(1) Loans :-
ITR फाइल करने के बाद इसका इंडिविजुअली काफी फायदा मिलता है। जैसे कि अगर आप किसी भी टू-व्हीलर या फोर-वहीलर खरीदने के लिए एप्लाई करते हैं। तो देश की सभी प्रमुख बैंक इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी जरूर मांगती हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तो लोन लेने वाले एप्लीकेंट से लेटेस्ट सैलरी स्लिप,  TDS certificate / Form 16 और आईटीआर की एक प्रति मांगती है। इसके अलावा होम लोन लेने पर भी Form 16 या फिर ITR रिसीविंग प्रमाण के तौर पर पेश करनी होती है।

(2) To carry forward losses :-
यदि कोई व्यक्ित फाइल रिटर्न नहीं करता है। तो वह शॉर्ट टर्म या लॉंग टर्म किसी में भी कैपिटल लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने के योग्य नहीं होता। जैसे कि अगर आपने कोई शेयर खरीदा है और 8 साल लगातार उसमें फायदा मिलने के बाद अगले साल नुकसान हो जाता है, तो आईटीआर के माध्यम से इसे आप कैरी फारवर्ड कर सकते हैं। वहीं बता दें कि, लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस सिर्फ और सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही एडजस्ट होगा। जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन दोनों के साथ एडजस्ट हो सकता है।

(3) Visa processing :-
अगर आप कहीं ओवरसीज ट्रैवल करने जा रहे तो वीजा प्रोसेसिंग के लिए भी आईटीआर की कॉपी आवश्यक होती है। वीजा एप्लाई के दौरान कई एंबेसिस एप्लीकेंट के पिछले 3 सालों की आईटीआर रिसीविंग मांगती हैं। जबकि कुछ एंबेसिस रिसेंट सर्टिफिकेट ही पूछती हैं।

(4) Buying a high life cover :-
अगर आप 50 लाख या 1 करोड़ का लाइफ कवर लेते हैं। तो यह सभी इंश्योरेंस आपके आईटीआर डाक्यूमेंट के हिसाब से ही मिल पाएंगे। लाइफ इश्योरेंस कपनिंया इन दिनों आईटीआर रिसीविंग के बिना इश्योरेंस प्लान शुरु नहीं करती। इसकी सबसे मुख्य वजह यह है कि, इंश्योरेंस कंपनियां आईटीआर देखकर आपकी एनुअल इनकम वैरिफाइ करती हैं। ऐसे में अगर आपकी हाई सैलरी नहीं है, तो यहां हाई इंश्योरेंस कवर लेने का सवाल ही नहीं होता।

(5) Government tender :-

एक्सपर्ट का कहना है कि, अगर आप कोई बिजनेस शुरु करने का प्लॉन कर रहे हैं। और गवर्नमेंट टेंडर फिल करता चाहते हैं तो टैक्स रिटर्न की प्रति की जरूरत पड़ेगी। इसमें आपसे पिछले 5 सालों की आईटीआर प्रति मांगी जाती है। सरकार यह देखती है कि आपका फाइनेंशियल स्टेटस क्या है।

Hindi News from Business News Desk

 

Business News inextlive from Business News Desk