डेंगू मच्छर नहीं मार पाती फॉगिंग मशीन

इस धुएं से उसकी मौत नहीं हो पाती है। क्योंकि जिस वक्त यह पनपते हैं या फिर पटनाइट्स पर हमला करते हैं उस वक्त फॉगिंग हो ही नहीं पाती है। यही नहीं हर वार्ड के लिंक रोड पर फॉगिंग नहीं होने से भी मच्छर बिंदास यहां-वहां घूमते रहते हैं, लेकिन फॉगिंग के धुएं इन मच्छरों तक नहीं पहुंच पाते हैं। पीएमसीएच के माइक्रो बायोलॉजी के डॉ। विजय ने बताया कि एडिस मच्छरों पर असर तब होगा जब उस एरिया में जाकर फॉगिंग हो, फॉगिंग का धुआं किसी न किसी रूप में घरों तक पहुंचे, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।

आधे घंटे में असर हो जाता कम

फिजिशियन डॉ। अभिजीत सिंह की मानें तो डीजल के धुएं का असर आधे घंटे से अधिक नहीं रहता है। अगर उसमें केमिकल की मात्रा सही रहती है तो उसका असर दो से चार घंटे तक रहता है। फिर दुबारा मच्छर का आना शुरू हो जाता है। ऐसे में हर छह घंटे में दुबारा फॉगिंग होनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। लिहाजा मच्छर के ग्रोथ को कम नहीं कर पाते हैं और वो दिन ब दिन बढ़ता ही जाता है। वहीं आईएमए के प्रेसीडेंट डॉ। राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि घरों तक प्रॉपर फॉगिंग होने पर ही डेंगू से बचा जा सकता है। इसके साथ-साथ लोगों में अवेयरनेस की भी काफी है। इस पर आईएमए भी काम कर रहा है।