आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी उतारे गए

-7 पहाड़ी जिले आग को लेकर संवेदनशील घोषित

-पौड़ी और नैनीताल में वायुसेना के हेलीकॉप्टर पहुंचे

-आग से निपटने के लिए लगाई गई 15000 से ज्यादा कर्मियों की फौज

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ये जिले संवेदनशील घोषित

पौड़ी

टिहरी

उत्तरकाशी

रुद्रप्रयाग

अल्मोड़ा

पिथौरागढ़

नैनीताल

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अब तक नुकसान

मौत-07

झुलसे-14

कुल अग्निकांड-1082

प्रभावित क्षेत्र-2269 हेक्टेयर

देहरादून

उत्तराखंड में हालात अग्नि आपदा के बन गए हैं। यह बताया जा रहा है कि जंगलों में लगी आग ने 2013 की प्राकृतिक आपदा से भी ज्यादा भयावह हालात पैदा कर दिए हैं। सूबे के 13 में से 7 जिले संवेदनशील घोषित किए जा चुके हैं। पीआरडी समेत 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को आग पर काबू पाने के लिए लगाया गया है। इतना ही नहीं, यूपी से भी 500 से ज्यादा पुलिस के जवान आग बुझाने के लिए आ चुके हैं। पौड़ी और नैनीताल जिले में रेकी करने के लिए उत्तराखंड शासन ने केंद्र से वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर मंगाए गए हैं। देश के वन महानिदेशक का कहना है कि राज्य के लिए अगले 30-40 दिन बेहद चुनौती भरे हैं। अगर इस बीच बारिश नहीं होती तो आग और विकराल रूप ले सकती है।

इतिहास में पहली बार

यों तो उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में जंगलों में गर्मियों के मौसम में आग लगना एक सामान्य सी घटना है, लेकिन इस बार इतिहास में ऐसी भयंकर आग पहली बार लगी है। प्रदेश के इतिहास में ये पहला मौका है जब जंगलों की आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्यपाल डॉ। केके पॉल की पहल पर वायुसेना का एक- एक एमआइ-17 हेलीकॉप्टर पौड़ी जिले के श्रीनगर और नैनीताल के भवाली में पहुंचा है। प्रदेश का तकरीबन समूचा वन क्षेत्र ही आग की चपेट में है। आग इतनी भीषण है कि प्रतिदिन इसका दायरा तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार की तुलना में शनिवार को दर्ज घटनाओं की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। शुक्रवार को जहां राज्य में 91 घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं शनिवार को यह आंकड़ा 160 जा पहुंचा। शुक्रवार को 204 हेक्टयर वन क्षेत्र आग से खाक हो गया तो शनिवार को ये आंकड़ा 376 हेक्टयेर हो गया।

आग बुझाने में जुटे हजारों

सूबे के जंगलों में लगी इस आग को बुझाने के लिए हजारों कर्मचारियों को लगाया गया है। फायर वाचर की संख्या तीन हजार से बढ़ाकर छह हजार कर दी गई है। प्रदेश की 12089 वन पंचायतों को भी इसमें लगाया गया है। गौरतलब है कि एक वन पंचायत में नौ सदस्य होते हैं। इसके अलावा अग्निशमन विभाग के 500 जवानों के अलावा उत्तर प्रदेश से भी पुलिस के 500 जवान आग बुझाने में लगा दिए गए हैं। इन जवानों को राजाजी और कार्बेट नेशनल पार्क के साथ ही तराई में भेजा गया है। जिलों में नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं।

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यात्रा पर पड़ सकता है असर

गढ़वाल के जंगलों में धधक रही आग का असर चार धाम यात्रा पर भी पड़ सकता है। जंगलों की आग की वजह से आसमान धुआं धुआं हो रखा है। शनिवार को राज्यपाल के सलाहकारों का टिहरी दौरा इसलिए रद करना पड़ा, क्योंकि धुंध व धुंए की वजह से उनका हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया। इस सबके चलते चारधाम यात्रा पर भी आशंका के बादल मंडराने लगे हैं। 9 मई से यात्रा शुरू हो रही है। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है कि तीन-चार मई को बारिश हो सकती है।

वर्जन

आग बुझाने के लिए तीन हजार लीटर टैंक की क्षमता वाला हेलीकाप्टर आया है। इससे धधक रहे जंगलों में पानी का छिड़काव किया जाएगा। हेलीकॉप्टर रविवार से छिड़काव शुरू करेगा। इसके अलावा केंद्र से रेकी के लिए एक और हेलीकॉप्टर की भी मांग की गई है। साथ ही विभिन्न विभागों, पुलिस और अ‌र्द्धसैनिक बलों के 15 हजार से ज्यादा कार्मिक आग बुझाने में जुटे हैं।

चंद्रशेखर भट्ट, डीएम, पौड़ी

वर्जन 2

हालात बेहद गंभीर हैं। प्रदेश के 13 जिलों में से 7 जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया गया है। आग पर काबू पाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के अलावा पुलिस और अ‌र्द्धसैनिक बलों की मदद भी ली जा रही है। सीमा सड़क संगठन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को भी आग बुझाने में लगाया गया है।

आर के महाजन, प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड

वर्जन

उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर केंद्र भी गंभीर है और इसकी लगातार मॉनीटरिंग हो रही है। सीमित संसाधनों के बावजूद उत्तराखंड के वन महकमे की ओर से उठाए गए कदम संतोषजनक हैं। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए राज्य से मदद के जो भी प्रस्ताव आएंगे, उन्हे पूरा किया जाएगा।

एसएस नेगी, महानिदेशक, वन