DEHRADUN:

3 जुलाई 2009

रायपुर थाना की आराघर चौकी का लाडपुर का जंगल

बागपत के एमबीए छात्र रणवीर (22) की लाश मिली, शव पुलिस की गोलियों से छलनी था।

पुलिस की कहानी-

बाइक पर रणवीर के साथ दो युवक सवार थे। डालनवाला थाना पुलिस ने वीआईपी विजिट के चलते चेकिंग के लिए रोका तो रणबीर एसआई जीडी भट्ट से हाथापाई कर उसकी सर्विस रिवाल्वर छीनकर भाग गया। पुलिस ने पीछा किया तो बाइक छोड़ भागने लगा। पुलिस पर फायर किए, जवाबी पुलिस फायरिंग में वह मारा गया और साथी भाग गए। इस संबंध में एक थाना डालनवाला में एक एफआईआर पुलिस की तरफ से दर्ज की गई थी।

18 पुलिस वाले फंसे थे

सीबीआई ने इस मामले में लंबी जांच पड़ताल के बाद देहरादून पुलिस के 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।

पिता ने कराया था हत्या का मामला

6 जुलाई 2009

मृतक के पिता रवींद्र पाल की रिपोर्ट पर रायपुर थाने में पुलिस स्टेशन में रणवीर की हत्या का मामला दर्ज कर जांच सीबी सीआईडी को दी गई। पुलिस पर फेक एनकाउंटर के आरोप लगे तो देहरादून सुलग उठा। पोस्टमार्टम के दौरान अस्पताल के बाहर पुलिस और रणवीर के परिजनों के साथ प्रदर्शन कारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। मामले में भाकियू के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह टिकैत देहरादून आए और पुलिस के खिलाफ फेक एनकाउंटर करने का बखेड़ा बढ़ता गया।

हाईप्रोफाइल हो गया था केस:

-रणवीर सिंह गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र का रहने वाला था। उसके पिता ने राजनाथ सिंह से बेटे का फेक एनकाउंटर होने की शिकायत की। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने देहरादून में रणबीर की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे तो बखेड़ा बढ़ गया। तत्कालीन निशंक सरकार बैकफुट पर आ गई और केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया।

जांच सीबीआई को- 29 जुलाई 2009

राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की। जिसे सेंट्रल होम मिनिस्ट्री ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसी नोटिफिकेशन के आधार पर 30 जुलाई 2009 को सीबीआई ने आईपीसी की धारा 147, 148,149,302 एवं 506 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

सीबीआई की जांच में फेक एनकाउंटर

सीबीआई ने मामले की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि जीडी भट्ट एसआई व रणवीर सिंह और उसके साथियों के बीच हाथापाई हुई, रणवीर मौके से जीडी भट्ट की सर्विस रिवाल्वर लेकर भाग गया। पीछा करते हुए पुलिस ने मोहिनी रोड चौराहा ग्ररुद्वारा के समीप देहरादून से गिरफ्तार कर लिया और उसे उसी दिन देहरादून के लाडपुर के जंगल में फंर्जी एनकाउंटर कर मार डाला गया। सीबीआई ने निर्धारित अवधि में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चालान पेश कर दिया।

ट्रायल दून से दिल्ली-17 मार्च 2011

मृतक रणवीर के पिता रवींद्र पाल ने सुप्रीम कोर्ट में मामले का ट्रायल ट्रांसफर करने की याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले का ट्रायल देहरादून से नई दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था।

पहली बार सभी आरोपी दोषी: 6 जून 2014

सीबीआई मामलों की विशेष अदालत तीस हजारी कोर्ट नई दिल्ली ने बागपत के रणवीर सिंह कथित फर्जी एनकाउंटर केस में 18 पुलिसकर्मियों तत्कालीन निरीक्षक संतोष कुमार जायसवाल, गोपाल दत्त भट्ट, राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन चौहान, चंद्र मोहन सिंह रावत सभी पांच सब इंस्पेक्टर, हमराह अजीत सिंह, सतबीर सिंह, सुनील सैनी, चंद्र पाल, सौरभ नौटियाल,नागेन्द्र राठी, विकास बलूनी, संजय रावत, मोहन सिंह राणा, इंद्र भान सिंह, मनोज कुमार और तत्कालीन पुलिस कंट्रोल रूम जसपाल सिंह गोसाईं को दोषी ठहराया था।

17 को उम्रकैद: 9 जून 2014

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने अपने फैसले में तत्कालीन 17 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद और 1 को दो वर्ष की सजा सुनाई थी। सभी पर जुर्माना लगाया गया था और जुर्माना राशि मृतक के पिता को देने के आदेश दिए थे। जुर्माने की रकम को मुआवजे के लिए पर्याप्त नहीं मानते हुए केस दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी को भेज कर मुआवजे की संतुति की गई थी।

फैसले के खिलाफ अपील: सितंबर 2014

तीस हजारी कोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पुलिसकर्मियों ने एक एक कर दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने इस केस की फिर से सुनवाई शुरू की और मामले में निर्णय दिया।

अब 7 सिर्फ दोषी,11 आरोप मुक्त:

ट्यूजडे को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों की याचिका मामलों पर सुनवाई करते हुए 7 पुलिसकर्मियों निरीक्षक सहित पांच सब इंस्पेक्टर और एक हमराह मामले में दोषी माना है। इस मामले में सीबीआई कोर्ट के निर्णय में दोषी अन्य 11 पुलिसकर्मियों को आरोप मुक्त कर दिया। जिन्हें दोषी माना गया वे सभी अभी भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं और अन्य पुलिसकर्मियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।