- 30 फीसदी रोडवेज बसों की हालत अत्याधिक जर्जर

- बसों की जर्जर हालत और टूटे शीशों से यात्री परेशान

Meerut । यातयात माह में ट्रैफिक नियमों पालन न करने और अनफिट वाहनों का संचालन करने वालों की धरपकड़ की जा रही है। लेकिन यह अभियान भी सिमट कर रह गया है। शहर की सड़कों पर जर्जर और अनफिट रोडवेज बसों का संचालन हो रहा है लेकिन परिवहन विभाग ने चालान तो दूर इन बसों की जांच तक नहीं की है।

परेशानी भरी यात्रा

हालत यह है कि रोडवेज की करीब 30 प्रतिशत बसों की हालत अत्याधिक जर्जर है। इन बसों की बॉडी से लेकर इंजन तक खराब हैं। बसों के शीशे टूटे हैं ऐसे में सर्दियों में यात्री सर्द हवाओं के साथ यात्रा करने को मजबूर हैं। बसों की सीट तक उखड़ी है।

दस साल के बाद भी संचालन

देहात रुट पर चलने वाली अधिकतर बसों की हालत खस्ता है। 10 साल से अधिक बीतने के बाद भी इस बसों का संचालन किया जा रहा है। हर साल आरटीओ को बसों का फिटनेस चेक करना चाहिए। लेकिन दस साल से अधिक बीतने के बाद भी नतीजा सिफर है।

वर्जन-

निरीक्षण के दौरान सभी प्रकार के ओवरलोड, अनफिट और डग्गेमार वाहनों का चालान किया जाता है। परिवहन विभाग की बसें भी इसमें शामिल हैं। यदि ऐसी बसों का संचालन हो रहा है तो निरीक्षण दल द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए।

- चंपा लाल, आरआई

कोटस-

अधिकतर देहात रुटों की बसों की हालत ज्यादा खराब है। बसें रास्ते में ही बंद हो जाती हैं। ऐसी बसों को हटा देना चाहिए।

- रमेश, यात्री

बसों के शीशे सभी मौसम में सही और पूरे होने चाहिए। अब सर्दियों शुरु हो चुकी है और बसों के शीशे तक बदले नही गए हैं।

- गौरव, यात्री

अधिकतर बसों की सीट जगह-जगह से टूटी हुई है जो कई साल में रिपेयर नही होती, हर माह सीटों की जांच होनी चाहिए।

- एजाज, यात्री