-शहर के निचले इलाकों में बढ़ा लोगों का सिरदर्द, नाते-रिश्तेदारों से बढ़ाया मेल

-बाढ़ आने पर मिलता है सरकारी शेल्टर्स में आसरा, दो मंजिला मकान वालों को राहत

ALLAHABAD: नदियां धीरे-धीरे खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं जिससे शहर के निचले इलाकों में रहने वालों के कान खड़े हो गए हैं। उन्होंने अभी से ठिकाने की तलाश शुरू कर दी है। कोई नाते-रिश्तेदारों के यहां मेलजोल बढ़ा रहा है तो किसी को सरकारी शेल्टर का सहारा नजर आने लगा है। पल-पल नजदीक आता नदियों का पानी उनकी दिलों की धड़कनें बढ़ा रहा है। इस बीच गुरुवार को गंगा का पानी बंधवा हनुमान मंदिर के काफी नजदीक पहुंच गया जिससे भक्तों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।

दो मंजिला मकान वालों को मिलती है राहत

बघाड़ा, सलोरी, ओम गायत्री नगर, ईश्वर शरण कालोनी, राजापुर कछार, करेली सहित शहर के दर्जनों मोहल्लों में रहने वाले लाखों लोग बाढ़ आने पर बेघर हो जाते हैं। इस दौरान उन्हें सरकारी शेल्टर या रिश्तेदारों के यहां ठिकाना ढूंढना पड़ता है। अहम बात यह है कि इन इलाकों में जिनके मकान दो या तीन मंजिला हैं, उन्हें राहत मिल जाती है। वह बाढ़ के दौरान ऊपरी मंजिल में पलायन कर जाते हैं। करेली में ख्0क्फ् में जबरदस्त बाढ़ आई थी। यहां रहने वाले मो। इस्माइल बताते हैं कि उस दौरान तीन दिन तक दूसरी मंजिल में रहने के बाद मजबूरी में नाव के जरिए परिजनों को बाहर निकालना पड़ा था।

सरकारी शेल्टर्स पर मिलता है खाना

हजारों लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बाढ़ आने पर स्कूल-कॉलेजों में बनाए जाने वाले सरकारी शेल्टर्स में ठहराया जाता है। यहां पर उनको रहने, सोने समेत दोनों टाइम भोजन व नाश्ता दिया जाता है। इस बार भी प्रशासन ने बाढ़ की आशंका से सरकारी ठिकाने बनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रत्येक निचले इलाके में इस तरह के शेल्टर बनाए जाते हैं। इनको चिह्नित किया जा चुका है। बाढ़ आने के बाद इनको शुरू कर दिया जाएगा।

मंदिर के समीप पहुंची गंगा

गंगा नदी का पानी गुरुवार दोपहर बंधवा हनुमान मंदिर की चौखट पर पहुंच गया जिससे भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने जय बजरंग बली और हर-हर गंगे का उद्घोष कर पूजा-अर्चना की। उम्मीद की जा रही है कि देर शाम तक पानी मंदिर में गंगा का पानी प्रवेश कर जाएगा। उधर, दोनों नदियों में उफान गुरुवार को भी जारी रहा। पिछले चौबीस घंटों में छतनाग में 97 सेमी, नैनी में 8क् सेमी और फाफामऊ में 9म् सेमी जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सिंचाई विभाग बाढ़ प्रखंड का कहना है कि भविष्य में नदियों में उफान ऐसे ही जारी रहने की उम्मीद है।

राजस्थान और एमपी का पानी जिम्मेदार

नदियों में यह उफान राजस्थान और मध्य प्रदेश में हो रही ताबड़तोड़ बारिश की वजह से है। सिंचाई विभाग का कहना है कि यह हालात अभी बने रह सकते हैं, क्योंकि इन प्रदेशों से आने वाली केन, बेतवा, चंबल आदि नदियों का पानी यमुना में मिल रहा है जिससे इलाहाबाद में बाढ़ के हालात पैदा होते जा रहे हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने की स्पीड में कमी जरूर आ सकती है। बाढ़ के खतरे देखते हुए दारागंज और बक्शी बांध के स्लूज गेट भी बंद कर दिए गए हैं।

गुरुवार का जलस्तर

फाफामऊ- 8क्.फ्0 मीटर

छतनाग- 80.ब्क् मीटर

नैनी- 80.9भ् मीटर

कमिश्नर ने दिए एसटीपी चालू रखने के निर्देश

बाढ़ के खतरे को देखते हुए गुरुवार को कमिश्नर राजन शुक्ला ने संगम, दशाश्वमेघ घाट, दारागंज आदि इलाकों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि नदियां अभी खतरे के निशान से काफी नीचे हैं। पानी भी धीमी गति से बढ़ रहा है। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के इंतजाम के साथ पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है। एसटीपी चालू रखने और स्लूज गेट बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मौके पर नगर आयुक्त देवेंद्र पांडेय, सिंचाई विभाग बाढ़ प्रखंड के अधिशासी अभियंता मनोज सिंह, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के जीएम अजय रस्तोगी आदि मौजूद रहे।

इनसेट बॉक्स

तटीय इलाकों में रहने वालों का दर्द न जाने कोय

राजरूपपुर में रहत हैं ताऊ, उनके घर में रहेंगे

सलोरी के रहने विनोद सिंह कई बार बाढ़ का दंश झेल चुके हैं। जब भी इस बार भी नदियों में आए उफान ने उनका सिरदर्द बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि बाढ़ आने पर मजबूरी में अपने रिश्तेदारों के यहां कई दिनों तक रहना पड़ता है। पानी उतरने के बाद हम वापस आते हैं। उनके ताऊ राजरूपपुर में रहते हैं, जिनके घर में उनका परिवार रहने जाता है। इसी तरह सदियाबाद के विवेक कुमार का मकान भी गंगा किनारे है। बाढ़ आने पर वह अपने किसी न किसी रिश्तेदार के यहां ठिकाना ढूंढ लेते हैं।

- इस बार भी बाढ़ के हालात बन रहे हैं। इसके बाद घर छोड़कर जाना हमारी मजबूरी हो जाती है। हजारों लोग इस परिस्थिति से प्रभावित होते हैं।

रोहित मौर्य

-पिछले सालों में आई बाढ़ ने सभी को हिलाकर रख दिया था। नदियों के किनारे रहने वालों को नदियों में आए उफान का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

विशेष शर्मा

-पानी घरों में घुस आता है, जिसके बाद मजबूरी में हम लोगों को सरकारी ठिकानों का रुख करना पड़ता है। खाने के लिए लाइन लगानी पड़ती है।

नीलू देवी

-लगभग हर साल बाढ़ आती है बावजूद इसके अभी तक इस हालात से निपटने के स्थाई इंतजाम नहीं हुए हैं। हर बार पब्लिक को परेशान होना पड़ता है।

नैनसी मौर्य

-बाढ़ आने के बाद जब लोग घर छोड़कर चले जाते हैं तो पीछे से चोर इसका फायदा उठाते हैं। परेशान लोगों के घर से हजारों-लाखों का माल चोरी हो जाता है।

शनि

- इस बार भी बाढ़ृ के हालात बने हुए हैं। पता नहीं कब नदी का पानी घरों में घुस जाएं। ऐसे हालात से तटीय इलाकों के लोग डरे हुए हैं।

राहुल