देश में न्याय के लिए के लिए निकाल रहे हैं पिछले छह साल से सद्भावना पदयात्रा

छठी पदयात्रा के चरण में सोमवार को मेरठ पहुंचे तुलसीराम ने दिल्ली बद्रीनाथ के लिए 14 मई को शुरू की थी यात्रा

Meerut. मेरा भारत महान कहते हुए तब बेहद दुख होता है, जब इस देश का आम नागरिक न्याय के लिए न्यायिक व प्रशासनिक भ्रष्टाचार के सामने गिड़गिड़ाता हुआ अपनी लंबी उम्र गंवा देता है. यह कहना है तुलसीराम मौर्य का, जिन्होंने गत 14 मई को दिल्ली के राजघाट से बद्रीनाथ धाम के लिए अपनी छठी सद्भावना पदयात्रा की शुरुआत की थी. सोमवार को मेरठ पहुंचे तुलसीराम ने कहा दुख होता है जब किसी के साथ देश में अन्याय होता है और हमारा शासन व प्रशासन चुप्पी साधे रहता है. उनके अनुसार अब उनका भरोसा बस भगवान पर ही है. इसके चलते वो बीते छह सालों से पदयात्रा निकाल रहे है.

भगवान से लगा रहे गुहार

बकौल तुलसीराम वो डीटीसी में कंडक्टर थे. मैंने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर नौकरी खो दी तो मुझे लगा कि कोर्ट से न्याय मिलेगा लेकिन रुपयों की कमी के कारण ऐसा हो न सका. इस सबके बाद मुझे लगा कि अब न्याय केवल भगवान ही दिला सकते है. ऐसे में उन्होंने सद्भावना पदयात्रा का विचार आया. हालांकि समय लगा लेकिन वे देश में हो रहे अन्याय के खिलाफ भगवान से गुहार करते हुए पिछले पांच सालों से सद्भावना पदयात्रा निकाल रहे हैं.

अन्याय के खिलाफ पदयात्रा

उनका कहना है कि जब कोई छात्र अच्छे अंकों से परीक्षा में पास होने के बाद भी जाति-धर्म की गंदी राजनीति के कारण सरकारी नौकरी से वंचित रह जाता है, जब हमारी बहन-बेटियों यौन शोषण और छेड़छाड़ व छोटी-छोटी बच्चियां बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य का शिकार होती है, जब बाढ़ व अकाल से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं, जब हमारे देश का जवान अपने ही देश के नागरिकों की पत्थरबाजी से घायल होता है तब उन्हें बेहद दुख होता है.

छठी बार है ये यात्रा

बकौल तुलसीराम मौर्य उनकी ये छठी यात्रा है. बद्रीनाथ धाम से दिल्ली राजघाट तक की ये परिवार के लिए नहीं बच्चों के लिए नहीं खुद के लिए नहीं बल्कि यह मेरी यात्रा देश के हित के लिए है. उनका यह कहना है कि मेरी यात्रा तब सफल होगी, जब देश में मुकदमों की समय-सीमा तय होगी क्योंकि इस देश में न्याय पाने में जीवन बीत जाता है.