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LUCKNOW : नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (एनएचआरसी) यूपी सरकार को नोएडा में  एक दारोगा द्वारा फर्जी एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल हुए जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि आरोपी दारोगा ने प्रमोशन की चाहत में बहन के वैवाहिक कार्यक्रम से लौट रहे जितेंद्र को गोली मार दी। मामला मीडिया की सुर्खिया बना तो कमीशन ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच की और प्रदेश सरकार को उसके परिजनों की मदद देने का आदेश जारी किया है।

यह थी घटना

गौतमबुद्धनगर स्थित गांव पार्थला निवासी जितेंद्र यादव उर्फ डम्बर जिम टे्रनर था। बीती तीन फरवरी को बरहामपुर गांव में जितेंद्र की चचेरी बहन का सगाई समारोह था। जिसमें शामिल होने के बाद रात करीब 9:30 बजे जितेंद्र चचेरे भाई धर्मेंद्र, चाचा कृपाल व मित्र सुनील जाट स्कॉर्पियो पर सवार होकर वापस लौट रहे थे। इसी दौरान जब उनकी गाड़ी सेक्टर 122 पहुंची इसी दौरान पीछे से ब्रीजा कार सवार नशे में धुत पुलिसकर्मियों ने उन्हें ओवरटेक कर श्रमिक कुंज के करीब रोक लिया। कार सवार दारोगा विजय दर्शन, पंकज, कॉन्सटेबल संजय टमटा व नरेंद्र ने उन लोगों को गाड़ी में ही गिराकर पीटना शुरू कर दिया। जितेंद्र ने जब पुलिसकर्मियों से गुनाह पूछा तो सब इंस्पेक्टर विजय दर्शन ने आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के लिये मुठभेड़ की बात कहकर जितेंद्र को गोली मार दी थी। लोगों को आता देख पुलिसकर्मी वहां से फरार हो गए। लोगों ने आनन-फानन गंभीर रूप से घायल जितेंद्र को करीब स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया। लेकिन, रीढ़ की हड्डी में गोली लगने से उसका पूरा शरीर पैरालाइज हो गया।

सरकार ने नहीं दिया जवाब

एनएचआरसी ने घटना की मीडिया में छपी खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था। जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपी दारोगा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच में पुष्टि हुई और उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी गई है। बताया गया कि घटना में शामिल रहे तीन अन्य पुलिसकर्मियों की भी तलाश जारी है। इस पर कमीशन ने सरकार से पूछा कि जब पुलिसकर्मी की संलिप्तता की पुष्टि हो गई तो पीडि़त को आर्थिक मदद क्यों नहीं दी गई। लेकिन, इस पर सरकार कोई जवाब न दे सकी। नतीजतन, कमीशन ने इस मानवाधिकारों का हनन मानते हुए जिम ट्रेनर जितेंद्र के परिजनों को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का आदेश दिया है। कमीशन ने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया है कि वे छह सप्ताह के भीतर आर्थिक मदद देकर उसकी रिसीविंग के साथ रिपोर्ट कमीशन के समक्ष प्रस्तुत करें। 

 

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