- छह माह पहले फुटबाल प्रतियोगिता में छह खिलाडि़यों ने पेश किए थे फर्जी डॉक्यूमेंट

- दो बरेली, दो अयोध्या, एक वाराणसी और एक सहारनपुर के रहने वाले हैं खिलाड़ी

बरेली : जन्मतिथि में खेल करने वाले यूपी के छह के खिलाडि़यों को पिछले छह माह पहले ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन ने तीन साल के लिए सस्पेंड कर दिया था। इन खिलाडि़यों को अपना पक्ष रखने के लिए छह महीने का समय दिया गया था। पिछले सप्ताह आई जांच रिपोर्ट में यह छह खिलाड़ी दोषी पाए गए। मामला की पुष्टि होने के बाद अब फेडरेशन ने इन खिलाडि़यों को हॉस्टल से निकालने का आदेश भी जारी किया। निकाले गए खिलाडि़यों में दो बरेली, दो अयोध्या, एक वाराणसी व एक सहारनपुर का है।

क्या था मामला

छह महीने पहले उड़ीसा के कटक में अंडर 19 बीसी राय फुटबॉल प्रतियोगिता हुई थी। प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए खिलाडि़यों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए जन्मतिथि के प्रमाणपत्र लगाए थे। बरेली हॉस्टल के फुटबालर मनीष यादव च आरिज महमूद, अयोध्या हॉस्टल के अमित कुमार बागी व मनीष मौर्या, वाराणसी हॉस्टल के विकास राय और सहारनपुर के प्रिंस सैनी के सर्टिफिकेट पिछले प्रमाणपत्रों से मेल नहीं खाए। फेडरेशन ने जांच के आदेश यूपी फुटबाल संघ को दिए। जांच के दोषी पाए जाने पर इन खिलाडि़यों को तीन साल के लिए सस्पेंड कर दिया था।

अधिकारियों पर भी गिर सकती गाज

मामले में खेल निदेशालय इस बात की जांच करा रहा है कि खिलाडि़यों की जन्मतिथि का सत्यापन कहीं विभाग के अधिकारियों ने तो नहीं किया है। यदि सत्यापन में गड़बड़ी पाई जाती है तो अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

हॉस्टल में ही रह रहे थे

खिलाडि़यों और विभागीय अधिकारियों के बीच सांठगांठ होना कोई नई बात नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि संघ ने खिलाडि़यों को छह महीने पहले ही डिबार कर दिया था, इसके बावजूद भी उन्हें हॉस्टल से नहीं निकाला गया था।

वर्जन

संघ की जांच में खिलाड़ी दोषी पाए गए थे, इसलिए उन्हें छह महिने पहले डिबार किया था। पक्ष रखने के लिए खिलाडि़यों को छह माह का समय दिया गया था, लेकिन वह कोई सबूत पेश नहीं कर सके। अब हॉस्टल से भी निकाल दिया गया है।

लक्ष्मी शंकर शर्मा, आरएसओ।