क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : झारखंड बॉर्डर पर सिक्योरिटी के बावजूद माओवादियों, टीपीसी और पीएलएफआई जैसे नक्सली संगठनों के पास इजरायल, जर्मन और अमेरिकन मेड हथियारों की खेप कहां से आती है. इसका खुलासा बिहार के पूर्णिया में पकड़े गए हथियार तस्करों ने किया है. हथियार तस्करों ने पुलिस को बताया है कि ये सभी हथियार असम, मणिपुर और नगालैंड से लाए जाते हैं. बोडा उग्रवादियों की समाप्ति के बाद नगा नेताओं ने उन हथियारों को बिहार और झारखंड के नक्सलियों में बेचने का सिलसिला जारी रखा है. पकड़े गए हथियार तस्कर सूरज के खुलासे के बाद झारखंड पुलिस की नींद उड़ गई है. पुलिस के वरीय अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि किस दस्ते के नक्सलियों को हथियार बेचे गए हैं.

पूछताछ में हुआ खुलासा

हथियार तस्करी के आरोप में गिरफ्तार सूरज से झारखंड पुलिस के कई अधिकारियों ने पूछताछ की है. सूरज ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि नगालैंड से म्यांमार बॉर्डर होते हुए मणिपुर के रास्ते से वे हथियार लाते हैं. नगालैंड से बर्मा जाने और हथियार लाने में तीन से चार दिन का समय लगता है. एक बार में तीन से चार विदेशी हथियार बड़े आराम से लेकर चले आते हैं.

रांची के दो बैंक के खातों में आए पैसे

नगालैंड से हथियार तस्करी के मामले में झारखंड से भी तीन गिरफ्तारियां हुई हैं. इनमें से एक गिरफ्तारी रांची के अरगोड़ा इलाके से की गई है. जबकि एक बोकारो और एक लातेहार से हुई है. झारखंड से गिरफ्तार तीनों हथियार तस्करों ने खुलासा किया है कि नगा नेता ने रांची के चर्च रोड स्थित दो बैंकों के खातों में पैसे डलवाए थे. पुलिस उन बैंक खातों की जांच कर रही है.

हवाला के जरिए भुगतान

मुकेश और संतोष दीमापुर के ही हांगकांग मार्केट में दुकान चलाने वाले राजू के जरिए पैसों की लेनदेन करते हैं. बिहार में हथियार की डिलीवरी के बाद पटना में पैसे हवाला के जरिए दिए जाते हैं. पैसे की लेनदेन का सारा काम मुख्य सप्लायर आखान सांगथम की देखरेख में होता है.

टीपीसी के पास सबसे अधिक विदेशी हथियार

सूरज, मुकेश और संतोष सिंह झारखंड-बिहार के नक्सलियों तक नगालैंड से लाए हथियार पहुंचाते थे. झारखंड पुलिस को यह भी सूचना मिली है कि नगालैंड से सबसे अधिक हथियार नक्सली संगठन टीपीसी को हुई है. साल 2019 में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में अब तक एक दर्जन अत्याधुनिक असलहे बरामद हो चुके हैं, जिसमें अमेरिकन इजरायल और जर्मन मेड हथियार भी शामिल हैं. झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान एमएल मीणा के अनुसार, फिलहाल यह जांच की जा रही है कि नगालैंड से आने वाले हथियारों की खेप किस संगठन के पास सबसे अधिक पहुंचाए गए हैं.

नक्सलियों के हाथ लगे एके-47 व 50 हजार कारतूस

हथियार तस्करों ने बिहार और झारखंड में हथियार सप्लाई करने के लिए अपना कोड वर्ड बना रखा है. हथियार तस्कर जब आपस में फोन पर संपर्क करते हैं तो वे एके-47 को अम्मा बोलते हैं, जबकि गोलियों को उनके बच्चे. अगर हथियार तस्कर फोन पर यह कहते पाए गए कि अम्मा अपने बच्चों के साथ पटना जा रही है तो इसका मतलब यह हुआ कि दो से तीन एके-47 और कारतूस पटना की तरफ भेजा जा रहा है.

झारखंड-बिहार पहुंचे चुके हैं हथियार

आखान सांगथम नगालैंड के अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड का कप्तान है. दीमापुर में रहने वाले मुकेश और संतोष सांगथम के लिए काम किया करते थे. इन दोनों ने सूरज को हथियार की सप्लाई के लिए रखा था. दीमापुर से पटना तक हथियार पहुंचाने पर सूरज को एक हथियार के दस हजार रुपए मिलते थे. जनवरी और जून 2018 में नगालैंड नंबर के ट्रक और एक कार से चार एके-47, 5000 गोली और दूसरी बार केवल 5000 गोली मुकेश सिंह के दानापुर स्थित घर भेजी गई थीं. तीसरी बार 5 फरवरी को एक एके 47, पांच यूजीपीएल राइफल और 12 सौ से अधिक गोली लेकर सूरज दीमापुर से बिहार आ रहा था तब उसे बंगाल-बिहार सीमा पर डालकोटा चेक पोस्ट के पास से गिरफ्तार कर लिया गया था.

आखान सांगथम है मुख्य सप्लायर

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड का नेता आखान सांगथम झारखंड और बिहार में नक्सलियों तक विदेशी हथियार की तस्करी कराता है. आखान की पैठ नगालैंड में काफी अच्छी है. झारखंड बिहार के कई हाई प्रोफाइल लोगों का आ‌र्म्स लाइसेंस भी उसने नगालैंड से फर्जी कागजात के जरिए बनवाया है.