- लोहिया पार्क में फिटनेस के लिए लगाई गई हैं नई मशीनें

- इन मशीनों पर प्रैक्टिस कराने के लिए नहीं है कोई इंस्ट्रक्टर

- मशीन पर गलत प्रैक्टिस दे सकती है जानलेवा दर्द

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW: फिटनेस के लिए किसी भी मशीन पर विदआउट इंस्ट्रक्टर वर्क करना किसी के लिए भी जिंदगी भर की परेशानी बन सकती है। इसी के चलते स्टेडियम में प्रोफेशनल प्लेयर्स को तो कोचेज कंडीशनिंग कराते हैं तो जिम में वर्कआउट करने वालों को वहां मौजूद इंस्ट्रक्टर। उन्हें मशीनों पर उतना ही वर्कआउट कराया जाता है जितना कि जरूरी होता है। उन्हें पता होता है कि फिटनेस के लिए क्या बेहतर है। ऐसे में इन मशीनों को पब्लिक प्लेस पर बिना किसी इंस्ट्रक्टर के रखना घातक साबित हो सकता है। खासकर, जब वहां पर लोग हर एज गु्रप के लोग फिटनेस के लिए वॉक करने आते हो। ऐसे में खुली रखी यह मशीनें यहां आने वालों के लिए मौत का सामान साबित होंगी।

नुकसान न हो जाए

लोहिया पार्क में फिटनेस के लिए मशीनें तो लगा दी गई हैं लेकिन इन मशीनों पर वर्कआउट की ट्रेनिंग देने के लिए किसी कोच या इंस्ट्रक्टर की व्यवस्था नहीं की गई है। इस पार्क में सुबह और शाम यहां पर वॉक करने और फिटनेस के लिए आने वालों के लिए नई सौगात उनके लिए अभिशाप बन सकती है। यहां पर फिटनेस के लिए मैनुअल सात मशीनें लगाई गई हैं। इन मशीनों को यहां लगाने का परपज यह है कि यहां आने वाले इन मशीनों पर प्रैक्टिस कर खुद को फिट रखे। इतना ही नहीं थोड़ी बहुत प्रैक्टिस करने से लोगों को तमाम तरह की परेशानियों से भी निजात मिल सकती है।

खतरनाक है बिन इंस्ट्रक्टर एक्सरसाइज

बिना कोच के इन मशीनों के बारे में फिजीशियन एंड रिहैबिलिटेशन के डॉ। ए वाहिद सिद्दीकी के अनुसार इन मशीनों पर ही लिखा हुआ है कि क्भ् साल से कम उम्र के लोग इनसे दूर ही रहे। फिर जिस मशीन पर रनिंग करने के लिए बना हुआ है वहां पर बच्चे भी चढ़ रहे हैं। इनसे गिरकर ही यह चोट खा सकते हैं। अब बात आती है कि जिस पर लोग पुश-अप करते हैं, उस मशीन पर बिना कोच के ट्रेनिंग करना खतरनाक साबित हो सकता है। एक बार स्पाइनल कार्ड में इंजरी हो गई तो फिर उसे कोई ठीक नहीं कर सकता। वेस्ट के लिए लगी अ‌र्द्ध चंद्राकार में घूमने वाली मशीन पर महिलाओं के लिए आकर्षक होती है। वे तुरंत ही इस पर चढ़कर खुद को दुबला करने में जुट जाती है। जबकि इसे किसी स्पीड में राउंड करना है इसकी जानकारी होनी चाहिए। फिर आप किसी अन्य तरह की बीमारी का शिकार है तो इससे दूर ही रहे। वहीं एक मशीन शोल्डर मजबूरत करने के लिए लगी है। इस मशीन पर सोल्डर मजबूत करने वालों का खास ध्यान रखना होगा। एक बार शोल्डर पूल होने पर गर्दन तक असर होता है। खाने से लेकर सोना तक दुश्वार हो जाता है।

शोपीस न बन जाएं

पार्क में यहां पर सुबह फिटनेस के लिए आने वाले किशोर चौबे ने बताया कि यहां पर सभी एज गु्रप के लोग आते हैं। ऐसे में यहां आने वालों में इन मशीनों को लेकर कोई जानकारी नहीं है। यदि सरकार को हमारी फिटनेस की इतनी ही चिंता थी तो उसे यहां पर लगी मशीनों के लिए कम से कम एक इंस्ट्रक्टर तो रखना चाहिए था। एक ट्रेनर ही बता सकता है कि किस मशीन पर किसके लिए फिटनेस करना उचित होगा। गलत प्रैटिक्स करने से बॉडी में किसी तरह की परेशानी हो सकती है। फैमली के साथ रोजाना यहां आने वाले योगेश ने बताया कि यहां पर आने वाले कोई जिम ट्रेनर नहीं है जिन्हें फिटनेस के बारे में जानकारी पहले से हो। इन मशीनों को लगाने का फायदा तभी लोगों को मिल सकेगा जब यहां पर इन मशीनों पर ट्रेनिंग देने के लिए कोई कोच मौजूद हो। नहीं तो ये मशीनें यहां पर मात्र शोपीस ही साबित होंगी। स्टेडियम में मौजूद फिजियोथेरेपेस्टि आलोक बताते हैं कि बिना जानकारी के किसी भी तरह की मशीन पर प्रैक्टिस शरीर पर गलत प्रभाव डाल सकती है।

विभिन्न खेलों में खिलाडि़यों को जिम में प्रैक्टिस करवाई जाती है। लेकिन बिना प्रशिक्षक के अभाव में खिलाड़ी मशीनों से दूर रहते हैं। गलत प्रैक्टिस करने पर जीवन भर के लिए आप किसी भी प्राब्लम का शिकार हो सकते हैं।

ललित पटेल

लक्ष्मण एवार्डी, पूर्व वेटलिफ्टर

बिना जानकारी के लिए मशीनों पर कभी प्रैक्टिस नहीं करनी चाहिए। कहीं फिटनेस की चाहत में जिंदगी भर का दर्द आपके गले ना पड़ जाए।

डॉ। ए वाहिद सिद्दीकी

फिजियोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन