ट्रीटमेंट प्लांट न चलने की वजह

सैटरडे को जाजमऊ ट्रीटमेंट के पास गंगा में लाखों की संख्या में मछलियों ने दम तोड़ दिया। आसपास के लोगों का आरोप है कि ट्रीटमेंट प्लांट न चलने की वजह से करोड़ों लीटर जहरीला पानी सीधे गंगा में गिरा दिया गया जिसकी वजह से गंगा की डिसॉल्व ऑक्सीजन जीरो हो गई और मछलियों ने दम तोड़ दिया है। हालांकि गंगा पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट जलनिगम के ऑफिसर आरोप गलत बता रहे हैैं। वे मछलियों के मरने की वजह गंगा के पार अवैध तरीके से चल रही ग्लू फैक्ट्री को जिम्मेदार ठहरा रहे है।

गाडिय़ों में भरकर ले गए मछलियां

जाजमऊ स्थित जलनिगम ट्रीटमेंट प्लांट के पास स्थित शेखपुर, मवैया, जाना, प्योंदी आदि गांवों के पास गंगा में मछलियां मरी मिली हैं। इससे आसपास के लोगों में जबरदस्त नाराजगी है। इस बीच कुछ लोगों ने मौका देखकर मरी मछलियां गंगा से निकाल लीं। फिर लोडर व अन्य वाहनों में इन्हें भरकर ले गए। एनवॉयमेंटल प्रिजर्वेशन सोसाइटी के प्रेसीडेंट सुनील मांझी का कहना है कि ट्रीटमेंट प्लांट न चलने के कारण गंगा में सीधे गंदा पानी गिरता रहा है। इससे गंगा के काफी बड़े हिस्से में डिसॉल्व ऑक्सीजन शून्य हो गई है।

    

"फ्राईडे को बारिश के दौरान ट्रीटमेंट प्लांट की लाइट चली गई थी। लेकिन जेनरेटर नहीं चलाए गए। जिससे गंगा में गन्दा पानी गिरता रहा."

-सुनील मांझी, प्रेसीडेंट, एनवॉयरमेंटल प्रिजर्वेशन सोसाइटी

"लाइट जाने पर जेनरेटर चलाए गए। मछलियां मरने की वजह अवैध तरीके से चल रही ग्लू फैक्ट्री है। जिनका गन्दा पानी गंगा में बहाया जा रहा है। जिससे डिसॉल्व ऑक्सीजन शून्य है। "

आरसी वर्मा, चीफ इंजीनियर, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई जल निगम

" मछलियां मरने की वजह की जांच की जा रही है। संभवत: फ्राईडे को हुई तेज बारिश से नालों की सिल्ट बहकर गंगा में आ गई है। जिससे डिसॉल्व ऑक्सीजन शून्य हो गई है."

- पीयू खान, रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल ऑफिसर