- रिपोर्ट बताएगी कटरी में पंजों के निशान बाघ के या किसी अन्य जानवर के

-पूरे कटरी क्षेत्र में हर तरफ बाघ की चर्चा, ग्रामीणों में दहशत

UNNAO: गंगा बैराज, कन्हवापुर की कटरी में मिले पंजों के निशानों का ¨प्रट जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है। इससे यह साफ हो सके कि कटरी में मिले पंजों के निशान बाघ के ही हैं या किसी अन्य जानवर के। सोमवार की शाम तक विशेषज्ञों की टीम कटरी नहीं पहुंच सकी थी। हालांकि, वन विभाग के कर्मचारी जरूर मौका मुआयना करते नजर आए। ग्रामीणों ने खेतों के आगे फिर से बाघ के पंजे देखे जाने की बात कही है।

बेस कैंप से कुछ दूरी पर

बाघ के वापस लौटने की खबर जंगल में आग की तरह आसपास के गांवों में भी पहुंच गई है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त है। बता दें करीब छह माह बाद कन्हवापुर की कटरी में स्थित जगन्नाथ के खेतों के पास ग्रामीणों ने बाघ द्वारा नीलगाय का शिकार किए जाने की बात बता कर फिर से हड़कंप मचा दिया। यह स्थान पिछली बार बनाए गए विशेषज्ञों के बेस कैंप से कुछ ही दूरी पर स्थित है। सोमवार को भी ग्रामीणों ने आसपास बाघ के पंजों के निशान देखे जाने की बात बताई। छह माह तक बाघ के गायब रहने के बाद अचानक फिर से जानवरों पर हमला शुरू करने से लोगों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस बात की जानकारी वन विभाग को होने के बाद सोमवार को पंजों का ¨प्रट पीओपी के माध्यम से लेकर लखनऊ जांच को भेजा गया है। टीम ने बाघ की पुष्टि के लिए यह कदम उठाया है।

कटरी में भरा पानी बनेगा अवरुद्ध

वर्तमान में गंगा का जलस्तर बढ़ने से कटरी क्षेत्र में भी पानी भर गया है। इससे विशेषज्ञों की टीम को बाघ को पकड़ने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जबकि, बाघ जमीन पर चलने के साथ ही पानी में भीच्अच्छा तैराक होता है। पिछली बार टीम मौके पर एक ¨पजड़ा और जाल छोड़ गई थी, जो चलने वाले आपरेशन में टीम के दोबारा काम आएगा।

नहीं शुरू हो सकी कां¨बग

विशेषज्ञों की टीम सोमवार की शाम तक कन्हवापुर की कटरी नहीं पहुंच सकी थी। टीम पहुंचने के बाद अपनी तैयारियां पूरी करने में दो से तीन दिन का समय लेगी। अभियान को सफल करने के लिए पवनकली व गंगाकली की वापसी भी संभव है।

विशेषज्ञों की टीम पहुंचते ही कां¨बग शुरू कर दी जाएगी। जांच में यह साफ हो जाएगा कि पंजों के निशान बाघ के ही हैं या किसी अन्य के। बाघ की पुष्टि होने के बाद आपरेशन को तेजी से शुरू कर दिया जाएगा।

- राजीव मिश्रा, वन क्षेत्राधिकारी