रखरखाव न होने से खराब हो चुके हैं कंपोस्टिंग प्लांट

300 जगहों पर कंपोस्टिंग यूनिट बनाने का था लक्ष्य

Meerut । स्वच्छता सर्वेक्षण शुरु होकर खत्म भी हो गया, लेकिन न तो शहर के हालत बदले और ना ही शहर की साफ सफाई में कोई बदलाव आया। जो दावे निगम द्वारा दो माह पहले किए जा रहे थे वो दावे हवाई साबित हो रहे हैं। नगर के कूडे़ से बिजली और सीएनजी बनाने के दावे से लेकर कूडे़ को कंपोस्ट कर खाद बनाने और बेचने का दावा सब हवा हवाई साबित हो रहे हैं। निगम द्वारा करीब 300 से अधिक जगहों और स्कूल कॉलेज परिसर में बनाए गए कंपोस्टिंग प्लांट में खाद बनने की बजाए कूड़ा सड़ रहा है, लेकिन निगम ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है।

70 प्रतिशत प्लांट हुए बर्बाद

अभियान के तहत शहर में 300 के करीब जगहों पर कंपोस्टिंग यूनिट बनाने का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें शहर के स्कूल कॉलेज, संस्थानों, आरडब्लूए, होटल, अस्पताल व कार्यालयों समेत विवि और जेल परिसर भी शामिल किए। अधिकतर योजना के तहत जेल और विवि परिसर को जीरो वेस्ट कैंपस भी घोषित कर दिया गया है। लेकिन रखरखाव के अभाव में आज 70 प्रतिशत कंपोस्टिंग प्लांट खराब हो चुके हैं।

जिसका परिसर उसकी जिम्मेदारी

निगम की मानें तो कंपोस्टिंग यूनिट बनाने में निगम द्वारा केवल मदद की गई थी। खाद, केंचुए और मशीन उपलब्ध कराई गई थी लेकिन उसके रखरखाव का जिम्मा खुद परिसर संचालक का था। यानि जिस स्कूल या कॉलेज में प्लांट लगा है उस स्कूल या कालेज का प्रबंधन उसकी देखभाल करेगा। ऐसे में अब निगम द्वारा नियमित निगरानी तो दूर कंपोस्ट खाद की जांच भी नही की जा रही है।

तीन माह बाद भी नही बनी खाद

कंपोस्टिंग यूनिट में केंचुओं की मदद से कूडे़ को कंपोस्ट कर खाद बनाने के लिए दो से तीन माह के समय के लिए गड्ढे में दबा दिया गया था। लेकिन रखरखाव के अभाव में कंपोस्टिंग यूनिट पर खाद बनने के बजाए कूड़ा सड़ता जा रहा है। हालत यह है कि कूड़ा यूनिट के गड्ढे में दबाने के बजाए आसपास ढेर लगाया जा रहा है। इस कूडे़ से खाद बनना तो दूर केंचुए तक गड्ढे से बाहर आकर मर रहे हैं और यूनिट के अंदर बाहर कूड़ा सड़ रहा है।

कंपोस्टिंग यूनिट की देखभाल का जिम्मा परिसर प्रभारी का है निगम द्वारा कर्मचारी भी यूनिट की निरीक्षण कर रहे हैं।

- गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी