-500 से अधिक कार्मिक अग्निशमन विभाग से लिए जाएंगे

-वनाग्नि व सूखे से निपटने को राज्यपाल की सलाहकार परिषद के साथ बैठक

-वनों को बचाने के लिए 13 करोड़ अवमुक्त करने के भी दिए गए निर्देश

>DEHRADUN: प्रदेश में वनाग्नि व सूखे के हालात को लेकर राज्यपाल डॉ। केके पॉल की मौजूदगी में सलाहकार परिषद की महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें राज्य के वनों में आग लगने व सूखे और पेयजल व्यवस्था पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। वनाग्नि से निपटने के लिए तैनात कर्मियों की संख्या तीन से छह हजार कर दी गई है। वहीं, वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अग्निशमन विभाग से भी लगभग भ्00 कर्मचारी लिए जाने का भी फैसला ि1लया गया।

क्फ् करोड़ रुपए अवमुक्त

बैठक में तय हुआ कि हर जिले में राजस्व वनों की सुरक्षा के लिए कम से कम क्00 पीआरडी कर्मियों की तैनाती की जाएगी। इसमें आवश्यकता पड़ने पर पीआरडी जवानों की बढ़ोत्तरी भी की जाएगी। इसके अलावा एसडीआरएफ से वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए पांच करोड़ और 8 करोड़ रुपये की धनराशि कैम्पा फंड से अवमुक्त किए जाने पर फैसला लिया गया। वन्य पार्को में पर्याप्त पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए टैंकरों की व्यवस्था की जाएगी। वही जरूरत पड़ने पर जनपदों में अतिरिक्त टैंकरों की व्यवस्था के लिए डीएम को निर्देश दिए गए हैं। सलाहकार परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार हर जिले के डीएम को निर्देशित किया गया है कि वनों की आग से प्रभावित परिवारों को अनुग्रह राशि तत्काल उपलब्ध करायी जाए।

गुणवत्तायुक्त कार्यो से समझौता नहीं

राज्यपाल ने सचिवालय में एडीबी द्वारा फंडेड आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यो की भी समीक्षा की। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि कायरें को निर्धारित समय सीमा में ही क्वालिटी के साथ पूरे हों। राज्यपाल ने उत्तरकाशी जिले के वरुणावात पर्वत के भूस्खलन रोकने व सुधार कार्यो के संदर्भ में भी हिदायतें दीं। गुरुवार को दो घंटे तक सचिवालय में जन-सामान्य से मुलाकात कर उन्होंने समस्याएं सुनी, निराकरण के निर्देश भी दिए।

कल डीएम, एसएसपी से करेंगे राज्यपाल संवाद

फ्0 अप्रैल को शाम चार बजे सचिवालय में राज्यपाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों के डीएम, पुलिस अधीक्षकों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संवाद करेंगे। जिसमें दो अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिये गए निर्देशों के अनुपालन की स्थिति की समीक्षा के साथ ही वनों में लगने वाली आग, पेयजल व स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं की विशेष रूप से समीक्षा की जाएगी।