- संघों की लड़ाई में पिस रहे हैं राजधानी के युवा फुटबॉ‌र्ल्स

LUCKNOW :

एक तरफ देश में फुटबॉल व‌र्ल्ड कप अंडर -17 की तैयारियां अंतिम चरण में हैं तो वहीं नवाबों की नगरी लखनऊ में संघों की लड़ाई के चलते फुटबॉल की हवा निकल रही है। एक संघ फुटबॉल कराने के अधिकृत है लेकिन, इनके पास टूर्नामेंट का अभाव है। इस संघ के पदाधिकारी दलील देते हैं कि स्पांसर ना मिलने के कारण टूर्नामेंट कम हो गए हैं। वहीं दूसरे संघ के पास टूर्नामेंट की भरमार है, लेकिन जो खिलाड़ी यहां खेलते हैं, उन्हें आगे ट्रायल में देने के मौके छीन लिए जाते हैं। ऐसे में दोनों संघों की लड़ाई में नुकसान सिर्फ फुटबॉल खिलाडि़यों का हो रहा है।

सिर्फ दो ही टूर्नामेंट

राजधानी में फुटबॉल खिलाडि़यों ने बताया कि हम लोग किसी का भी पक्ष नहीं ले सकते हैं। पक्ष लेने पर कहीं खेलने का हक छिनता है तो कहीं ट्रायल का। ऐसे में खामोश रहने में ही हमारी भलाई है। खिलाडि़यों ने बताया कि राजधानी में दो जिला फुटबॉल संघ काम कर रहे हैं। एक के सचिव कन्हैया लाल है तो दूसरे के सचिव केएन सिंह हैं। राजधानी में खेल विभाग ने जिस संघ को मान्यता दे रखी है वह संघ कन्हैया लाल का है। यह संघ साल भर में मात्र एक या दो टूर्नामेंट कराता है। जिसमें जिला फुटबॉल लीग और कैसर मिर्जा फुटबॉल टूर्नामेंट शामिल है।

टूर्नामेंट की भरमार पर ट्रायल का मौका नहीं

वहीं दूसरा केएन सिंह का फुटबॉल संघ साल भर कई टूर्नामेंट आयोजित कराता है। जिसमें जिला फुटबॉल लीग, मार्टिन कप के लिए फुटबॉल टूर्नामेंट, इंटर स्कूल फुटबॉल लीग, मानसरोवर कप के लिए फुटबॉल टूर्नामेंट, एंडी रजत मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट, मेजर जनरल क्लाड मार्टिन फुटबॉल टूर्नामेंट, ला मार्टीनियर कॉलेज फुटबॉल टूर्नामेंट, मो। आरिफ फुटबॉल टूर्नामेंट, लखनऊ फ्रेंडशिप कप (अंडर-14), आरके यादव मेमोरियल फुटबॉल कप के साथ कई सेवन ए साइड फुटबाल आदि शामिल हैं।

पदाधिकारी नहीं चाहते चुनाव

खिलाडि़यों ने बताया कि राजधानी में फुटबॉल संघ की लड़ाई होने के बाद भी उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ किसी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। पिछले 20 सालों से उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ के सचिव की कुर्सी पर जमे बैठे शम्सुद्दीन ने कभी जिला फुटबॉल संघ के चुनाव नहीं कराया। इतना ही नहीं वह उस फुटबॉल संघ के अध्यक्ष को कभी हटा देते हैं तो कभी उसे वापस बुला लेते हैं, जो संघ उनसे जुड़ा हुआ है। इस फुटबॉल संघ के सचिव ने भी कभी चुनाव की बात नहीं उठाई।

सभी प्लेयर्स को मिले ट्रायल का मौका

खिलाडि़यों ने बताया कि नियम के मुताबिक जिला फुटबॉल संघ के सचिव कन्हैया लाल को आयोजनों की संख्या बढ़ानी चाहिए, जिससे खिलाडि़यों को खेलने का मौका मिले। इसके अलावा कोई खिलाड़ी कहीं खेले उसे अपने यहां ट्रायल देने से नहीं रोकना चाहिए। जब दूसरा संघ खिलाडि़यों को खेलने के लिए अवसर दे रहा है तो उन्हें गैरकानूनी नहीं करार करना चाहिए। कन्हैया लाल का कहना है कि जो भी दूसरे संघ के टूर्नामेंट खेलेगा, वह जिला फुटबॉल संघ की देखरेख में होने वाले ट्रायल में हिस्सा नहीं ले सकेगा।

खिलाडि़यों से होने वाले नुकसान को लेकर जब दोनों संघ के सचिव से बात की गई तो उन्होंने अलग-अलग जवाब दिए।

कोट

सवाल: पहले की तुलना में फुटबॉल के टूर्नामेंट कम क्यों हैं

जवाब : अब स्पांसर्स नहीं मिलते हैं। इसी के चलते टूर्नामेंट कम हो गए हैं।

सवाल: संघों की लड़ाई से खिलाडि़यों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए क्या कोई हल निकालेंगे।

जवाब: फिलहाल अभी तो कोई निष्कर्ष नहीं निकलेगा। अनाधिकृत रूप से टूर्नामेंट खेलने वालों को हम अपने यहां खेलने की छूट नहीं दे सकते हैं।

कन्हैया लाल

सचिव, जिला फुटबॉल संघ लखनऊ

सवाल : पहले की तुलना में फुटबॉल के टूर्नामेंट कम क्यों हैं

जवाब : पहले की तुलना में फुटबॉल टूर्नामेंट अब अधिक है। हमारे पास साल भर का कैलेंडर है। लगभग 1200 खिलाड़ी हमारे यहां रजिस्टर्ड हैं। हमारा संघ भी रजिस्टर्ड है और इसका एकाउंट भी मेनटेन किया जाता है।

सवाल : संघों की लड़ाई से खिलाडि़यों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए क्या काई हल निकालेंगे।

जवाब : इस मामले में यूपी फुटबॉल संघ के सचिव को हस्तक्षेप करना चाहिए। नहीं तो संघों की लड़ाई में खिलाडि़यों का जीवन चौपट होता रहेगा। मैं तो स्थानीय संघ के साथ भी समझौते के लिए तैयार हूं बस खिलाडि़यों का नुकसान नहीं होना चाहिए। इसके अलावा शहर के लोगों को एक मंच पर आकर इसके लिए बात करनी चाहिए, जिससे इसका रास्ता निकाला जा सके।

केएन सिंह

सचिव, जिला फुटबॉल संघ

विरासत में मिला है पद

फुटबॉल जगत से जुड़े लोगों ने आरोप लगाया कि शम्सुद्दीन उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ के कमान अपने बड़े भाई रजाउद्दीन से मिली थी। संघ के सचिव पद उन्हें विरासत में मिला था, जिस पर वह आज 20 साल बाद भी काबिज हैं। ढलती उम्र के साथ ही अब शम्सुद्दीन ने इस पद पर अपने पुत्र को बैठाने की तैयारी कर ली है। प्रदेश भर के जिला संघों को जो पत्र अब तक शम्सद्दीन की तरफ से भेजे जाते थे, अब वह पत्र उनके पुत्र मो। शाहिद की ओर से आते हैं।