भीषण गर्मी और उमस में बेहाल हुए लोग, दर्जनों की संख्या में बेहोश

मीडियाकर्मियों की भी आई शामत, छांव और पानी की तलाश में भी भटके

ALLAHABAD: 34 डिग्री सेल्सियस तापमान और 96 फीसदी आ‌र्द्रता के बीच मौसम ने बसपा की रैली में आए लोगों का कड़ा इम्तेहान लिया। दर्जनों की संख्या में दूरदराज से आए समर्थक गर्मी से बेहोश हो गए। जैसे-तैसे पांडाल से बाहर निकले तो सिर छिपाने के लिए छांव तलाशना महंगा पड़ गया। पानी के इंतजाम उचित नहीं होने से कई लोगों का प्यास से बुरा हाल हो गया। बेहोश होने वालों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा रही।

एक घंटे लेट पहुंचीं मायावती

परेड ग्राउंड पर हुए आयोजन में लाखों की संख्या में आए समर्थकों को गर्मी के साथ भीषण उमस का सामना करना पड़ा। मौसम विभाग के अनुसार रविवार को उमस अपने चरम यानी 96 फीसदी पर थी। ऐसे में जो लोग पांडाल में मायावती का इंतजार कर रहे थे, उन्हें यह महंगा पड़ गया। हवा और पानी के अभाव में उन्होंने अपना होश खो दिया और बेहोश होकर जहां-तहां गिरते रहे। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक रही। उन्हें जैसे-तैसे इलाज मुहैया कराकर घर वापस भेजने की कवायद चलती रही।

बिना इंतजाम ठूंस दी भीड़

बसपाईयों समेत प्रशासन को पहले से लाखों समर्थकों के रैली में आने का अनुमान था, बावजूद इसके पानी के समुचित इंतजाम नहीं किए गए। गिनती के टैंकरों के भरोसे लाखों की संख्या में जनता को पांडाल में सुबह से ठूंस दिया गया। भीड़ इतनी थी कि टस से मस होना मुमकिन नहीं था। पांडालों में कूलर या पंखों का इंतजाम भी नहीं किया गया था। ऐसे में दूर से आए पुरुष और महिला समर्थकों की हालत पतली होने में देर नहीं लगी। शरीर से अधिक मात्रा में पसीना निकल जाने से कई लोग अधिक सीरियस हो गए। पांडालों में तैनात बसपा वालंटियर और पुलिसकर्मी भी बीमार लोगों की सहायता करने में असमर्थ दिखे।

मीडिया पर भी दिखा गर्मी का असर

मायावती का कार्यक्रम दोपहर बारह बजे फिक्स था लेकिन उनको परेड ग्राउंड पहुंचने में एक घंटे की देरी हो गई। यह लेटलतीफी जनता के साथ मीडियाकर्मियों को भी भारी पड़ी। देखते ही देखते कई मीडियाकर्मी कवरेज छोड़कर भाग खड़े हुए। मंच से जल्द ही मायावती पधारने वाली हैं का दिलाया दिया जाता रहा। गर्मी से आहत पब्लिक की सहायता में लगाए गए बसपा वालंटियर्स भी डंडा चमकाने में लगे रहे। मंच पर गिनती के लोगों के जाने की इजाजत के चलते बसपा के बड़े पदाधिकारी और एमएलए भी भी सिर छिपाने की जगह ढूंढते रहे। उनकी भी सुनने वाला इत्तेफाक से मौके पर कोई नहीं था।