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- दो पूर्व मंत्रियों समेत 50 से ज्यादा इंजीनियर व अफसरों का फंसना तय

- विजिलेंस की एसआईटी कर रही है जांच, जल्द सौंपेंगे शासन को रिपोर्ट

lucknow@inext.co.in
LUCKNOW: बसपा सरकार में अंजाम दिए गये 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले की जांच सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) जल्द पूरी करने जा रहा है। पांच साल बाद परवान चढ़ने जा रही इस मामले की जांच में बसपा सरकार के दो कद्दावर मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत तीन दर्जन से ज्यादा इंजीनियरों और अन्य विभागों के अफसरों का फंसना तय माना जा रहा है। तमाम दुश्वारियों के बाद विजिलेंस इस मामले में जल्द अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने की तैयारी में है हालांकि इससे पहले वह इस पर विधिक राय भी लेगी ताकि कोई भी आरोपी कानून के शिकंजे से बचने में कामयाब न हो सके। ध्यान रहे पूर्ववर्ती सपा सरकार ने लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विजिलेंस को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा था। विजिलेंस ने अपनी खुली जांच के बाद पांच साल पहले राजधानी के गोमतीनगर थाने में करीब सौ आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी।

तीन साल तक रही ठंडे बस्ते में
सूत्रों की मानें तो मुकदमा दर्ज होने के तीन साल बाद तक इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रही। यहां तक कि आरोपी पूर्व मंत्रियों के बयान तक दर्ज नहीं किए गये थे। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद विजिलेंस में स्मारक घोटाले की फाइलों पर से धूल हटानी शुरू की गयी। इसकी गहन जांच को सात इंस्पेक्टरों की एक एसआईटी टीम का गठन भी किया गया जो जल्द ही इस मामले में अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचकर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने की तैयारी में है। हालांकि इससे पहले वह दो बार विधिक राय भी लेगी। पहले विजिलेंस सेक्टर विधिक राय लेगा जिसके बाद मुख्यालय स्तर पर इसे अंजाम दिया जाएगा। तत्पश्चात शासन में अपनी रिपोर्ट पेश कर विजिलेंस सभी आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांगेगी। लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही सूबे में बढ़ती सियासी सरगर्मियों के बीच यदि यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है तो बसपा की परेशानियों में इजाफा होना तय है क्योंकि इसमें उसके मंत्रियों के साथ कई विधायकों की भूमिका भी है।

डेढ़ साल पहले मांगी थी अनुमति
ध्यान रहे कि विजिलेंस ने डेढ़ साल पहले स्मारक घोटाले के दो आरोपों की जांच पूरी कर शासन से आरोपितों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी समेत तमाम इंजीनियरों और खनन महकमे के निदेशक व संयुक्त निदेशक के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगे जाने का यह मामला गृह विभाग में लंबित है। बताते चलें कि विजिलेंस ने भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के तत्कालीन निदेशक रामबोध मौर्या, संयुक्त निदेशक सुहेल अहमद फारुकी, निर्माण निगम के सीपी सिंह, राकेश चंद्रा, केआर सिंह, राजीव गर्ग, एके सक्सेना, एसके त्यागी, कृष्ण कुमार, एस। कुमार, पीके शर्मा, एसएस तरकर, बीके सिंह, एके गौतम, बीडी त्रिपाठी, एके सक्सेना, एसपी गुप्ता, एसके चौबे, हीरालाल, एसके शुक्ला, एसएस अहमद, राजीव शर्मा, एए रिजवी, पीके जैन, राजेश चौधरी, एसके अग्रवाल, आरके सिंह, केके कुंद्रा, कामेश्वर शर्मा, राजीव गर्ग, मुकेश कुमार, एसपी सिंह, मुरली मनोहर सक्सेना, एसके वर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।

दोनों मंत्रियों ने छोड़ी बसपा
स्मारक घोटाले की जांच की जद में आए दोनों मंत्रियों बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब बसपा से किनारा कर चुके हैं। बाबू सिंह एनआरएचएम घोटाले में शिकंजा कसने के बाद राजनीति की मुख्यधारा में वापस आने के कई प्रयास करने के बाद भी विफल रहे तो नसीमुद्दीन पैसों के लेन-देन को लेकर हुए मनमुटाव के बाद बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये। ध्यान रहे वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां सपा ने सत्ता में आने पर स्मारक घोटाले की जांच कराने का दावा किया था तो वहीं वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान भाजपा ने भी स्मारक घोटाले को लेकर बसपा पर जमकर निशाना साधा था।

स्मारक घोटाले की जांच जल्द पूरी करने का हम पूरा प्रयास कर रहे है। जल्द ही सभी आरोपों की विवेचना पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे पहले दो बार विधिक राय भी ली जानी है ताकि आरोपितों पर कानून का शिकंजा कसने में कोई अड़चन न आ सके।

हितेश चंद्र अवस्थी डीजी, विजिलेंस

फैक्ट मीटर

- 2007 से 2012 के बीच नोएडा, लखनऊ में स्मारक और पार्को का हुआ निर्माण

- 2012 में सपा सरकार बनने के बाद लोकायुक्त संगठन को सौंपी गयी जांच

- 2013 में लोकायुक्त संगठन ने अपनी जांच पूरी कर राज्य सरकार को दी रिपोर्ट

- 14 अरब रुपये का घोटाला होने का लोकायुक्त संगठन ने रिपोर्ट में किया दावा

- 199 मिले दोषी, दो पूर्व मंत्री, खनन, निर्माण निगम, पीडब्ल्यूडी के अफसर शामिल

- 01 जनवरी 2014 को विजिलेंस ने गोमतीनगर थाने में दर्ज कराया घोटाले का मुकदमा