- केजीएमयू के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में चल रहा इलाज

- संस्था ने भर्ती कराने के बाद नहीं लिया हालचाल

- संस्था ने केजीएमयू के कर्मचारियों पर इलाज न करने का लगाया आरोप

LUCKNOW: मेंटली चैलेंज्ड चिल्ड्रेन के लिए काम करने वाली बैलून ऑर्गेनाइजेशन केजीएमयू के पीडियाट्रिक विभाग में एक बच्चे को भर्ती कराकर भूल गई। इस ऑर्गेनाइजेशन को कई बार केजीएमयू प्रशासन को कॉल कर बच्चे को डिस्चार्ज कराने को कहा गया, लेकिन संस्थान की तरफ से कोई जवाब न मिलने पर अब केजीएमयू प्रशासन इसकी शिकायत डीएम व एसएसपी से करने की तैयारी में है। ताकि बच्चे को उसकी फैमिली या संस्था में वापस भेजा जा सके। उधर बैलून ऑर्गेनाइजेशन के मेम्बर्स का कहना है कि केजीएमयू के कर्मचारी बच्चे का इलाज नहीं करना चाहते हैं, इसलिए बार-बार डिस्चार्ज करने का दबाव बना रहे हैं। बच्चे का नाम फुटबॉल है, जिसका इलाज फिलहाल केजीएमयू में चल रहा है।

फुटबाल को फरवरी में कराया था एडमिट

बैलून ऑर्गेनाइजेशन ने फरवरी में 'फुटबाल' (क्0) को केजीएमयू के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में भर्ती कराया गया था। फुटबाल की बॉडी पर दाने निकले हुए थे और वह कुछ बोल भी नहीं पा रहा था। डॉक्टर्स ने उसका इलाज शुरू किया। अब वह लगभग ठीक हो चुका है। वह स्वयं खाना पानी मांग लेता है और दाने व इंफेक्शन भी कंट्रोल हुआ, लेकिन फैमिली के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पा रहा। उसे वापस भेजने के लिए बैलून संस्था के संचालकों को कॉल की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जिसके बाद केजीएमयू प्रशासन अब मामले की जानकारी जिला प्रशासन और एसएसपी को देने की तैयारी में है।

बैलून ने खारिज किए आरोप

बैलून ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य एसएस ढपोला ने बताया कि बच्चे को एसीएम ब् ने पांच साल पहले संस्था को सौंपा था। वह बोल भी नहीं पाता है और उसे झटके भी आते थे। उसका लोहिया अस्पताल में इलाज कराया जाता था और वह ठीक भी हो जाता था। लेकिन जनवरी में उसे महीने में ब्0 से भ्0 फिट्स या झटके आए, जिसके बाद लोहिया अस्पताल ले गए। वहां पर डॉक्टर्स ने बलरामपुर रिफर कर दिया। जहां पर महीने भर इलाज चला, लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि पेशेंट का सर्वाइवल मुश्किल है और आगे इलाज के लिए केजीएमयू रिफर कर दिया। यहां इलाज के दौरान हमारी संस्था का एक कर्मचारी रियाज फुटबॉल की देखभाल करता था। लेकिन बीच में केजीएमयू में हड़ताल के समय स्टाफ ने बच्चे को जबरदस्ती डिस्चार्ज कर दिया। काफी दिक्कतों के बाद सीएमएस से रिक्वेस्ट कर उसका वहां इलाज केजीएमयू में जारी रह सका। लेकिन इस दौरान हमारे कर्मचारी रियाज पेशेंट को छोड़कर चला गया।

लेटर भी दिया था

एसएस ढपोला ने बताया कि हमारे पास संसाधन और मैनपावर की कमी है और हमारे पास इस समय भ्0 से ज्यादा बच्चे हैं। जिनका महीने का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपए आता है। समस्याओं के कारण हमनें तत्कालीन सीएमएस डॉ। शंखवार से इसके लिए रिक्वेस्ट की कि केजीएमयू का स्टाफ बच्चे की देखभाल ठीक होने तक कर दे। सीएमएस ने इसके लिए एक अप्रूवल लेटर भी दिया था, जो हमारे पास है।

सभी आरोप निराधार हैं। मैनपावर की कमी के कारण हमारा कर्मचारी हर दूसरे दिन केजीएमयू जाता है। बच्चे के ठीक होते ही हम उसे अपने साथ ले आएंगे।

- एसएस ढपोला,

सदस्य बैलून