- बारिश के दिनों में दो माह नदियों और तालाबों में जाल डालने पर रहती है रोक

- थोक मछली मंडी में नहीं आ रहा लोकल स्टॉक,

फुटकर में उड़ रही मत्स्य विभाग के आदेश की धज्जियां

GORAKHPUR: मत्स्य विभाग की ओर से प्रतिबंध के बाद भी शहर में अंडे वाली मछलियां खुलेआम बिक रही हैं। लेकिन जिम्मेदार सबकुछ जानकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। बारिश का मौसम मछलियों का प्रजननकाल होता है। जिसके चलते जिले में भी नदियों, तालाबों व जलाशयों में अगस्त से सितंबर तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध रहता है। बावजूद इसके नियम कानून को दरकिनार करते हुए यहां अंडे वाली मछलियां पकड़ी जा रही हैं। शहर के फुटकर मछली बाजार तक खुलेआम अंडे वाली मछलियां बिकती देखी जा सकती हैं।

घट जा रही मछलियों की संख्या

बारिश के मौसम में मछलियां अंडे देती हैं। इस दौरान मत्स्य विभाग द्वारा नदियों, तलाबों और जलाशयों में खासकर अंडे देने वाली मछलियां मारने पर प्रतिबंध रहता है। लेकिन शहर के मछली बाजारों में खुलेआम अंडे वाली मछली बिक रही है। वहीं विभाग के जिम्मेदार हैं कि मूकदर्शक बने हुए हैं। जबकि इन दिनों मछलियां लाखों की संख्या में अंडे देती हैं। जिससे नदी, तालाब में भारी मात्रा में मछलियों का उत्पादन होता है। लेकिन प्रजनन काल में लगातार मछलियों का शिकार इस पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। फुटकर बाजार में रोजाना बड़ी संख्या में शाम के समय मछलियों की खेप पहुंच रही है जिनमें ज्यादातर अंडे वाली मछलियां होती हैं।

बॉक्स

थोक में कम हो गई आवक

हालांकि मत्स्य विभाग के प्रतिबंध का असर महेवा थोक मंडी पर दिखाई दे रहा है। महेवा में मछली का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। अमूमन जहां आम दिनों में हर रोज मछलियों की बिक्री करीब 50 लाख रुपए की होती है। लेकिन इन दिनों बिक्री 20 लाख रुपए पर सिमट गई है। थोक मछली व्यापारियों ने बताया कि जहां आम दिनों में 10 से 15 गाडि़यां आती हैं, वहीं इन दिनों 4 से 5 गाडि़यों की आवक रह गई है। लोकल मछलियां आ नहीं रही हैं, सिर्फ आंध्र प्रदश के विजयवाड़ा से खेप आ रही है।

शिकार रोकने में फेल आदेश

शहर के विभिन्न एरियाज में लोकल स्तर पर मछलियों का कारोबार बड़े स्तर पर होता है। बारिश के दिनों में नदियों, जलाशयों में जाल डालने पर रोक है लेकिन महेसरा, रामगढ़ताल आदि तालाबों में मछलियों का शिकार किया जा रहा है। धर्मशाला बाजार, बक्शीपुर, लालडिग्गी पार्क, कूड़ाघाट, नौसड़, पादरी बाजार आदि फुटकर बाजारों में अंडे वाली मछलियां धड़ल्ले से बिक रही हैं।

महेवा थोक मंडी में मछलियों का कारोबार

आम दिनों में डली बिक्री - 50 लाख रुपए

बारिश के दिनों में डेली कारोबार - 20 लाख रुपए

सीजन में मछली का आवक - 10-15 गाड़ी

बारिश के दिनों में आवक - 4-5 गाड़ी

कोट्स

बारिश के दिनों में लोकल मछलियां नहीं मिलती हैं। इसकी वजह से केवल आंध्र प्रदेश की मछली ही थोक मंडी में आती हैं जिसके चलते बिक्री पर काफी असर पड़ता है। सितंबर के लास्ट में मछलियों की आवक तेज हो जाती है।

- गजेंद्र साहनी, अध्यक्ष, मछली मंडी

थोक मंडी में इस समय लोकल मछली नहीं आ रही है। ज्यादातर लोकल मछली गाजीपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, भदोही आदि इलाके से आती है। इस समय आवक कम हो जाती है। फुटकर बाजार में अंडे वाली मछली बिक रही है तो इसकी जानकारी नहीं है।

- सरफराज, मछली व्यापारी

वर्जन

बारिश के दिनों में नदियों और जलाशयों में मछलियों का शिकार करने पर प्रतिबंध है। टीम लोकल मार्केट में निरीक्षण नहीं करती है। पुलिस का सहयोग लेकर मत्स्य विभाग की टीम तालाबों, नदियों और जलाशयों की निगरानी करेगी जिससे इस पर लगाम लगाई जा सके।

- वीके श्रीवास्तव, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मत्स्य विभाग