किसी भी बात पर। दरअसल पेट की आग सीधे दिमाग तक पहुंचती है। गरमी का मौसम है। इस आग से जितना बचकर रहेंगे उतना ही फायदेमंद रहेगा।

कंट्रोल हो सकता है
गुस्सा एक ह्यूमन इमोशन है। गुस्से पर हुई कई रिसर्च भी ये साफ करती हैैं कि गुस्सा ब्रेन का न्यूरोलॉजिकल फंक्शन है जिसे डाईट, न्यूट्रीशन और बिहेवियरल मॉडिफिकेशन से कंट्रोल किया जा सकता है। साल 1998 में आई किताब चेंज योर ब्रेन, चेंज योर लाइफ में भी एंटी एंगर डाइट का जिक्र किया गया है। इसके ऑथर डॉ। डैनिल ऐमेन ने भी पुष्टि की है विटामिन, न्यूट्रीएंट्स, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, थाइरोसिन, बी-कॉम्प्लेक्स और कुछ सप्लीमेंट्स दिमाग को बेहतर रिस्पॉड कराने और नेगेटिव इमोशन्स को कंट्रोल करने में हेल्पफुल हैैं। डॉ। ऐमेन ने इस किताब में ये भी दावा किया कि अगर 30 दिनों तक हेल्दी डाइट ली जाए तो स्ट्रेस फ्री लाइफ जी सकते हैैं।

गुस्सा बढ़ाता है
अकेलापन, परेशानियां और दुख के समय ये गुस्सा और भी ज्यादा विकट हो जाता है। गुस्सा एक एपिसोडिक इमोशन है, लेकिन अगर गुस्सा करने वाले का पेट भरा हो तो इस गुस्से से होने वाले बुरे प्रभाव मसलन ब्रीदिंग फास्ट होना, पल्स रेट का बढऩा, ब्लड प्रेशर का बढऩा, बॉडी में सेंसेशन होना आदि को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। साल 2009 में यूरोपियन जरनल्स ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशंस द्वारा पब्लिश हुई स्टडी में बताया गया किसी भी सप्लीमेंट में 7 ग्राम जिंक ग्लूकोनेट किसी महिला को दिया जाए तो वो अपने गुस्से के साथ डिप्रेशन से भी बाहर निकल सकती है।

ये है एंटी एंगर फूड

विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स
जब इंसान को गुस्सा आता है तो बॉडी में होमोसिस्टीन की मात्रा बढ़ जाती है। होमोसिस्टीन एक तरह का अमीनो एसिड है जो दिल, हार्ट स्ट्रोक, एल्जाइमर, मिसकैरेज और हाइपोथाइरॉडिज्म के लिए जिम्मेदार होता है। विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स इसके लेवल को कम कराता है।

कार्बोहाइड्रेट
खाने में मौजूद कुछ एलिमेंट्स न्यूरोट्रांसमीटर जो केमिकल मेसेंजर होते हैैं और किसी भी जानकारी को सेल्स से ब्रेन तक पहुंचाने का काम करते हैं। दिमाग में मौजूद एक अहम न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन हमारी अच्छी फीलिंग्स के लिए रिस्पॉसेबल होता है। सेरोटोनिन के कम होने पर गुस्सा, स्ट्रेस और डिप्रेशन होता है। कार्बोहाइड्रेट फूड ब्लड में इंसुलिन निकालता है जो ब्लडस्ट्रीम से अमीनो एसिड को क्लीयर करके ट्रेप्टोफान बनाता है और यही ट्रेप्टोफान सेरोटोनिन में कन्वर्ट होता है।

प्रोटीन
डाइजेशन के दौरान प्रोटीन अमीनो एसिड कांस्टीटेंस्ट्स को ब्रेक करता है। ये अमीनो एसिड थाइरोसिन को इंक्रीज करता है जो नोरेपाइनफेरिन डोपामिन, एपिनेफेरिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स को एक्टिवेट करता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर्स एलर्ट फील और एनर्जेटिक फील के लिए रिस्पांसेबल होता है।

कॉफी
हर रोज एक या दो कप कॉफी एंटीडिप्रेशन का काम करती है। फोलिक एसिड, सेलिनियम और फैटी एसिड भी डिप्रेशन से लडऩे में हेल्पफुल है। ब्राजील नट्स, सनफ्लावर सीड्स और होल ग्रेन सेलिनियम का अच्छा सोर्स हैं। यही सेलिनियम मूड को नॉरमल करने में मददगार साबित होता है। इसके अलावा ढेर सारी बैरिज जिनमें ब्लू बैरिज, रसबैरिज, गोजी बैरिज को खाना चाहिए। इनमें हाई लेवल एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाए हैं जो रेड सैल्स को डैमेज होने से बचाते हैं।

कुछ मीठा हो जाए
कुछ भी मीठा जो आपके खुशी देता हो उसे खाना चाहिए क्योंकि मीठा मूड बूस्टर होता है। कुछ भी मीठा जिसमें शुगर और फैट ज्यादा हो उससे ब्रेन एंडोफिंस रिलीज करता है जो मूड और बॉडी को शांत करता है।

"ये बात तो सही है, घर में अगर बच्चों की पसंद का खाना बना दो बच्चे खुश रहते हैं और हसबैंड की पसंद का खाना स्पेशली डिनर में बनाओ तो उनका मूड काफी कूल हो जाता है। अगर पति का फेवरेट खाना बनाओ और वो कितना भी गुस्सा हों खाना देखते ही थोड़ी सी स्माइल तो चेहरे पर आ ही जाती है। खाना खत्म होने तक उनका मूड भी ठीक हो जाता है."
-संगीता श्रीवास्तव, प्रोफेशनल