- कुलपति ने किया अतिथियों का स्वागत

BAREILLY:

फरवरी 1975 में स्थापित रुहेलखंड यूनिवर्सिटी का 44 वां स्थापना दिवस सैटरडे को धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विशिष्ट अतिथि मंत्री संतोष गंगवार, बरेली के प्रभारी मंत्री बृजेश पाठक, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने, आरयू के कुलपति अनिल शुक्ल, मेयर डॉ। उमेश गौतम ने दीप प्रज्जवलित किया। दीप प्रज्ज्वलन के दौरान सरस्वती वंदना भी होती रही। इसके बाद बंदे मातरम और आरयू का कुलगीत हुआ।

कार्यक्रम में यह रहे मौजूद

कार्यक्रम में आंवला सांसद धमेंद्र कश्यप, भोजीपुरा विधायक बहोरन लाल मौर्य, बिथरी चैनपुर विधायक पप्पू भरतौल, नवाबगंज विधायक केसर सिंह, बहेड़ी विधायक छत्रपाल और भाजपा के जिला अध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर मौजूद रहे।

कार्यक्रम से नदारद दिखे वित्त मंत्री

कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विधानसभा सत्र छोड़ कर लखनऊ से बरेली आए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। वित्त मंत्री के साथ ही भाजपा के महानगर अध्यक्ष और उनकी टीम गृहमंत्री के कार्यक्रम में नदारद दिखे।

कुलपति ने किया स्वागत

सभी अतिथियों का स्वागत आरयू के कुलपति अनिल शुक्ल ने किया। इनका कहना था कि आज की समय में आरयू से 518 महाविद्यालय एफिलिएटेड हैं। वहीं 6 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं।

गुरु से दीक्षा ली जाती है

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अपने उद्बोधन में गुरु की महत्ता के बारे में बताया। इनका कहना था कि गुरु से शिक्षा नहीं दीक्षा ली जाती है। आरयू एक ऐसे ही गुरु के समान है।

समस्याओं से जूझते हैं स्टूडेंट्स

बरेली के प्रभारी मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि स्टूडेंट्स शिक्षा के साथ-साथ अनेक समस्याओं से जूझता हैं। जब वह घर से निकलता है, तो अनके समस्याएं उसके सामने होती है। आरयू के कुलपति अनिल शुक्ल ने बेहतर काम किया है।

नकल रोकने का काम किया

मंच पर अपने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मंत्री संतोष गंगवार का कहना था कि राजनाथ सिंह जी जब पहली बार मंत्री बने तो शिक्षा मंत्री बने थे। जिन्होंने शिक्षा स्तर में सुधार के प्रयास किए थे। नकल रोकने का काम किया था।

कठिन परिस्थितियों में खड़ा रहना ही युवा

कार्यक्रम मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मनुष्य अपने कृतियों के चलते विभुषित होता है। मुझे पहली बार आरयू के किसी कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला है। कुलपति ने जब बताया तो मैं मना नहीं कर सका। लोगों से सीधा संवाद करना मुझे अच्छा लगता है। भारत युवाशक्ति का देश है। कुल आबादी की दो तिहाई जनता 35 वर्ष से कम की है। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के पहले और बाद नेताओं ने युवाओं का आह्वान किया। जिसका नतीजा यह रहा है कि 5 वर्ष बाद देश आजाद हो गया। 1975 में इमरजेंसी के समय लाखों लोग जेल में गए। जिसमें युवाओं की संख्या काफी थी। उस समय मेरी उम्र 23 वर्ष रही होगी। डेढ़ वर्ष खुद जेल में रहा। कठिन परिस्थितियों में खड़ा रहना ही युवा है। मनुष्य के जीवन में ज्ञान ही सबकुछ नहीं है। ज्ञान की भूमिका साकारात्मक और नाकारात्मक भी होती है। संस्कार का अहम भूमिका होती है।