900 रुपए से 1000 रुपए मासिक फीस है फुटबाल एकेडमी की
500 रुपए सालाना फीस है मोहन मालवीय स्टेडियम कैंट गड्ढा ग्राउंड की
-पिछले 30 वर्षो की तुलना में कई गुना बढ़ गए हैं फुटबाल सहित अन्य चीजों के दाम
-रेट पहुंच से अधिक होने के कारण गरीब या साधारण परिवार के खिलाड़ी नहीं कर पा रहे अरेंज
ALLAHABAD: इलाहाबाद में फुटबॉल की कमर तोड़ने में जिम्मेदारों की उपेक्षा के साथ बढ़ती महंगाई भी एक बड़ी वजह है। इसके चलते आज स्थिति यह है कि इस खेल में ज्यादातर गरीब या साधारण परिवार के बच्चे ही रुचि ले रहे हैं। गरीबी में पल-बढ़ रहे ये बच्चे फुटबाल या अन्य किट खरीद पाने में असमर्थ हैं। उनकी आर्थिक तंगी, उनके कॅरियर के दरवाजे का ताला बन चुकी है।
प्रैक्टिस पर असर डालती है तंगी
कैंट सदर ग्राउंड पर प्रशिक्षण ले रही नयापुरवा की शांतिदीप बताती हैं कि उनके पापा मछली बेच कर परिवार पालते हैं। वह कई बार स्कूल और नेशनल लेवल पर मैच में शामिल हो चुकी हैं। उनका कहना है कि मीडियम क्लास के शूज की रेंज आज 500 या 1000 रुपए से शुरू होती है। यह चार से छह महीने भी नहीं चल पाता। हजार-पंद्रह सौ रुपए में मिलने वाले फुटबाल के बारे में वे कहती हैं शौकिया खेलने के लिए तो यह ठीक हैं, पर नियमित खिलाडि़यों की प्रैक्टिस के योग्य नहीं। क्योंकि वे बॉल खिलाडि़यों के किक करने पर इधर-उधर भागती है। इससे अभ्यास बनने के बजाय बिगड़ने लगता है। इसके ऊपर के रेंज ढाई से तीन हजार में आने वाले ब्रांडेड फुटबाल ही प्रैक्टिस के योग्य होते हैं। अब ऐसे शूज व फुटबाल खरीद पाना गरीब या मीडियम परिवार के बच्चों के वश में नहीं है। नेट या नेट पोल खरीदने के बारे में सोचना भी इनके लिए किसी स्वप्न की तरह ही है। कटरा के सब्जी विक्रेता की बेटी अंशिका व पान विक्रेता की बेटी राधिका भी शांति की बातों को सही ठहराती हैं। कहती हैं कि महंगाई की वजह से गरीब परिवार के बच्चे सुविधाएं जुटा नहीं पाते। इसका असर उनकी प्रैक्टिस व कॅरियर दोनों पर ही पड़ता है। ऊपर से फीस भी काफी महंगी है।
स्पोर्ट्स की दुकानों पर प्राप्त मूल्य
मीडियम क्लास स्टार्टिग प्राइस
फुटबाल 1000 से 1500 रुपए
टी-शर्ट पैंट 500 से 800 रुपए
शूज 500 से 1000 रुपए
नेट पेयर में 1500 से 2500 रुपए
नेट पोल 3000 से 3500 रुपए
पुराने जमाने का रेट
मीडियम क्लास 30 वर्ष पूर्व प्राइस
फुटबाल 16 से 25 रुपए
टी-शर्ट पैंट आयोजक देते थे
शूज 10 से 25 रुपए
नेट पेयर में 100 से 2500 रुपए
नेट पोल 200 से 300 रुपए
व्यापारी कोट
तीस साल पूर्व फुटबाल और इसे खेलने के लिए आने वाले शूज चमड़े के हुआ करते थे। इसमें कील लगी होती थी। तब इसकी कीमत 16 से 15 रुपए हुआ करती थी। आज स्पोर्ट्स के सामान महंगे तो हैं ही, खपत भी ज्यादा नहीं है। प्रोफेशनल खिलाडि़यों की तादाद घटी है।
-सरदार रनवीर सिंह, स्पोर्ट्स आइटम व्यापारी सिविल लाइंस
शौकिया खेलने वालों के लिए मीडियम क्लास के फुटबाल व शूज के रेट ज्यादा नहीं हैं। प्रोफेशनल खिलाडि़यों के लिए मीडियम क्लास से ऊपर के रेंज में आने वाले शूज या फुटबाल थोड़े महंगे हैं।
-रविंदर जायसवाल, स्पोर्ट्स आइटम व्यापारी सिविल लाइंस
फुटबॉल के आइटम यहां लोग शौकिया ही खरीदते हैं। एक दो को छोड़ दिया जाय तो एकेडमी या स्कूलों में भी यहां 2000 से ऊपर के फुटबाल नहीं खरीदे जाते। अपने यहां फुटबाल शूज 500 से 1000 के बीच में बिकते हैं।
-राजीव भाटिया स्पोर्ट्स आइटम व्यापारी कटरा
वर्जन
हमारे यहां स्टेडियम में गरीब परिवार के बच्चे ही ट्रेनिंग के लिए आते हैं। यहां फीस काफी कम है। जो थोड़े संपन्न हैं वे एकेडमी में जाते हैं। एकेडमी की फीस 1000 रुपए के आसपास होती है।
-अरविंद श्रीवास्तव, फुटबाल कोच मदन मोहन मालवीय स्टेडियम कैंट गड्ढा ग्राउंड