बनारस में मॉनसून की ऑफिशियल एंट्री तो जुलाई के फ‌र्स्ट वीक में ही हो चुकी थी, हालांकि, बारिश के नाम पर अब तक माहौल सियापा ही था। मगर थर्सडे की रात बादलों ने कुछ ऐसी दिलदारी दिखाई कि अगली सुबह बहुतों की सांस अटक आई। कहीं घर के आंगन में चीजें तैरती नजर आई तो कहीं बेडरूम में पानी घुस गया। कई जगह तो लोग सड़कों को ढूंढते नजर आए। आइये जाने क्या-क्या गुल खिलाये इस बारिश ने।

पसीजा बादलों का दिल, शहर बना झील

- आधी रात से लेकर सुबह तक दिल खोल कर बरसे बादल, शहर हो गया पानी-पानी।

- पांच सालों के बाद जुलाई में पहली बार हुई है 24 घंटे के दौरान 100 मिमी से ज्यादा बारिश।

- अगले तीन दिनों तक अच्छी बारिश के आसार, सपोर्ट में है सिस्टम।

VARANASI: गर्मी और उमस से तड़प रहे लोगों की आह सुनते-सुनते थर्सडे को बादलों का दिल पसीज ही गया। इतना पसीजा कि बनारस हैरान रह गया। जी हां, गुरुवार को आधी रात के बाद एक्टिव हुए बादलों ने जमकर बरसात की। जुलाई मंथ में बनारस को एवरेज जितनी बारिश की जरूरत होती है उसका 33 परसेंट तो रातों रात ही बरसा डाला। नतीजतन, सुबह का नजारा देख लोग हैरान रह गये। घर, मोहल्ले, सड़कें सब पानी-पानी हो गए।

लो प्रेशर से मिला सपोर्ट

मौसम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि यह बारिश एक इत्तेफाक नहीं थी। इसके पीछे एक खास वजह थी। दरअसल, यूपी के साउथ वेस्ट एरिया में बने लो प्रेशर और यूपी के वेदर को सपोर्ट दे रहे अपर एयर साइक्लॉनिक सर्कुलेशन से पूर्वाचल को ये अच्छी बरसात नसीब हुई। वैसे थर्सडे को दिन में भी क्लाउड्स की थोड़ी बहुत हरकत हल्की बारिश के रूप में दिखी थी। लेकिन शाम के बाद मौसम पूरी तरह करवट ले चुका था। रात में कुछ देर हुई बूंदाबांदी के बाद बादल थम गए। इसके बाद देर रात दो बजे फिर से बरसना शुरू हुए तो फिर रूकने का नाम ही नहीं लिया। कभी धीमी तो कभी तेज गति से सुबह करीब 8.30 बजे तक बादल बरसते ही रहे।

बारिश का बना रिकॉर्ड

बनारस में फ्राइडे की सुबह तक पिछले चौबीस घंटे की बरसात को 109.6 मिमी रिकॉर्ड किया गया है। जुलाई के महीने में पिछले पांच साल के बाद ये पहला मौका है जब सिर्फ एक ही दिन में 100 मिमी से ज्यादा बारिश हुई है। इससे पहले 9 जुलाई 2006 को एक दिन में 150.4 मिमी और इससे पहले 2 जुलाई 2008 को एक दिन में 322 मिमी बारिश रिकॉर्ड हो चुकी है। इसमें 2 जुलाई 2008 की बारिश बनारस के लिये जुलाई मंथ का आल टाइम रिकॉर्ड है जो अब तक नहीं टूटा है। बनारस में जुलाई मंथ में एवरेज 309.3 मिमी बारिश होती है। इस तरह देखा जाए तो सीजन की एवरेज बारिश के आंकड़े का लगभग 33 प्रतिशत एक रात में ही कवर हो चुका है।

अभी और बरसेंगे बादल

रेनी सीजन लवर्स के लिये खुशखबरी है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले तीन दिनों तक बादलों की मेहरबानी देखने को मिल सकती है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अभी जो सिस्टम बना हुआ है उसके इम्पैक्ट से अगले कुछ दिनों तक पूर्वाचल में और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की सौगात मिलते रहने की उम्मीद है। इससे टेम्प्रेचर में गिरावट आना लाजिमी है। हालांकि, फ्राइडे को सुबह बारिश के थमने के बाद मौसम ने एक बार फिर से उमस का दामन थाम लिया। गिरगिट की तरह रंग बदलते मौसम को देख लोग इस बदलाव से हैरान भी थे।

हाईलाइट्स

109.6 मिमी बारिश रिकार्ड हुई शुक्रवार की सुबह।

309.3 मिमी एवरेज बारिश होनी चाहिए जुलाई में।

150.4 मिमी बारिश (एक दिन में) हुई थी 9 जुलाई 2006 को।

322.0 मिमी बारिश (एक दिन में) हुई थी 2 जुलाई 2008 को।

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बादलों ने फेरा लाखों पर पानी

- शहर की अधिकांश सड़कों पर दिन भर दिखा जलभराव का नजारा, मोहल्लों का हाल भी खराब

- सिगरा सहित सिटी के कई हिस्सों में सड़क धंसने की घटनाओं से बढ़ी मुसीबतें

VARANASI: मॉनसून की पहली जोरदार बारिश ने सिटी का बहुत तरह से नुकसान भी किया। इसके चलते तमाम सड़कें उखड़ गई हैं। इसमें नई सड़कें भी शामिल हैं। इनसे होने वाला नुकसान करोड़ों में है। नगर निगम ने इस साला नाला सफाई के लिए 42 लाख रुपये खर्च किये थे। इसमें नाला सफाई कम और ठेकेदारों की जेब ज्यादा गर्म हुई। सफाई की रियलिटी फ्राइडे की सुबह सबके सामने थी। सिटी के हर हिस्से में जबरदस्त जलभराव देखने को मिला। कहीं भी कोई नाला या सीवर पानी को बाहर निकाल पाने में सक्सेसफुल नहीं रहा।

सड़कों ने छोड़ी गिट्टियां

एक ओर जहां नाला-सीवर सफाई के 42 लाख पहली बारिश में बहते नजर आये वहीं करोड़ों के खर्च से चुनाव से ठीक पहले बनी सड़कें भी पहली बारिश में भरभरा सी गई। सिटी के अधिकांश हिस्सों में जलजमाव वाले हिस्सों की सड़कों ने गिट्टियां छोड़ दीं। ऐसे में गिट्टियों के उखड़ने के बाद जल्द ही वहां बड़े गड्ढे नजर आने की पॉसिबिलिटी है। फ्राइडे को ही सिगरा पर स्टेडियम रोड के सामने एक बड़ा गड्ढा हो जाने से शाम तक ट्रैफिक एक लेन पर चलने की नौबत बनी रही। जबकि शहर के अन्य हिस्सों में भी कई सड़कों पर छोटे-छोटे गड्ढे उभरने की घटनाएं भी आम रहीं।

पानी-पानी हुआ बनारस

नुकसान की बात सिर्फ सड़कों तक नहीं है। सीवर और नाले के सपोर्ट न करने की वजह से तमाम पॉश कॉलोनियों में लोगों के घर के आंगन, लॉन, कमरों आदि में भी पानी घुस गया। काफी लोग सुबह उठे तो घर का नजारा देख कर सिर पीटने लगे। घर से निकले तो समझ आया कि स्थिति बेहद खराब है। गोदौलिया, महमूरगंज, रविन्द्रपुरी, लक्सा, सिगरा जैसे पॉश एरियाज और इनके आस-पास के एरियाज में भी अच्छा खासा जलभराव था।

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यहां एक नहीं अनेक विलेन है!

(इस मैटर को अलग बाक्स में 'जलभराव का विलेन कौन?' लोगो के साथ लगाएं)

विलेन नम्बर-1: नाले और सीवर

VARANASI: अपने बनारस में जलभराव के लिये यदि सबसे बड़ा कोई विलेन है तो वो है यहां का नाला और सीवर सिस्टम। जी हां, बनारस की सड़कों के नीचे मुगलकालीन से लेकर नगर निगम के जमाने तक के सीवर लाइनें इस कदर उलझी हुई हैं कि उसने पार पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा है। आलम यह है कि बनारस के नये और पुराने सीवर सिस्टम का बिल्कुल सटीक नक्शा तक नहीं है। ऐसे में कौन सीवर लाइन कहां से कहां तक जाती है, उसका लेवल क्या है, उसमें कितने इंच की पाइप है जैसे प्रश्नों का जवाब एक रहस्य है। यहां तक कि नगर निगम में ठेकेदारी व्यवस्था ने भी सीवर सिस्टम को चौपट दर चौपट कर दिया है। हाल ये है कि नये बने सीवर सिस्टम्स भी गर्मी के सीजन में ओवर फ्लो कर जाते हैं। नालों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। ज्यादातर नाले खुले हैं फिर भी इनकी प्रॉपर साफ-सफाई ना होने से ये बहाते कम और लोगों को गिराते ज्यादा हैं। ओवर आल बनारसी भी इस विलेन को और खतरनाक बनाते जा रहे हैं। कहीं केमिकल, कहीं गोबर, कहीं कूड़ा कचरा बहाते हैं। कुछ बड़े दिग्गज तो घर टूटने पर उसका मलबा सीवर में डालने तक से नहीं कतराते। नतीजा सामने है। बारिश के सीजन में इनका उलटा रवैया ओवरफ्लो के रूप में सामने आ गया है।