इस्लामाबाद (पीटीआई)। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) असद दुर्रानी ने पाक सेना के एक फैसले को अदालत में चुनौती दी है। दरअसल, पाक सेना ने एक विवादित किताब लिखने के मामले में दोषी पाए जाने पर उनके पेंशन और अन्य लाभों पर रोक लगा दी है। पाकिस्तानी सेना के इस फैसले के खिलाफ दुर्रानी ने सोमवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपील की है। दरअसल, दुर्रानी ने यह किताब भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दौलत के साथ मिलकर लिखी थी। उनकी किताब 'द स्पाई क्रानिकल्स : रॉ, आइएसआइ एंड द इलूशन ऑफ पीस' के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठाई गई थी। इस मामले में फरवरी में उन्हें दोषी पाया गया था।

किताब में कई मामलों का जिक्र

दोषी पाए जाने के बाद उनके देश छोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब उन्होंने पाक सेना के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि उनकी किताब किसी भी तरह से सैन्य आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करती है। इसलिए उनके खिलाफ दिया गया फैसला अवैध है। उन्होंने कोर्ट से सेना के फैसले को खारिज करने और पेंशन बहाल करने का अनुरोध किया है। बता दें कि दुर्रानी अगस्त 1990 से मार्च 1992 तक इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आइएसआइ) के प्रमुख रहे हैं। दुर्रानी और दौलत द्वारा लिखी हुई इस किताब में आतंकवाद, 2008 मुंबई हमला, कश्मीर समेत तमाम विवादित विषयों का जिक्र है।

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विवादों में घिरी थी किताब

दुर्रानी की इस किताब को देशभर में विवादों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने इस किताब में दावा किया था कि पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिकी अभियान के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को पूरी जानकारी थी। अलकायदा सरगना को खत्म करने के लिए अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था। इसी के तहत अमेरिका ने साल 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार दिया था। दुर्रानी ने किताब में यह भी बताया कि पाकिस्तान ने भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव के मामले का गलत उपयोग किया था। उन्होंने दावा किया था कि जाधव को आखिरकार भारत को सौंप दिया जाएगा।

 

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