-पैरामेडिकल कर्मी की हत्या में पुलिस का छह महीने बाद सनसनीखेज खुलासा

-बेटे ने रुपए की तंगी और पिता से छुटकारा पाने के लिए वारदात को अन्जाम दिया

-एफएम कालोनी निवासी था मृतक, गंगा बैराज रोड पर मिली थी खूनी से सनी लाश

KANPUR :

नाम रनवीर, उम्र ख्ख् साल, पता एफएम कालोनी, जुर्म पिता का कत्ल, क्यों नौकरी के लिए ये किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है बल्कि शहर में हुए एक रिश्ते के कत्ल की हकीकत है, यह एक ब्लाइंड मर्डर था। जिसमें युवक ने पिता का कत्ल कर रिश्तों को कलंकित कर दिया। वो पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। उसने जुर्म भी कबूल कर लिया है।

पिता से बेहद नफरत करता था कातिल

ग्वालटोली के एफएम कॉलोनी में रहने वाले हरिलाल सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के पैरामेडिकल डिपार्टमेंट में एम्बुलेंस ड्राइवर थे। उनके परिवार में पत्नी उर्मिला और बेटा रनवीर है। आरोप है कि हरिलाल शराब का लती था। उनके एक महिला से अवैध संबंध भी थे। जिसके बारे में पता चलने पर रनवीर पिता से नफरत करने लगा। रनवीर का आरोप है कि हरिलाल पूरी सेलरी शराब और महिला पर उड़ा देता था। उसको एक-एक रुपए के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाने पड़ते थे। जिससे धीरे-धीरे उसकी नफरत बढ़ती गई। वो पिता से इतनी नफरत करता था कि उनको देखना भी पसन्द नहीं करता था।

दोस्त के साथ कत्ल की प्लानिंग

रनवीर रुपए की तंगी के साथ ही पिता से छुटकारा चाहता था, लेकिन वो बेरोजगार होने की वजह से घर नहीं छोड़ पा रहा था। उसने दोनों से छुटकारा पाने के लिए पिता के कत्ल की प्लानिंग बनाई। उसे पता था कि पिता की मौत के बाद मां को पेंशन मिलेगी। साथ ही उसे मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिल जाएगी। वो जानता था कि वो अकेले पिता कत्ल नहीं कर पाएगा। इसलिए उसने नारायण दास हाता निवासी दोस्त निखिल कनौजिया को तैयार किया। उसने निखिल के साथ मिलकर म् अक्टूबर गंगा बैराज में पिता के कत्ल की साजिश रची। उसे मालूम था कि छह अक्टूबर को रविवार होने से उस दिन पिता की छुट्टी रहेगी। उसने सब कुछ तय होने पर फ् अक्टूबर को एक मॉल से चाकू खरीदा। जिससे उसने पिता की हत्या की।

बहाने से बैराज रोड ले गया और कर दिया कत्ल

रनवीर ने प्लान के तहत पिता को गंगा बैराज चलने के लिए राजी किया। पिता उसके इरादे को भांप नहीं पाए। उन्हें लगा कि जो बेटा उनसे बात नहीं करता है। वो उनको घूमने चलने के लिए कह रहा है। वो रनवीर पर विश्वास कर उसके साथ चले गए। रनवीर दोस्त निखिल और पिता को बाइक से गंगा बैराज रोड पर ले गया। जहां पर उसने बहाने से बाइक रोक दी। तीन बाइक से उतर गए। वो पिता को सुनसान जगह ले गए। जहां पर निखिल ने हरिलाल को पकड़ लिया और रनवीर ने चाकुओं से ताबड़तोड़ वार कर उनकी हत्या कर दी। रनवीर पिता से इतनी नफरत करता था कि वो पिता की जान निकलने तक उन पर चाकू से वार करता रहा। जिसका प्रमाण है कि हरिलाल के शरीर में चाकू के आठ घाव मिले थे।

एक चूक से पकड़े गए रनवीर और निखिल

कहा जाता है कि अपराधी कितना भी शातिर हो, उससे कोई न कोई क्लू छूट जाता है। यहीं रनवीर और निखिल के साथ भी हुआ। उन्होंने ने कत्ल की पुख्ता प्लानिंग की थी। उसने घर के बाहर पिता से बात करने उन्हें साथ में घूमने जाने के लिए राजी किया था, ताकि इस बारे में उसकी मां को कुछ न पता चले। वो वारदात के दिन निखिल को लेने का बहाना कर पहले ही घर से निकल गया था। इसके बाद उसने हरिलाल को मोहल्ले के बाहर बुलाया, ताकि उसे कोई पिता के साथ न देख पाए। उसे ये भी मालूम था कि उस पर कोई शक नहीं करेगा। पुलिस के लिए इस ब्लाइंड केस को खोलना चुनौती बन गया था। पुलिस ने कोई क्लू नहीं मिलने पर मोबाइल टावर फिलटरेशन के जरिए वारदात स्थल की लोकेशन चेक की तो पता चला कि रनवीर और निखिल एक दिन पहले वहां गए थे। पुलिस ने शक के आधार पर दोनों से अलग-अलग पूछताछ की तो वे टूट गए और उन्होंने सच्चाई कबूल दी।

ये है कातिल का कबूलनामा

हां, मैने चाकुओं से गोदकर अपने पिता का कत्ल किया है। वो शराब और अय्याशी में सेलरी खर्च कर देता था। मुझे और मेरी मां को एक-एक रुपए के लिए दूसरे के सामने हाथ फैलाना पड़ता था। इसलिए मैने रुपए की तंगी और उससे छुटकारा करने के लिए कत्ल कर दिया। मैने हाथ पर चाकू देखकर वो घबरा गया था। वो मुझसे जान की भीख मांग रहा था, लेकिन मै इतना आगे बढ़ गया था कि वापस नहीं लौट सकता था।