पटना की सिटी एसपी किम कहती हैं, लोगों और समाज के लिए काम को अपना प्रोफेशन बनाना चाहती थी। अब इसकी शुरुआत हो गई है। बस, कोशिश यही रहेगी कि हमेशा बेहतर काम करूं। हम बात कर रहे हैं हर हमेशा चेहरे पर एक छिपी मुस्कान रखने वाली कांफिडेंट मैम किम की। सिटी एसपी किम के पास पहले एसपी ईस्ट का चार्ज था। पर, आईपीएस शिवदीप लांडे और यूके शर्मा के ट्रांसफर के बाद शहर का पूरा इलाका इन्हीं के हाथों में आ गया है। फस्र्ट टाइम किसी महिला आईपीएस को सिटी एसपी की कमान दी गई है।

बिहार की छवि अच्छी नहीं है
बेसिकली लखनऊ की रहने वाली किम कहती हैं कि सेलेक्शन के बाद जब मुझे बिहार कैडर मिला, तो दोस्तों ने बहुत डराया था। बिहार से बाहर बिहार की छवि अच्छी नहीं है। बात-बात में डीएम की हत्या का उदाहरण दिया जाता था। किम बताती हैं कि पहले तो सुनकर डर लगता था, पर अब वैसी कोई बात नहीं है। किम के पिता एसएल गुप्ता प्रोफेसर हैं, जबकि मां शशि गुप्ता होम मेकर। इनकी एक छोटी बहन है। किम के घरवालों को भी अपनी बिटिया पर नाज है।

सजा मिलेगी, बराबर मिलेगी
किम ने अपनी प्राइमरी एजुकेशन लखनऊ में ही की। इसके बाद दिल्ली में लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और फिर हिन्दू कॉलेज से पीजी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से इन्होंने एम फिल किया है। पढऩे में ब्रिलियंट रही किम को शुरू से ही स्कॉलरशिप मिलते रहा है। किम 2008 बैच की आईपीएस हैं। यूपीएससी में इन्हें 130वां रैंक आया था। किम कहती हैं कि अब लोगों के लिए काम करने को ही प्रायोरिटी देती हूं। जो भी हमारे पास आए, उसके साथ न्याय हो और कोई भी गुनाहगार बच न सके, इसी थीम पर काम रह रही हूं. 

अपनी छाप छोडऩे का मौका
यंग आईपीएस को पहले सिटी की कमान ही सौंपी जाती है। इस दौरान उन्हें अपने कार्य क्षमता और कौशल को साबित करने का मौका मिल जाता है। अपने तरीके से लोगों की परेशानियों को सुनना और क्राइम कंट्रोल करने से ही उनकी पहचान बनती है। फिलहाल यह मौका किम को मिला है। लखनऊ के गोमती नगर की रहने वाली किम प्रोबेशन के दौरान भी पटना में ही पोस्टेड थीं। तब उन्हें दानापुर का चार्ज मिला था। अब पटना के सिटी एसपी के रूप में यहां के लोगों पर अपनी छाप छोडऩे का मौका मिला है।