- संगरुर से आए प्रोफेसर ने की अरबी पर रिसर्च

- अरबी का आटा बनाकर करेंगे यूटिलाइजेशन

AGRA। हर साल बर्बाद होती फसल का उपयोग करने के लिए नई पहल की गई है। इन फसलों को बर्बाद होने से रोकने के लिए कई टैक्नीक का सहारा लिया गया है, ताकि फूड का वेस्टेज रोका जा सके। सिटी के आरबीएस टैक्निकल कैंपस में मंडे से शुरु हुए इंटरनेशनल सेमिनार में संगरुर से आए प्रोफेसर एचके शर्मा ने सब्जियों की बर्बादी रोकने के लिए रिसर्च की है। उन्होंने अरबी का आटा बनाकर सही उपयोग करने की सलाह दी।

अरबी पर पहला प्रयोग

डॉ। शर्मा ने पहला प्रयोग अरबी पर किया है। उन्होंने अरबी का आटा बनाकर इसकी बर्बादी रोकने की सलाह दी है। डॉ। शर्मा बताते हैं कि इस आटे को कई टेक्नीक मिलाकर बनाया जाता है। इससे चिप्स, केक में उपयोग किया जाता है। वे बताते हैं कि अरबी एक कंदमूल सब्जी है, जो जमीन में होती है। इसमें 70 से 80 परसेंट स्टार्च होता है, जो जल्द नष्ट हो जाती है। उन्होंने इसे रोकने के लिए नया प्रयोग किया है। उनका कहना है कि अरबी पर उनका प्रयोग सफल होने के बाद वे आलू और अन्य कंदमूल फलों पर अपनी रिसर्च करेंगे।

पाचक है अरबी का आटा

डॉ। हरीश शर्मा के अनुसार इसे टैरो फ्लोर कहा जाता है। अरबी के चिपचिपे और छोटे साइज के स्टार्च कणों के होने से अरबी का आटा पाचक है। उनका कहना है कि टैरो फ्लोर की भौतिक, कार्यात्मक और पोषण तत्वों की जांच में पता लगा है कि ये चावल का आटा, अरहर और गेहूं के आटे से कहीं ज्यादा फायदेमंद है।

सही यूटिलाइजेशन करना है उद्देश्य

पंजाब के संगरुर के लोंगोवाल के संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के फूड इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एचके शर्मा का कहना है कि इंडिया में हर साल ख्0 परसेंट तक सब्जियां खराब हो जाती हैं। इनका सही यूटिलाइजेशन नहीं हो पाता है। इसके लिए उन्होंने कंदमूल फल और सब्जियों से शुरुआत की है।

फूड सेविंग पर चर्चा

सिटी के बिचपुरी स्थित आरबीएस इंजीनियरिंग टेक्निकल कैंपस में फूड टैक्नोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा प्रौद्योगिकी और जैविक विकल्पों से खाद्य सुरक्षा और मूल्य संवर्धन पर इंटरनेशनल कांफ्रेस आयोजित की गई। तीन दिवसीय कांफ्रेंस का उद्घाटन राज्य सभा सांसद प्रो। रामगोपाल यादव, राज्यमंत्री रामसकल गुर्जर, यूपीटीयू रजिस्ट्रार डॉ। यूएस तोमर ने किया। कार्यक्रम के संयोजक एबीलाल ने बताया कि इस कांफ्रेस में 80 से ज्यादा ओरल प्रजेंटेशन और क्ख्भ् पोस्टर प्रजेंटेशन होंगे। साथ ही ग्लोबल वार्मिग और पर्यावरण प्रदूषण की वजह से होने वाली खाद्य समस्याओं के निवारण के बारे में बताया। इसमें जर्मनी, टर्की, इथोपिया, बेल्जियम, फ्रांस, यूएसए, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों से प्रोफेसर्स भाग ले रहे हैं।