- इनफर्टिलिटी के बढ़ते मरीजों के चलते अस्पताल प्रशासन ने भेजा प्रस्ताव, 5 करोड़ आएगा खर्च

- अस्पताल की ओपीडी में हर दिन इनफर्टिलिटी के 20 से 25 नए मामले हो रहे डायग्नोस

KANPUR: इनफर्टिलिटी के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच अब सरकारी अस्पताल में भी इसके इलाज की सुविधा शुरू करने के प्रयास तेज हो गए हैं। मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया मेटरनिटी हॉस्पिटल में प्रदेश के पहले सरकारी इनफर्टिलिटी क्लीनिक के निर्माण को लेकर काम शुरू हो गया है। अस्पताल की ओपीडी में हर रोज 20 से 25 नए मरीज इनफर्टिलिटी के आ रहे हैं। वहीं गाइनी में पीजी करने वाले जूनियर डॉक्टर्स के ट्रेनिंग पार्ट में भी इसे इंट्रोडयूस कराया जाएगा। इनफर्टिलिटी क्लीनिक के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रस्ताव कॉलेज की तरफ से भेजा गया है। जिस पर प्रमुख सचिव ने भी रूचि दिखाई है।

सस्ते इलाज की तैयारी

मौजूदा दौर में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या टेस्ट टयूब बेबी सेंटर में इलाज कराने में 1.5 से 2 लाख रुपए तक का खर्च आता है। जिसमें दवाएं, कंसल्टेशन, जांचे शामिल होती हैं। वहीं सरकारी अस्पताल में अगर आईवीएफ या टेस्टटयूब बेबी सेंटर खुलता है। तो इस खर्च में 70 फीसदी तक की कमी आएगी। अभी भी अपर इंडिया हॉस्पिटल में कई सीनियर फैकल्टी इनफर्टिलिटी का इलाज कर रही हैं,लेकिन सुविधाओं के अभाव में मरीजों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता।

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फैक्ट फाइल-

-250 से 350 मरीजों की रोजाना ओपीडी

-20 से 25 नए मरीज इनफर्टिलिटी के ओपीडी में

-5,000 महिलाओं का हर साल होता है प्रसव

-5400 इनफर्टिलिटी के मामले आए अस्पताल में पिछले साल

-235 बेड अस्पताल की क्षमता 150 बेड चालू

-100 बेड की नई मेटरनिटी विंग का काम पूरा

-1.5 से 2 लाख रुपए प्राइवेट सेंटरों में इलाज का खर्च

-50 से 70 हजार रुपए सरकारी अस्पताल में आएगा खर्च

वर्जन-

पहले सरकारी आईवीएफ सेंटर को खोलने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन से मेडिकल कॉलेज के अपग्रेडेशन का काम तेजी से हो रहा है। इसके लिए भी अनुमति मिलते ही काम शुरू होगा।

- डॉ.नवनीत कुमार, प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज