- रेस्क्यू के बाद तेंदुए की जान से खेल गया विभाग, नहीं था ट्रांसपोर्टेशन केज

-7 फीट गहरे, 30 फीट लंबे बरामदे में रातभर जागता रहा तेंदुआ

-दहशतजदा, बीमार तेंदुआ बेयर हाउस के फर्नीचर के पीछे छिपा रहा

akhil.kumar@inext.co.in

Meerut : सर! आपकी बयानबाजी से तेंदुआ मर जाएगा। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद प्रमुख वन संरक्षक मुकेश कुमार से वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) के एक मेंबर ने चीखकर कहा, बाद इसके अफसरों का ध्यान तेंदुए के बजाय टीवी पर इंटरव्यू देने में था। हद दर्जे की लापरवाही देखिए! रेस्क्यू के तीन घंटे बाद तेंदुए को रिवर्जिन नहीं किया जा सका और न ही गंभीर घायल तेंदुए को फ‌र्स्ट एड दिया गया।

नहीं था ट्रांसपोर्टेशन केज

तीन दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वन विभाग अपने रीसोर्सेस से ट्रांसपोर्टेशन केज का बंदोबस्त नहीं कर पाया। बता दें कि ट्रांसपोर्टेशन केज लकड़ी का एक बंद बक्सा होता है, जिसमें कुछ छेद हवा के आने-जाने के लिए होते हैं। वाइल्ड एनीमल रेस्क्यू के बाद तेंदुए को कैंचिंग केज से ही ले जाया गया। हमें फिक्र है उसकी, विभाग को नहीं। रिवर्जिन होने के बाद कहीं सिर पटककर तेंदुआ खुद को घायल न कर ले। आर्मी कैंपस से मेरठ वन प्रभाग और वहां से कानपुर जू तक तेंदुए को कैंचिंग केज से ही ले जाया जाएगा। बेहद शर्मनाक है ये। हेल्दी तेंदुए को अचानक जंगल में छोड़ने के बजाय चिडि़याघर में भेजने के पीछे भी विभाग की मंशा स्पष्ट नहीं हो रही।

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'वो' रातभर जागता रहा

26 घंटे, 7 फीट चौड़े और 30 फीट लंबे बरामदे में गुजारे तेंदुए ने। वेयर हाउस में रखे फर्नीचर के बीच दहशत में तेंदुए ने बड़ा वक्त गुजारा। पुलिस-प्रशासन को जल्दबाजी थी तो डब्ल्यूटीआई की टीम हाथ जोड़कर चुप रहने के लिए कह रही थी। डंडा फटकार रहे अफसरों को तेंदुए की फ्रिक नहीं थी, टीम के एक मेंबर ने खुलासा किया कि 'तेंदुए के साथ जमकर रिस्क लिया गया। उसके साथ गलत हुआ.' चहलकदमी कर अफसर सो गए किंतु तेंदुआ रातभर जागा। दहाड़ के ज्यादा उसकी आवाज में दर्द था। भूखा-प्यासा 26 घंटे वेयर हाउस के बरामदे में कैद तेंदुए को रेस्क्यू करने में हद दर्जे की लापरवाही हुई तो बिना ट्रीटमेंट के उसे ट्रांसपोर्ट किया गया। उसकी हालत खतरे से बाहर नहीं है।

ये ट्रांसपोर्टेशन केज की तरह ही है, बस मामूली अंतर होता है कैंचिंग केज और ट्रांसपोर्टेशन केज में। तेंदुए को वाया आगरा कानपुर के लिए रवाना कर दिया गया। वो रिवर्जिन कर रहा है।

-मुकेश कुमार, चीफ कनजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, मेरठ