- यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने इसे अंजाम देकर हासिल की बड़ी उपलब्धि

- प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों में चार से पांच लाख का आता खर्च लेकिन यहां बेहद कम

LUCKNOW: राजधानी के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में पहली बार प्रोस्टेड कैंसर मरीज की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई। यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने इसे अंजाम दिया जो पीजीआई के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी होने से मरीज अब जल्द स्वस्थ हो रहा है। गौर करने वाली बात यह कि इस सर्जरी से कई फायदे हैं। मसलन, रोगी को कम तकलीफ में बेहतर व जल्द उपचार मिल जाता है। खासबात यह कि देश के प्राइवेट चिकित्सालयों में इस सर्जरी पर मरीज का लगभग चार से पांच लाख रुपये खर्च होता है जबकि पीजीआई में इसके मुकाबले यह बेहद कम कीमत की हो रही है।

मरीज को होता है कम खतरा

फैजाबाद जनपद निवासी साठ वर्षीय सुखलाल (बदला हुआ नाम) को प्रोस्टेड ग्रंथि ं कैंसर था। वर्तमान में ऐसे रोगी के उपचार में ओपन सर्जरी या फिर रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से प्रोस्टेड ग्रंथि को निकाल दिया जाता है। पारंपरिक सर्जरी करने में पेट के बीच में लंबा चीरा लगाना पड़ता है। जिसे ठीक होने में लंबा वक्त लगता है। पर रोबोटिक अथवा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में ऐसा करने की जरूरत नहीं होती जिससे मरीज को कम दर्द होता है। खून की कम बहता है। अस्पताल में ठहरने का समय भी कम हो जाता है। संक्रमण का खतरा भी बेहद कम हो जाता है और मरीज जल्द स्वस्थ होने लगता है। देश में बहुत सारे चिकित्सा संस्थान इस रोबोटिक सर्जरी को अपना रहे हैं लेकिन उनकी कीमत बेहद अधिक है।

पीजीआई में पहली बार हुअा ऑपरेशन

पीजीआई में पहली बार हुई इस उपलब्धि से पूरे यूरोलॉजी विभाग की टीम बेहद खुश है। यह संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी है। यह सर्जरी यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो। अनीश श्रीवास्तव व एसिस्टेंट प्रो। उदय प्रताप सिंह ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सर्जरी करने वाली दूसरी टीमों के बिना संभव न था। जिसमें खासतौर पर एनेस्थीसिया विभाग के डॉ। संजय कुमार, डॉ। अरिंदम, यूरोलॉजी सीनियर रेजीडेंट डॉ। अनुभव व ऑपरेशन थियेटर की स्टाफ नर्स सिस्टर रीता, सुषमा, इंदिरा व राजन शामिल है।