यह थी घटना

भाजपा नेता और पूर्व विधायक समरपाल सिंह पांडव नगर में रहते हैं। सोमवार की सुबह उनको अपने सिसौली स्थित फार्म हाउस पर जाना था। करीब चार बजे वे अपने घर से स्कॉर्पियो में सवार होकर ड्राइवर सरुरपुर निवासी पप्पू और नौकर आकाश के साथ खेती का सामान लेकर फार्म हाउस के लिए निकले थे। गढ़ रोड पर हसनपुर कदीम के पास धुंध के कारण सड़क किनारे खड़े ट्रक में इनकी स्कॉर्पियो जा घुसी। कार की स्पीड बहुत तेज थी जो ट्रक के नीचे जा घुसी।

विधायक की मौत

कार के अंदर बैठे विधायक की मौके पर ही मौत हो गई। किसी तरह पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस के पहुंचने से पहले ही ट्रक भी गायब हो गया। पुलिस ने पहुंचकर गाड़ी के अंदर से समरपाल और ड्राइवर को बाहर निकाला। समरपाल की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। वहीं ड्राइवर पप्पू गंभीर रूप से घायल हो गया। नौकर को कुछ चोटें आईं। दोनों घायलों को होप नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। समरपाल की बॉडी को मोर्चरी भेजा गया। इनकी मौत के बाद मानों राजनीति के क्षेत्र से एक योद्धा चला गया।

मौजूद रहे नेता

पुलिस ने चोटिल आकाश से पूछताछ की और घटना की जानकारी ली। जिसमें उसने बताया कि ड्राइवर को झपकी आ गई थी और धुंध भी थी। ट्रक का पता नहीं चला और गाड़ी उसके नीचे घुस गई। पूर्व विधायक समरपाल की बॉडी को पीएम के बाद अंत्येष्टि के लिए सूरजकुंड लाया गया। जहां सभी राजनीतिक पार्टियों भाजपा, रालोद, बसपा और सपा के नेता मौजूद रहे।

गार्ड ऑफ ऑनर

बॉडी मोर्चरी से सूरजकुंड पहुंची और काफी देर तक  गार्ड ऑफ ऑनर के लिए पुलिस का इंतजार किया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस लाइन पहुंचे। जहां उन्होंने एसएसपी से गार्ड ऑफ ऑनर के लिए काफी देर से इंतजार की बात कही। इसके साथ ही एसएसपी ने तुरंत आरआई लाइन भगवान सिंह से गार्ड ऑफ ऑनर के लिए पुलिस वालों के भेजने के निर्देश दिए। जहां पूर्व विधायक समरपाल को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी।

समरपाल का राजनीतिक सफर

समरपाल ने छात्र अवस्था से ही किसान व छात्रों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। वे सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद किसानों के अधिकारों के लिए लड़े। रालोद में शामिल होकर दो बार बरनावा लोकसभा सीट से विधायक रहे। 2012 में विस चुनाव से पूर्व परिसीमन का गणित बदलने के कारण रालोद छोड़कर वे भाजपा में शामिल हो गए और सिवालखास से विधायक का चुनाव लड़ा। मगर इसमें वे जीत नहीं सके।