विरोधियों को कहा शल्य 
हाल ही में अपनी आर्थिक नीतियों के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार काफी विरोधियों के निशाने पर रही है। इनमें विपक्षी दलों के साथ ही उनकी अपनी पार्टी और सहयोगी दल के लोग भी उन पर उंगली उठाते दिखे। जैसे पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था डूब रही है और इसकी जिम्मेदार काफी हद तक सरकार की आर्थिक नीतियां हैं। ऐसे लोगों का नाम लिए बिना अपने बयान में मोदी जी ने उन्हें महाभारत में कर्ण के सारथी शल्य का नाम दिया और कहा कि GST के बाद विकास दर के गिरने की बातें छलावा हैं ऐसा पहले भी होता रहा है और आने वाले वक्त में सब ठीक होकर अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ नयी ऊंचाइयों को छुएगी। 

5 मौके जब मोदी को घेरा गया,जवाब देकर और मजबूत हुए पीएम

नोटबंदी के बाद भी रहे विजयी

इसी तरह जब उन्होंने नोटबंदी की घोषणा की थी तो उनके विरोधियों ने कहा था कि अब उनकी सरकार की बुनियाद हिल जायेगी और सर्मथन नहीं मिलेगा। ये बातें उस समय हवा में उड़ गयीं जब उन्होंने उसके बाद हुए पांच राज्यों में से यूपी सहित चार राज्यों में उन्हें ना सिर्फ जीत मिली बल्कि उनकी पार्टी ने अपनी सरकार भी बनाई। यानि वो और मजबूत हो कर सामने आये। 

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सर्जिकल स्ट्राइक पर विरोध से भी फायदा
जब पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को वर्तमान सरकार ने सार्वजनिक किया और कहा कि उसने पिछली सरकारों ज्यादा दम खम दिखाया तो विरोधियों, जिसमें कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे, ने कहा कि ये एक गलत कदम है। राहुल ने तो ये तक कहा कि मोदी जी सैनिक के खून की दलाली कर रहे हैं, लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया और जो लोग अब तक मोदी के विरोध में थे वो सब उनकी ओर आ गए और इस बयान को राष्ट्रविरोधी कहते हुए मोदी का सर्मथन करना शुरू कर दिया। यानि इस बात से भी पीएम को फायदा हुआ और वो मजबूत हुए। 

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प्रधानमंत्री पद के लिए सही ना कहे जाने के बावजूद बने पीएम
जब सारे लोग मोदी की जगह लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद के योग्य बता रहे थे तब भी मोदी जी की मजबूती सामने आयी और अपनी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को पूरी तरह सही ठहराते हुए उन्होंने अपनी मजबूती दिखाई। इस तरह विरोधों को दरकिनार करते हुए 2014 में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया। 

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चाय वाला देश चलायेगा
जिस समय लोकसभा चुनाव की चर्चा शुरू हुई थी और नरेंद्र मोदी के पीएम कैंडीडेट चुनने की बात की गई तब भी उन्हें कमजोर दावेदार माना गया। कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने तो ये कह कर कि क्या अब एक चाय वाला देश चलायेगा उनका मजाक भी उड़ाया। पर इसी चायवाला शब्द को मोदी ने अपनी ताकत और ब्रांड बना लिया। इसके बाद सोशल मीडिया से लेकर हर जगह एक कामयाब चायवाला की तरह उनकी चर्चा होने लगी। यहां तक कि इसी छवि को कैश कराते हुए उन्होंने भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत भी दिलाई।   

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