सिटी के ट्रैफिक का हाल किसी से छिपा नहीं। सडक़ों का हाल ऐसा कि कदम-कदम पर मौत अपना जाल बिछाए बैठी है। यहां लोग सुबह अपने घर निकलते तो ठीकठाक हैं लेकिन शाम को सुरक्षित पहुंचेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जब शहर की सडक़ों पर खून न बहे। यूं तो शहर की कोई रोड पब्लिक के लिए सुरक्षित नहीं लेकिन कुछ सडक़ें तो इतनी खतरनाक हैं कि वो ख्ूानी सडक़ के नाम से कुख्यात हो चुकी हैं। इन सडक़ों से गुजरते वक्त जरा सी चूक किसी को भी मौत के मुंह में धकेल सकती है। आई नेक्स्ट आपको शहर की ऐसी ही पांच सडक़ें बताने जा रहा है जिससे आप रहें अलर्ट. 
नौबस्ता-घाटमपुर रोड
सिटी में नौबस्ता से घाटमपुर जाने वाली हमीरपुर हाईवे की हालत बेहत खराब है। गड्ढे इतने बड़े कि गाडिय़ों का पूरा पहिया तक समा जाता है। जब तक पहिया बाहर आए इससे पहले ही पीछे से आ रही गाड़ी काम तमाम कर देती है। रोड की दुर्दशा की सबसे बड़ी वजह यहां से पास होने ओवरलोडेड ट्रक हैं। यमुना से मौरंग लादकर सैकड़ों ट्रक रोजाना इसी हाईवे से शहर आते हैं। दिनों दिन बढ़ता ट्रैफ्रिक लोड और एनक्रोचमेंट भी लोगों का खून बहाने के लिए जिम्मेदार है। इसलिए जब सभी आप इस रोड से निकलें तो अपनी स्पीड कम रखें और ट्रैफ्रिक रूल्स को  जरूर फॉलो करें. 
पनकी से चकरपुर रोड
पिछले हफ्ते पनकी से चकरपुर मंडी रोड पर टेम्पो पलटने से सुनीता सिंह की मौत हो गई, जबकि उसकी सास गंभीर रूप से घायल हो गई। इसी रोड पर सचेंडी के दिनेश सचान की तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई। इसी तरह रोजाना ये सडक़ किसी न किसी के खून से लाल होती है। इस रोड पर एक्सीडेंट बढऩे की वजह सब्जी मंडी को किसान नगर के चकरपुर में ट्रांसफर करना है। जिससे यहां का ट्रैफिक लोड दोगुना हो गया। यहां हाईवे पर तेज रफ्तार में गाडिय़ा चलती हैं। जिससे हादसे होने का खतरा बना रहता है। रोड किस कदर खूनी हो चुकी है, इसका अंदाजा इस आंकड़े से ही लगाया जा सकता है कि तीन महीने में यहां एक्सीडेंट में 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
सीओडी क्रॉसिंग से सरसौल रोड
सिटी में सबसे ज्यादा ट्रैफिक लोड सीओडी क्रॉसिंग से रामादेवी रोड पर रहता है। यहीं से कानपुर फतेहपुर हाईवे की शुरुआत होती है। यहां पर रोजाना औसतन दो लोगों की मौत किसी न किसी हादसे में होती है। यहां पर ज्यादातर एक्सीडेंट तेज रफ्तार की वजह से होते हैं। मरने वालों में अक्सर स्टूडेंट होते हैं। क्योंकि हाईवे पर ही कई इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए हैं। सिटी से स्टूडेंट्स बाइक या कार से कॉलेज जाते हैं. 
रामादेवी से जाजमऊ पुल 
रामादेवी से जाजमऊ रोड पर पिछले पांच सालों से ओवरब्रिज का निर्माण कार्य हो रहा है। जिसकी वजह यहां पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। ट्रक, बस समेत अन्य बड़े वाहनों की लम्बी लाइन लगी रहती है। हाईवे के दोनों ओर रेजीडेंसियल एरियाज होने से बाइक, स्कूटर, रिक्शा, आटो, टेम्पो जैसे छोटे वाहन समेत पैदल राहगीर भी जाम में फंसे रहते है। हर वक्त  वाहनों में पहले आगे जाने की होड़ मची रहती है। इसी होड़ में बाइकसवार और दूसरी छोटी गाडिय़ां ट्रक की चपेट में आ जाती हैं। पैदल यात्री भी शिकार हो जाते हैं. 
गुरुदेव टॉकिज से आईआईटी 
कल्याणपुर में गुरुदेव टॉकिज से आईआईटी रोड भी ड्रैकुला बन चुकी है। रोजाना यहां एक से दो लोगों की मौत एक्सीडेंट में होती है। इस रोड पर स्टूडेंट्स का सबसे ज्यादा आना-जाना रहता है। क्योंकि दायरे में सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, दलहन अनुसंधान, आईआईटी, वुडबाइन स्कूल, वीरेंद्र स्वरूप स्कूल और कई हॉस्पिटल्स व व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। जिसके चलते एक्सीडेंट में ज्यादातर यूथ शिकार होते हैं। यहां पर पिछले तीन महीने में 158 मौत हो चुकी हैं.
 नये पुल से यशोदानगर बाइपास 
सिटी के साउथ और नॉर्थ को कनेक्ट करने वाली ये सबसे अहम रोड है। पीक ऑवर्स में यहां बहुत रश रहता है। शहर की सबसे चौड़ी रोड होने के बावजूद इस रोड पर बहुत एक्सीडेंट्स होते हैं। खुदाई और अतिक्रमण की वजह से रोड आधी रह गई है। ऊपर से इसी रोड के किनारे ट्रांसपोर्ट नगर बसा है। सैकड़ों ट्रक यहां रोड पर खड़े रहते हैं। शाम ढलने के बाद रोड और खतरनाक हो जाती है। स्ट्रीट लाइट की सही व्यवस्था न होने से हादसों का खतरा और बढ़ जाता है। यहां पर रोजाना औसतन दो से तीन लोगों की मौत का आंकड़ा है। पिछले तीन महीने में यहां पर 186 मौत हो चुकी हैं.
ये हैं हादसे की वजह
- सिटी की ज्यादातर सडक़ों की हालत खराब है, जगह-जगह खुदाई चल रही है 
-लोग ट्रैफिक रूल्स को फॉलो नहीं करते हैं
- स्पीड लिमिट से तेज गति में गाड़ी चलाना
- नशे का सेवन कर ड्राइविंग करना
- रात में डिपर और इंडीकेटर का यूज नहीं करना
- टू व्हीलर चालक हेलेमेट का यूज नहीं करते और कारसवार सीट बेल्ट का
- सडक़ों पर एनक्रोचमेंट और पार्किंग की व्यवस्था न होना
- अंडर एज ड्राइविंग, बिना अनुभव हैवी गाडिय़ां चलाना
- सडक़ों और हाईवे पर लाइट की व्यवस्था न होना
- पूरे शहर में घूम रहे स्ट्रे एनिमल्स
 सिटी के ट्रैफिक का हाल किसी से छिपा नहीं। सडक़ों का हाल ऐसा कि कदम-कदम पर मौत अपना जाल बिछाए बैठी है। यहां लोग सुबह अपने घर निकलते तो ठीकठाक हैं लेकिन शाम को सुरक्षित पहुंचेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जब शहर की सडक़ों पर खून न बहे। यूं तो शहर की कोई रोड पब्लिक के लिए सुरक्षित नहीं लेकिन कुछ सडक़ें तो इतनी खतरनाक हैं कि वो ख्ूानी सडक़ के नाम से कुख्यात हो चुकी हैं। इन सडक़ों से गुजरते वक्त जरा सी चूक किसी को भी मौत के मुंह में धकेल सकती है। आई नेक्स्ट आपको शहर की ऐसी ही पांच सडक़ें बताने जा रहा है जिससे आप रहें अलर्ट. 

नौबस्ता-घाटमपुर रोड

सिटी में नौबस्ता से घाटमपुर जाने वाली हमीरपुर हाईवे की हालत बेहत खराब है। गड्ढे इतने बड़े कि गाडिय़ों का पूरा पहिया तक समा जाता है। जब तक पहिया बाहर आए इससे पहले ही पीछे से आ रही गाड़ी काम तमाम कर देती है। रोड की दुर्दशा की सबसे बड़ी वजह यहां से पास होने ओवरलोडेड ट्रक हैं। यमुना से मौरंग लादकर सैकड़ों ट्रक रोजाना इसी हाईवे से शहर आते हैं। दिनों दिन बढ़ता ट्रैफ्रिक लोड और एनक्रोचमेंट भी लोगों का खून बहाने के लिए जिम्मेदार है। इसलिए जब सभी आप इस रोड से निकलें तो अपनी स्पीड कम रखें और ट्रैफ्रिक रूल्स को  जरूर फॉलो करें. 

पनकी से चकरपुर रोड

पिछले हफ्ते पनकी से चकरपुर मंडी रोड पर टेम्पो पलटने से सुनीता सिंह की मौत हो गई, जबकि उसकी सास गंभीर रूप से घायल हो गई। इसी रोड पर सचेंडी के दिनेश सचान की तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई। इसी तरह रोजाना ये सडक़ किसी न किसी के खून से लाल होती है। इस रोड पर एक्सीडेंट बढऩे की वजह सब्जी मंडी को किसान नगर के चकरपुर में ट्रांसफर करना है। जिससे यहां का ट्रैफिक लोड दोगुना हो गया। यहां हाईवे पर तेज रफ्तार में गाडिय़ा चलती हैं। जिससे हादसे होने का खतरा बना रहता है। रोड किस कदर खूनी हो चुकी है, इसका अंदाजा इस आंकड़े से ही लगाया जा सकता है कि तीन महीने में यहां एक्सीडेंट में 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

सीओडी क्रॉसिंग से सरसौल रोड

सिटी में सबसे ज्यादा ट्रैफिक लोड सीओडी क्रॉसिंग से रामादेवी रोड पर रहता है। यहीं से कानपुर फतेहपुर हाईवे की शुरुआत होती है। यहां पर रोजाना औसतन दो लोगों की मौत किसी न किसी हादसे में होती है। यहां पर ज्यादातर एक्सीडेंट तेज रफ्तार की वजह से होते हैं। मरने वालों में अक्सर स्टूडेंट होते हैं। क्योंकि हाईवे पर ही कई इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए हैं। सिटी से स्टूडेंट्स बाइक या कार से कॉलेज जाते हैं. 

रामादेवी से जाजमऊ पुल 

रामादेवी से जाजमऊ रोड पर पिछले पांच सालों से ओवरब्रिज का निर्माण कार्य हो रहा है। जिसकी वजह यहां पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। ट्रक, बस समेत अन्य बड़े वाहनों की लम्बी लाइन लगी रहती है। हाईवे के दोनों ओर रेजीडेंसियल एरियाज होने से बाइक, स्कूटर, रिक्शा, आटो, टेम्पो जैसे छोटे वाहन समेत पैदल राहगीर भी जाम में फंसे रहते है। हर वक्त  वाहनों में पहले आगे जाने की होड़ मची रहती है। इसी होड़ में बाइकसवार और दूसरी छोटी गाडिय़ां ट्रक की चपेट में आ जाती हैं। पैदल यात्री भी शिकार हो जाते हैं. 

गुरुदेव टॉकिज से आईआईटी 

कल्याणपुर में गुरुदेव टॉकिज से आईआईटी रोड भी ड्रैकुला बन चुकी है। रोजाना यहां एक से दो लोगों की मौत एक्सीडेंट में होती है। इस रोड पर स्टूडेंट्स का सबसे ज्यादा आना-जाना रहता है। क्योंकि दायरे में सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, दलहन अनुसंधान, आईआईटी, वुडबाइन स्कूल, वीरेंद्र स्वरूप स्कूल और कई हॉस्पिटल्स व व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। जिसके चलते एक्सीडेंट में ज्यादातर यूथ शिकार होते हैं। यहां पर पिछले तीन महीने में 158 मौत हो चुकी हैं।

 नये पुल से यशोदानगर बाइपास 

सिटी के साउथ और नॉर्थ को कनेक्ट करने वाली ये सबसे अहम रोड है। पीक ऑवर्स में यहां बहुत रश रहता है। शहर की सबसे चौड़ी रोड होने के बावजूद इस रोड पर बहुत एक्सीडेंट्स होते हैं। खुदाई और अतिक्रमण की वजह से रोड आधी रह गई है। ऊपर से इसी रोड के किनारे ट्रांसपोर्ट नगर बसा है। सैकड़ों ट्रक यहां रोड पर खड़े रहते हैं। शाम ढलने के बाद रोड और खतरनाक हो जाती है। स्ट्रीट लाइट की सही व्यवस्था न होने से हादसों का खतरा और बढ़ जाता है। यहां पर रोजाना औसतन दो से तीन लोगों की मौत का आंकड़ा है। पिछले तीन महीने में यहां पर 186 मौत हो चुकी हैं।

ये हैं हादसे की वजह

- सिटी की ज्यादातर सडक़ों की हालत खराब है, जगह-जगह खुदाई चल रही है 

-लोग ट्रैफिक रूल्स को फॉलो नहीं करते हैं

- स्पीड लिमिट से तेज गति में गाड़ी चलाना

- नशे का सेवन कर ड्राइविंग करना

- रात में डिपर और इंडीकेटर का यूज नहीं करना

- टू व्हीलर चालक हेलेमेट का यूज नहीं करते और कारसवार सीट बेल्ट का

- सडक़ों पर एनक्रोचमेंट और पार्किंग की व्यवस्था न होना

- अंडर एज ड्राइविंग, बिना अनुभव हैवी गाडिय़ां चलाना

- सडक़ों और हाईवे पर लाइट की व्यवस्था न होना

- पूरे शहर में घूम रहे स्ट्रे एनिमल्स