-देश में अभिनव प्रयोग का गवाह बना देहरादून

-दून के भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में बन रहा बायो जेट फ्यूल

देहरादून

देश में पहली बार दून से दिल्ली के बीच यात्री विमान ने बायो फ्यूल से उड़ान भरी है। देहरादून के मंडे को स्पाइस जेट के इस विमान में जेट फ्यूल के विकल्प के तौर पर बायो जेट फ्यूल इस्तेमाल किया गया। यह बायो जेट फ्यूल देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आईआईपी ने तैयार किया है। उड़ान सफल रही है। कुछ माह इसका ट्रायल चलेगा। बताया जा रहा है कि बायो जेट फ्यूल अधिक पावरफुल ईधन होने के साथ ही पॉल्यूशन फ्री है। लार्ज स्केल पर प्रोडक्शन शुरू होने पर यह विमानों में मौजूदा समय में इस्तेमाल होने वाले जेट फ्यूल से किफायती भी होगा।

दून के आईआईपी में बना बायो जेट फ्यूल:

विमानों के लिए जेट फ्यूल का विकल्प भी दून में ही तैयार हुआ है। देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में करीब छह वर्ष तक रिसर्च के बाद यह फ्यूल तैयार किया गया है। फिलहाल इसे बनाने में छत्तीसगढ़ से मंगाए गए जेट्रोफा के बीज इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके ट्रायल में अन्य इडेबल ऑयल्स से भी बायो जेट फ्यूल बनाने का सफल ट्रायल किया है।

पहले विमान को सीएम ने दिखाई झंड़ी:

दून जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर मंडे को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बायो जेट फ्यूल से उड़ान भरने वाले देश के पहले विमान को फ्लैग ऑफ किया। स्पाइस जेट के इस विमान ने फ्लैग ऑफ के बाद दिल्ली के लिए उड़ान भरी। यह बायोफ्यूल जैट्रोफा के तेल एवं हाइड्रोजन के मिश्रण से बनाया गया है.जैट्रोफ ा के बीज छत्तीसगढ़ से बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी के जरिये खरीदे गए हैं। आईआईपी में बायो जेट फ्यूल तैयार करने का मिनी प्लांट लगाया गया है।

न पॉल्यूशन, न इंजिन में बदलाव:

पेट्रोलियम संस्थान के चीफ साइंटिस्ट ए के जैन ने बताया कि दून में तैयार किया गया बायो जेट फ्यूल पॉल्यूशन फ्री है। इसमे जीरो सल्फर है। कार्बनडाई आक्साइड भी कम निकलता है। साथ ही क्वालिटी वाइज भी यह बेहतर है। मौजूदा जेट फ्यूल से अधिक पावरफुल है। इसके इस्तेमाल से विमानों की स्पीड अधिक हो जाएगी। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके इस्तेमाल के लिए विमानों के इंजिन या अन्य किसी उपकरण में बदलाव की जरूरत भी नहीं है। मौजूदा ढांचे में ही इसे इस्तेमाल किया जाता है।

जेट फ्यूल में ही मिक्स हो गया:

बायो जेट फ्यूज को विमान के टैंक में मौजूद जेट फ्यूल से अलग स्टोर करने या फिर खाली करने के बाद इस्तेमाल करने की जरूरत भी नहीं है। इसे मौजूदा जेट फ्यूल में ही मिक्स कर इस्तेमाल किया जा सकता है। दून से मंडे को स्पाइस जेट की जिस फ्लाइट में बायो फ्यूल से उड़ाया गया उसमें एक दिन पहले जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर छोटा सा ट्रायल किया गया और मंडे को बायो जेट फ्यूल से विमान ने सफलता की उड़ान भरी।

अभी एक घंटे में 4 लीटर निर्माण:

दून के आईआईपी में अभी बायो जेट फ्यूल का सीमित मात्रा में उत्पादन हो रहा है। अभी जो प्लांट लगाया गया है, उसमें एक घंटे में 4 लीटर बायो जेट फ्यूल बनाने की क्षमता है। इसे फिलहाल रिसर्च मोड ही कहा जाएगा। उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़ा प्लांट लगाना होगा। कॉमर्शियल यूज के लिए उत्पादन बढ़ाने पर इसकी लागत मौजूदा फ्यूल की कीमत से कम होगी।

भारतीय वैज्ञानिक और तकनीक का इस्तेमाल:

भारत में पहला विमान मंडे को उड़ाया गया। इस सफल प्रयोग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है इस विमान में इस्तेमाल किया गया बायो जेट फ्यूल भारतीय वैज्ञानिकों ने भारतीय तकनीक से बनाया है। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में कॉमर्शियल प्लेन पहले बायो जेट फ्यूल से उड़ान भर चुके हैं।