पैसे की कमी

महाराष्ट्र के दादासाहब जाधव के बारे में आपने सुना ही होगा। अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि यह भारत का पहला ओलिंपिक मेडल जीतने वाले खिलाड़ी है। इन्होंने आर्थिक परिस्थितियों से जूझते हुए ओलपिंक में भारत का झंडा फहराया। यह कुश्ती के पहलवान थे। सन 1948 में पहली बार इन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लेने का प्लान किया लेकिन इनके पास पैसे की कमी थी। जिससे ये लंदन नहीं जा पा रहे थे लेकिन इनके हौसले को देखते हुए कोल्हापुर के महाराजा ने इनकी मदद की थी। हालांकि इस बार वह कोई पदक नहीं जीत पाए, लेकिन दादासाहब बिल्कुल परेशान नहीं हुए।

इस खिलाड़ी ने ओलंपिक के लिए गिरवी रख दिया घर और जीता भारत के लिए पहला मेडल...

ब्रॉन्ज मेडल जीते

इसके बाद वह लगातार मेहनत करते रहे और 1952 में फिर हुए ओलंपिक में शामिल होने का निर्णय लिया। इस दौरान राज्य सरकार ने इन्हें कुल 4000 रुपये की मदद की। जो कोई बड़ी रकम नहीं थी। ऐसे में उन्होंने परिवार से सलाह कर अपना घर गिरवी रख दिया क्योंकि उनका लक्ष्य अब देश के लिए मेडल जीतना था। वह भी उनकी कोशिश गोल्ड मेडल जीतने की थी लेकिन उन्हें ब्रॉन्ज मेडल ही मिला क्योंकि वहां पर मैट सर्फेस पर एडजस्ट नहीं कर पाए थे। इसके बाद भारत में उनकी वापसी पर स्वागत के लिए विशेष तैयारियां की गई।

इस खिलाड़ी ने ओलंपिक के लिए गिरवी रख दिया घर और जीता भारत के लिए पहला मेडल...

कमिश्नर बने

ऐसे में भारत लौटते ही यहां पर उनका भव्य स्वागत हुआ। दादासाहब ने सबसे पहले अपना घर छुड़ाया। वहीं सरकार की ओर से भी उन्हें मदद की गई। उन्हें मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी गई। जहां उन्होंने काफी अच्छा काम किया। शायद इसीलिए वह 1982 में उन्हें 6 महीने के लिए कमिश्नर भी बने। हालांकि इस दौरान भी वह अपनी कुश्ती को बरकरार रखे थे। ऐसे में जब 1984 में एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हुई बड़ी संख्या में लोग दुखी हुए। आखिर यह वह इंसान थे जिसने ओलंपिक में भारत के लिए पहला मेडल जीतकर वहां पर भारत का झंडा लहराया था।

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