो पर तैनात कैश लिपिक विनोद कुमार व कम्प्यूटर आपरेटर राजेन्द्र कुमार 2000 रुपये प्रति ट्रिप अलीगढ़ एआरएम के नाम से वसूलते थेे.
उधम सिंह ने पैसे दिये भी। लेकिन जब उसने एक बार मना किया तो एआर  एम जगदीश ने 16 जनवरी 2012 को उसे रूट ऑफ कर दिया और एआर एम अलीगढ़ ने रूट आन करने के लिए 35000 रुपये सुविधा शुल्क की मांग की। उसने अपने दो साथियों के साथ एआरएम को पैसे दिये। जिसकी रिकार्डिग भी उसने अपने मोबाइल फोन में सेव की है.
जब पैसे देने के बाद भी रूट आन नही हुआ तो उसने एआरएम से सम्पर्क किया। वह बोले कि बात लीक हो गयी है और मामले की जांच आरएम कर रहे हैं मैं उनसे कह के रूट आन करा दूंगा। बस तुम दस हजार का और इंतजाम कर लेना.
उधम सिंह को रूट आन करना तो दूर की बात, अब उसकी सेवा भी समाप्त कर दी गयी है। उसने मुख्यमंत्री, केन्द्रीय प्रबंधक, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को प्रतिलिपि भी भेजी है मगर कोई उत्तर नही मिला.
कुछ पैसेन्जर्स का भी कहना है कि बसों की हालत बहुत खराब है। गोंडा रूट पर तो आए दिन बसों का खराब होना लगा रहता है। धक्का परेड करनी पड़ती है पैसेंजर्स को। इसके बाद जब आई नेक्स्ट टीम बस अड्डे के स्टेशन अधिकारी से मिलने उनके कमरे में पहुंची तो उनका रवैया ही निराला था.
समय - 3 बज कर 15 मिनट
स्थान - स्टेशन अधिकारी का कक्ष
वर्कशॉप के अधिकारी प्रमोद कुमार को फस्र्ट एड बाक्स की कोई जानकारी ही नहीं कि वो बसों मे होता है या नहीं। वो बोले कि आज शाम में ही चेक करता हंू, वैसे उसमें होता ही क्या है? ये सब तो परिवहन विभाग ही जाने। मैं तो वर्कशाप का काम देखता हूं। यहां से मुझे कोई वास्ता नही है। बाकी जानकारी आपको हमारे एआरएम एस के गुप्ता ही दे पाएंगे.
समय - 6 बज के 43 मिनट
स्थान - कैसरबाग बस अड्डा
एआरएम एस के गुप्ता से फस्र्ट एड बाक्स के बारे में बात की तो वो बोले कि हां, नई बसों में तो फस्ट एड बाक्स लग कर आता है और वो भी सामान के साथ मगर पुरानी बसों मे फस्ट एड बाक्स के लिए कोई फंड आता है या नही ये तो आपको समीर जी, एआरएम वित्त ही बता पाएंगे.
वहीं से जब उन्हें फोन किया गया तो वो बोले, हां, आता तो है पर समय-समय पर ही मुख्यालय इसकी व्यवस्था कराता है। अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो हेड क्वार्टर के एचएस गाबा से बात करिये, वो ही पूरी जानकारी दे पाएंगे आपको।
बस अड्डे से तो कुछ हासिल नही हुआ। टीम शहीद स्मारक रोड स्थित परिवहन विभाग के मुख्यालय में एच एस गाबा से मिलने पहुंची तो उनका साफ कहना था कि फस्र्ट एड बाक्स के लिए कोई भी बजट या फंड नही आता है और अगर उस फस्र्ट एड बाक्स का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो इसपर कार्रवाई होगी.

Reported By : Ashish pandey