बीस लाख से ज्यादा मोबाइल हो गए खामोश
 बीएसएनएल का मतलब होता है भारत संचार निगम लिमिटेड। लेकिन बीएसएनएल की सर्विस से खफा हुए कुछ लोगों ने बीएसएनल को भाई साहब नहीं लगेगा का नाम दे डाला है। फ्राइडे को यह भाई साहब सिर्फ पांच घंटे के लिए रूठे तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट गए। कटरा में रहने वाले रोहित ट्रेन इंक्वायरी पर कॉल नहीं कर पाए तो उनकी ट्रेन मिस हो गई। रेलवे में वर्कर अमित सिंह अपने रिलेटिव को लेने गए थे, उनके रिलेटिव बीएसएनएल का मोबाइल रखे हुए थे, मोबाइल ठप होने के चलते वह करीब एक घंटे बाद उनको स्टेशन पर ढूंढ पाए। बिजनौर से एक  सज्जन यहां पर वकील साहब से मिलने आए थे, लेकिन एन वक्त पर मोबाइल ने ऐसा झटका दिया कि वह बीएसएनएल यूजर वकील साहब का एड्रेस पूछने तक के लिए फोन नहीं कर पाए। जी हां, यह सब हुआ बीएसएनएल का नेटवर्क ठप होने के चलते। फ्राइडे को करीब पांच घंटे तक बीएसएनल का नेटवर्क शट डाउन हो गया था. 
क्यों गायब हो गया था ह्यद्बद्दठ्ठड्डद्य 
बीएसएनल के जीएम आरएस यादव ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क का ओएसएस यानी आपरेटिंग सपोर्ट सिस्टम बनारस में लगा हुआ है। यहीं से इलाहाबाद, बनारस, कौशांबी, गोरखपुर सहित कई जिलों में मोबाइल का नेटवर्क प्रोवाइड किया जाता है। इसी ओएसएस में फ्राइडे की मार्निंग एकाएक गड़बड़ी आ गई थी, जिस कारण से इलाहाबाद, बनारस, कौशांबी, गोरखपुर सहित ईस्ट यूपी के करीब आधा दर्जन शहरों में बीएसएनएल का नेटवर्क गायब हो गया था। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना मोबाइल नेटवर्क के क्या स्थिति बनती है। अगर चेन्नई एक्सपे्रस मूवी देखी हो तो आप एक्सपीरियंस कर सकते हैं। वहां मोबाइल फेंक देने से नंबर गायब हुए थे और यहां पर नेटवर्क ही गायब हो गया. 

Relax और tension का 50-50 
रिलैक्स और टेंशन। दोनों वल्र्ड अपोजिट है। लेकिन नेटवर्क ठप होने से बीएसएनएल यूजर्स को एक साथ इन दोनों की फीलिंग हो गई।  किसी को रिलैक्स मिला तो किसी को बड़ी टेंशन हो गई। पुलिस डिपार्टमेंट, एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थ सहित दर्जनों विभागों में बीएसएनएल के सीयूजी कनेक्शन हैं। डीएम से लेकर एसएसपी और आईजी से लेकर कमिश्नर तक के मोबाइल फोन में बीएसएनएल का कनेक्शन है तो फिर वर्किंग सिस्टम थोड़ा ठप सा हो जाएगा। वहीं दूसरा पहलू यह है कि जो थानेदार बार-बार फोन की घंटी से इरिटेट होते होंगे उनको थोड़ा सा रिलैक्स भी फील हुआ है।  

Officers  के उड़े होश 
आरएस यादव ने बताया कि बनारस में लगे हुए आपरेटिंग सपोर्ट सिस्टम से तीन डिस्ट्क्टि में नेटवर्क प्रोवाइड किया जाता है। इन तीनों ही डिस्ट्क्टि को अगर मिला लिया जाएं तो करीब आठ लाख से ज्यादा बीएसएनएल को फ्राइडे को यह प्रॉब्लम झेलनी पड़ी है। एकाएक नेटवर्क गायब होने का पता चलने के बाद टेक्निकल टीम इसको दुरुस्त करने में जुट गई। उन्होंने बताया कि आपरेशन सपोर्ट सिस्टम में एसी वोल्टेज को कनवर्ट करके डीसी में भेजा जाता है। सिस्टम में गड़बड़ी आई थी कि ओएसएस ने पॉवर को डीसी में कनवर्ट करना बंद कर दिया था। मार्निंग में करीब आठ बजे ट्रेस हुई इस खराबी को दुरुस्त करने में दोपहर एक बजे तक का वक्त लग गया। करीब एक बजे के बाद बीएसएनल का नेटवर्क मोबाइल में आ पाया. 

बीस लाख से ज्यादा मोबाइल हो गए खामोश
बीएसएनएल का मतलब होता है भारत संचार निगम लिमिटेड। लेकिन बीएसएनएल की सर्विस से खफा हुए कुछ लोगों ने बीएसएनल को भाई साहब नहीं लगेगा का नाम दे डाला है। फ्राइडे को यह भाई साहब सिर्फ पांच घंटे के लिए रूठे तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट गए। कटरा में रहने वाले रोहित ट्रेन इंक्वायरी पर कॉल नहीं कर पाए तो उनकी ट्रेन मिस हो गई। रेलवे में वर्कर अमित सिंह अपने रिलेटिव को लेने गए थे, उनके रिलेटिव बीएसएनएल का मोबाइल रखे हुए थे, मोबाइल ठप होने के चलते वह करीब एक घंटे बाद उनको स्टेशन पर ढूंढ पाए। बिजनौर से एक  सज्जन यहां पर वकील साहब से मिलने आए थे, लेकिन एन वक्त पर मोबाइल ने ऐसा झटका दिया कि वह बीएसएनएल यूजर वकील साहब का एड्रेस पूछने तक के लिए फोन नहीं कर पाए। जी हां, यह सब हुआ बीएसएनएल का नेटवर्क ठप होने के चलते। फ्राइडे को करीब पांच घंटे तक बीएसएनल का नेटवर्क शट डाउन हो गया था. 

क्यों गायब हो गया था network 
बीएसएनल के जीएम आरएस यादव ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क का ओएसएस यानी आपरेटिंग सपोर्ट सिस्टम बनारस में लगा हुआ है। यहीं से इलाहाबाद, बनारस, कौशांबी, गोरखपुर सहित कई जिलों में मोबाइल का नेटवर्क प्रोवाइड किया जाता है। इसी ओएसएस में फ्राइडे की मार्निंग एकाएक गड़बड़ी आ गई थी, जिस कारण से इलाहाबाद, बनारस, कौशांबी, गोरखपुर सहित ईस्ट यूपी के करीब आधा दर्जन शहरों में बीएसएनएल का नेटवर्क गायब हो गया था। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना मोबाइल नेटवर्क के क्या स्थिति बनती है। अगर चेन्नई एक्सपे्रस मूवी देखी हो तो आप एक्सपीरियंस कर सकते हैं। वहां मोबाइल फेंक देने से नंबर गायब हुए थे और यहां पर नेटवर्क ही गायब हो गया. 

Relax और tension का 50-50 
रिलैक्स और टेंशन। दोनों वल्र्ड अपोजिट है। लेकिन नेटवर्क ठप होने से बीएसएनएल यूजर्स को एक साथ इन दोनों की फीलिंग हो गई।  किसी को रिलैक्स मिला तो किसी को बड़ी टेंशन हो गई। पुलिस डिपार्टमेंट, एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थ सहित दर्जनों विभागों में बीएसएनएल के सीयूजी कनेक्शन हैं। डीएम से लेकर एसएसपी और आईजी से लेकर कमिश्नर तक के मोबाइल फोन में बीएसएनएल का कनेक्शन है तो फिर वर्किंग सिस्टम थोड़ा ठप सा हो जाएगा। वहीं दूसरा पहलू यह है कि जो थानेदार बार-बार फोन की घंटी से इरिटेट होते होंगे उनको थोड़ा सा रिलैक्स भी फील हुआ है।  

Officers  के उड़े होश 
आरएस यादव ने बताया कि बनारस में लगे हुए आपरेटिंग सपोर्ट सिस्टम से तीन डिस्ट्क्टि में नेटवर्क प्रोवाइड किया जाता है। इन तीनों ही डिस्ट्क्टि को अगर मिला लिया जाएं तो करीब आठ लाख से ज्यादा बीएसएनएल को फ्राइडे को यह प्रॉब्लम झेलनी पड़ी है। एकाएक नेटवर्क गायब होने का पता चलने के बाद टेक्निकल टीम इसको दुरुस्त करने में जुट गई। उन्होंने बताया कि आपरेशन सपोर्ट सिस्टम में एसी वोल्टेज को कनवर्ट करके डीसी में भेजा जाता है। सिस्टम में गड़बड़ी आई थी कि ओएसएस ने पॉवर को डीसी में कनवर्ट करना बंद कर दिया था। मार्निंग में करीब आठ बजे ट्रेस हुई इस खराबी को दुरुस्त करने में दोपहर एक बजे तक का वक्त लग गया। करीब एक बजे के बाद बीएसएनल का नेटवर्क मोबाइल में आ पाया.