- दिमागी बुखार के ज्यादातर मामले आस-पास के जिलों से

- राजधानी के कई अस्पतालों में दिमागी बुखार के मरीजों से बेड फुल

LUCKNOW: दिमागी बुखार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लखनऊ में आस-पास के मरीजों के आने के कारण भी लगातार खतरा बना हुआ है। वहीं बुधवार को दिमागी बुखार-एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से पीडि़त पांच बच्चों की मौत हो गई। इसके अलावा दर्जनों मरीज अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं।

ट्रॉमा सेंटर में दो की मौत

केजीएमयू के बाल रोग विभाग में बुधवार को इलाज के दौरान 11 वर्षीय अर्चना की इलाज के दौरान मौत हो गई। अंबेडकर नगर निवासी अर्चना पिछले कई दिनों से मस्तिष्क ज्वर से पीडि़त थी। इसके अलावा केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के पीडियाट्रिक वार्ड में श्रावस्ती निवासी 6 माह की स्वरागिनी ने दम तोड़ दिया। इसी वार्ड में एक अन्य बच्चे की भी मंगलवार देर रात लगभग 11 बजे इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि ट्रॉमा सेंटर के बाल रोग विभाग में दिमागी बुखार से पीडि़त अति गंभीर बच्चों के लिए ऑथराइज्ड सभी बेड लगातार फुल चल रहे हैं। एक-एक बेड पर कई-कई बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। उधर बलरामपुर अस्पताल में कैसरबाग निवासी शिवम (8) की इलाज के दौरान डेथ हो गई। इसके अलावा गोंडा निवासी आदित्य (9) का सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।

अब तक 185 की मौत

लास्ट ईयर 14 जनवरी तक प्रदेश में कुल 1579 मरीजों में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम की पुष्टि हुई थी, जिनमें से 315 की मौत हो गई थी। इस साल भी 14 सितंबर तक 185 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 1389 मरीजों में अब तक एईएस की पुष्टि हो चुकी है।

लखनऊ में हाल

लखनऊ में अब तक एईएस से कुल 16 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ 2 मरीजों की मौत हुई है। वहीं दो मरीजों में जापानी इंसेफ्लाइटिस की पुष्टि हुई है। जबकि अभी तक कोई मौत का रिकॉर्ड नहीं है।

बेड से ज्यादा मरीज

350 बेड वाले सिविल अस्पताल में इस समय इससे कहीं अधिक मरीज भर्ती हैं। यही हाल लोहिया अस्पताल का है। यहां भी इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक फुल चल रहे हैं। बलरामपुर अस्पताल में 750 बेड पर मरीजों का इलाज जारी है। 40 बेड की इमरजेंसी में 60 मरीज हैं। 30 बेड का डेंगू और 30 बेड का मेडिसिन वार्ड पिछले कई दिनों से फुल चल रहा है।

रोजाना 50 मरीज हो रहे डिस्चार्ज

डॉक्टर्स के मुताबिक वार्ड खाली करने के लिए पूरे दिन में तीन बार शिफ्टिंग चल रही है। वार्ड में बेड की उपलब्धता बनाए रखने के लिए मरीजों को लगातार डिस्चार्ज किया जा रहा है। अस्पतालों में रोजाना 40 से अधिक मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। बलरामपुर में नेत्र रोग विभाग में भी मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

बुखार हो तो घर पर करें आराम

लगातार बढ़ती भीड़ को देखते हुए डॉक्टर मरीजों को दवा लेकर घर पर ही आराम करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि बहुत से कम गंभीर मरीजों का अस्पतालों में भीड़ के कारण हालत खराब हो सकती है। इसलिए डॉक्टर उन्हें वापस कर रहे हेँ। तीनों बड़े अस्पतालों की इमरजेंसी पूरी तरह से फुल हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि सामान्य बुखार के पेशेंट्स के बीच गंभीर पेशेंट्स को भर्ती करने से बीमारी और अधिक फैलने का खतरा है।