- हर साल फारेस्ट फायर से प्रभावित होते हैं हजारों हेक्टेयर जंगल

- वनाग्नि को बुझाने में हर बार नाकाम दिखा है वन विभाग

- इस बार हाईकोर्ट ने भी दिए हैं सख्त आदेश

DEHRADUN: क्भ् फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है और इसी के साथ जंगलों के धधकने के छुट-पुट मामले भी सामने आ चुके हैं। अब एक बार फिर यह सवाल खड़ा है कि आखिर इस बार जंगल जलने से बचेंगे या फिर हर साल की तरह इस बार भी करोड़ों की वन संपदा खाक हो जाएगी। हर साल की तरह इस बार भी वन विभाग ने तैयारियां पूरी होने का दावा तो किया है, लेकिन क्या यह दावा इस बार हकीकत में बदल पाएगा?

चाहिए इफेक्टिव प्लान

हर साल जंगलों की आग करोड़ों की वन संपदा को खाक कर देती है, न जाने कितने जानवर इस आग से झुलस जाते हैं। साल दर साल जंगलों की आग का दायरा भी बढ़ता रहा है। फायर सीजन में जहां देखो धुंए के गुबार नजर आते हैं। वन विभाग हर बार ये दावा करता है कि फायर सीजन के लिए महकमा तैयार है, लेकिन जंगल की आग के सामने उसकी सारी तैयारियां धरी रह जाती हैं। हां, जंगलों की आग बुझाने में राजकोष का करोड़ों रुपया जरूर खाक हो जाता है। पिछले साल राज्य के ब्ब्फ्फ्.7भ् हेक्टेयर जंगल वनाग्नि की चपेट में आए जो ख्0क्भ् की तुलना में म् गुने से भी ज्यादा था। दरअसल जंगल की आग पर कैसे काबू पाया जाए, इसको लेकर आज तक प्रभावी प्लान नहीं बन पाया है।

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किस साल, कितने जले जंगल

वर्ष फॉयर इफेक्टेड एरिया(हेक्टयर में) हुआ नुकसान (लाख में)

ख्0क्ख् ख्8ख्फ्.890 ब्.ख्8

ख्0क्फ् फ्8ब्.0भ्0 ब्.फ्9

ख्0क्ब् 9फ्0.फ्ख्भ् ख्फ्.म्

ख्0क्भ् 70क्.म्क्0 7.9ब्

ख्0क्म् ब्ब्फ्फ्.7ब् ब्म्.भ्0

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तैयारी

मॉस्टर कंट्रोल रूम फ्7

क्रू स्टेशन क्क्म्म्

वायरलेस स्टेशन भ्0म्

मोबाइल सैट क्99

हैंड सैट क्म्फ्क्

वाच टॉवर 89

सीजनल फायर वॉचर ब्000 से म्000

हाईकोर्ट ने भी दिखाई सख्ती

फायर सीजन में लगातार धधकते जंगलों को लेकर हाल ही में हाईकोर्ट ने वन विभाग को इसे रोकने के सख्त आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इतना भी तय किया है कि अगर ख्ब् घंटे तक जंगल धधकते रहे तो संबंधित वन क्षेत्र के डीएफओ को सस्पेंड किया जाएगा, ब्8 घंटे तक जंगल धधकते रहे तो फॉरेस्ट कन्जर्वेटर और 7ख् घंटे से ज्यादा धधके तो फिर चीफ कन्जर्वेटर को सस्पेंड कर दिया जाएगा।

क्या है वन विभाग की तैयारी

हाईकोर्ट के आदेशों के बाद वन विभाग इस बार वनाग्नि को लेकर ज्यादा संजीदा दिख रहा है। पीसीसीएफ द्वारा इस संबंध में सभी डीएफओ से रिपोर्ट मांगी गई है कि आखिर उन्होंने अपने क्षेत्र में वनाग्नि को रोकने के लिए क्या उपाय किए हैं। इसके साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं में वन विभाग की विशेष टीमें भेजकर लोगों को जागरूक करने की भी योजना है। ये टीमें दोनों मंडलों में फ्7 स्थानों पर अवेयरनेस कैंपेन चलाएंगी।

विभाग को मिले ख्ख् करोड़

फायर सीजन में वनाग्नि को रोकने के लिए वन महकमे द्वारा ब्8 करोड़ भ्म् लाख रुपए की डिमांड की थी। इसके सापेक्ष वन विभाग को ख्ख् करोड़ 7ख् लाख रुपए मिले हैं, इसमें से क्9 करोड़ विभिन्न फॉरेस्च डिविजनों को वनाग्नि से निपटने के लिए तैयारी को दे दिया गया है। वन विभाग के पास अब फ् करोड़ 7ख् लाख की रकम रिजर्व में है।

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वनाग्नि से निपटने के लिए अभी तक क्या तैयारी हुई है इसे लेकर सभी डीएफओ से एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। इसमें उन्हें बताना होगा कि फायर लाइन पर अब तक क्या हुआ, कितनी अवेयरनेस कैंपेन चलाई गईं और इसके अलावा भी कई जानकारियां देनी होंगी।

राजेन्द्र कुमार, पीसीसीएफ, उत्तराखंड।