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ग्राउंड ऐसे हैं जिले में जहां कभी फुटबाल का रियाज करते थे नामचीन खिलाड़ी
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जगह जिले में आज भी तैयार किए जा रहे हैं फुटबाल के प्लेयर
फुटबाल के ग्रोथ में सरकार व जिम्मेदारों की उपेक्षा बन रही बाधा
कभी फुटबाल के नाम से चर्चित रहे ग्राउंड पर आज लग रहे हैं चौके-छक्के
ALLAHABAD: देश को नामचीन फुटबाल खिलाड़ी देने वाले जिले के करीब 10 ग्राउंड गुमनाम हो गए हैं। इन्हें फुटबाल ग्राउंड के नाम से कोई नहीं जानता। कुछ ग्राउंड पर सरकारी इमारतें बन गई तो कई को बाउंड्रीवाल बनाकर घेर दिया गया है। जो ग्राउंड बचे भी हैं वहां फुटबाल खिलाड़ी गोल नहीं मारते, उनकी जगह खिलाड़ी चौके-छक्के जड़ते दिखते हैं।
कोच निराश पर नहीं मानी है हार
कॉलेज व एकेडमी को मिलाकर जिले में कुल 14 स्थानों पर फुटबाल की ट्रेनिंग दी जा रही है। कोच खिलाडि़यों को तैयार करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। स्कूल नेशनल व अन्य प्रतियोगिताओं में खेल चुके नए प्लेयर दबी जुबान कहते हैं कि उनके विकास में उपेक्षा बड़ी बाधा है। फेडरेशन व सरकार द्वारा नजरंदाज किए जाने से वे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
इस ग्राउंड से निकले हैं नेशनल प्लेयर
जमुना क्रिश्चियन इंटर कॉलेज
इस ग्राउंड ने एडगर पाल, एरिग पीपुल, अनिल दास सीनियर, बलराम मिश्र, मोहन मिश्र आदि खिलाड़ी दिए
डीएसए ग्राउंड
ने देश को लालजी यादव, किशोर राम, लालचंद्र, अमर जीत जैसे नेशनल खिलाड़ी दिए
केपी कॉलेज ग्राउंड
से खेल कर शोभनाथ चंद्रा, अरूप टैगोर, बाबली मिश्र, अनुपम चक्रवर्ती जैसे फुटबाल के खिलाडि़यों ने जिले को पहचान दिलाई
अब यहां नहीं मारे जाते 'गोल'
डीएसए रेलवे ग्राउंड
एमईएस मिलीट्री ग्राउंड
गर्वनमेंट प्रेस ग्राउंड
जमुना क्रिश्चियन इं.का।
वर्क शॉक ग्राउंड
मिलीट्री हॉस्पिटल ग्राउंड
जीआईसी ग्राउंड
नैनी उद्योगनगर
डीएवी इं। का। मीरापुर
सच्चा बाबा आश्रम के पास
ग्राउंड, जहां होती है ट्रेनिंग
कैंट एरिया सदर गड्ढा ग्राउंड
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ग्राउंड
लूकरगंज ग्राउंड
नार्दन फुटबाल एकेडमी झूंसी
एंग्लो बंगाली इं.का। ग्राउंड
केपी कॉलेज ग्राउंड
एग्री कल्चर ग्राउंड
ईसीसी डिग्री कॉलेज
परेड ग्राउंड
बीएचएस ग्राउंड
सेंट जोसफ कॉलेज
वाईएमसीए स्कूल
अग्रसेन इंटर कॉलेज
ग्राउंड एरिया मानक
लंबाई 100 से 110 मीटर
चौड़ाई 64 से 75 मीटर
डी, गोल एरिया 5.5 मीटर
पोल ऊंचाई 2.44 मीट जमीन से
पोल चौड़ाई 5.32 मीटर
कई ग्राउंड हैं, जहां से निकले खिलाडि़यों ने देश में इलाहाबाद को फुटबाल में पहचान दिलाई। उनकी पहचान ही फुटबाल हुआ करती थी। अब अधिकांश की पहचान मिट चुकी है।
अरविंद श्रीवास्तव,
फुटबाल कोच, मदन मोहन मालवीय स्टेडियम
कई फुटबाल ग्राउंड पर अब सरकारी बिल्डिंग बन गई। कई जगह रोक टोक की वजह से खिलाड़ी नहीं जाते। जो बचे हैं वहां बच्चे क्रिकेट खेलते हुए दिखाई देते हैं। सरकार व फुटबाल के जिम्मेदारों द्वारा खिलाडि़यों की उपेक्षा से इंकार नहीं किया जा सकता।
प्रेम भूटानी,
बुजुर्ग नेशनल फुटबाल खिलाड़ी