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राजधानी एक्सप्रेस (अप-डाउनन) पास होती हैं इलाहाबाद से

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राजधानी एक्सप्रेस का इलाहाबाद में है स्टॉपेज

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किलोमीटर प्रति घंटा होती है राजधानी की स्पीड

नैनी रेलवे स्टेशन के पास लाइन पार करते समय राजधानी से कटकर चार की मौत

रविवार देर रात नैनी से दशहरा मेला देखकर घर लौटते समय हुआ हादसा

ALLAHABAD: उनमें एक मां थी, एक जेठानी, एक देवरानी और चौथा भाई। सभी खुशी से झूम रहे थे। भाई बहन पांच साल बाद मिलने की खुशी में झूम रहे थे तो बाकी दशहरा मेला की रंगीनियों की मस्ती में थे। घर करीब ही था, बस रेलवे स्टेशन पार करने की देर थी। सामने फुटओवर ब्रिज की सीढि़यां थीं, लेकिन चारों उनपर चढ़ने की बजाय रेलवे लाइन की ओर बढ़ गए। बस इसी एक गलती ने ऐसा कहर ढाया कि चंद पलों बाद ही चारों की खुशियां रेलवे लाइन पर क्षतविक्षत पड़ी थीं। रविवार देर रात नैनी रेलवे स्टेशन पर भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। चारों नैनी का दशहरा देखकर पैदल ही वापस घर लौट रहे थे। हाल ये था कि पुलिस को उनके क्षत विक्षत शव उठाने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। मौत की खबर घर पहुंची तो गांव और परिवार में कोहराम मच गया, सभी रोते-विलखते घटनास्थल की ओर भागे।

ओवरब्रिज की बजाय पटरी पर गए

नैनी थाना क्षेत्र के चाका गांव की बृजकली व सुशीला गौतम जो आपस में देवरानी जेठानी हैं ने दशहरा मेला घुमने का प्रोग्राम बनाया। रविवार को सुशीला अपनी चौदह वर्षीय बेटी शीलू, जेठानी बृजकली व उसके भाई विजय कुमार निवासी लवायनखुर्द के साथ नैनी मेला देखने पहुंची। देर रात तक मेला देखने के बाद करीब तीन बजे चारों पैदल घर की ओर चले। नैनी जंक्शन पर पहुंचे तो ओवरब्रिज पर चढ़ने की बजाय रेलवे लाइन से उस पार जाने लगे। तभी अचानक मिर्जापुर की तरफ से तेज रफ्तार में भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गए। हादसे में सभी के शरीर के कई टुकड़े हो गए। ट्रेन गुजरने के बाद जब लोगों की नजर पटरी पर पड़ी तो क्षतविक्षत लाशें देखकर हंगामा मच गया। लोगों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी। इसके बाद पुलिस और जीआरपी के अधिकारी मौके पर पहुंचे। लाशों की हालत ये थी कि पुलिस को उन्हें गठरी बांध कर ले जाना पड़ा।

पांच साल बाद आया था भाई

विजय कुमार अपनी बहन बृजकली से मिलने करीब पांच साल के बाद आया था। वह दिल्ली में रहकर प्राइवेट काम करता था। दो दिन पहले ही बहन से मिलने पहुंचा तो बहन ने मेला देखने की जिद कर रोक लिया। मेला घुमने का प्रोग्राम बना तो बृजकली के पति अमर बहादुर व देवर राम बहादुर ने मेला जाने से इंकार कर दिया। तब बृजकली, सुशीला, विजय और शीलू मेला देखने निकल गए और देर रात उनके मौत की खबर घर पहुंची।

ट्रेन की चपेट में आने से हादसा हुआ है। सभी दशहरा का मेला देखकर लौट रहे थे। ओवर ब्रिज की बजाय चारों रेलवे लाइन पार कर रहे थे, तभी ट्रेन आ गई चारों उसकी चपेट में आ गए।

-अशोक कुमार दुबे,

इंस्पेक्टर, जीआरपी

दो घरों में नहीं जले चूल्हे

भुवनेश्वर राजधानी की चपेट में आने से दो परिवारों के चार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ गई। तीन एक ही परिवार की महिलाएं थीं तो चौथा इसमें से एक का भाई था। छोटा चाका में तीन लोगों तो लवायन खुर्द में एक की मौत के बाद सोमवार को घर में चूल्हा तक नहीं जला। आसपास के लोग मृतकों के परिजनो को ढांढस बंधाते रहे। मृतका बृजकली और सुशीला देवी के पति उस वक्त को कोस रहे थे जब दोनों ने उन्हें मेला घूमने जाने की इजाजत दी थी। राजधानी की चपेट में आने वाली 58 वर्षीय बृजकली और 45 साल की सुशीला गौतम सगी जेठानी व देवरानी थीं। हादसे में जान गंवाने वाली 14 साल की मासूम शीलू सुशीला की बेटी थी। जबकि इनके साथ मौत का शिकार हुए विजय बहादुर (38) पुत्र राम अभिलाष बृजकली का सगा छोटा भाई था। वह परिवार समेत औद्योगिक क्षेत्र थाना के लवायनखुर्द गांव का रहने वाला था। संयोग इन चारों का ही मेला तक खींच ले गया था। बृजकली का पति अमर बहादुर और सुशीला का पति राम बहादुर घर पर ही थे।

120 की स्पीड में थी ट्रेन

दिल्ली हावड़ा रूट पर कई राजधानी एक्सप्रेस चलती है। इसमें से सिर्फ तीन राजधानियों को इलाहाबाद में स्टॉपेज दिया गया है। इलाहाबाद से छूटने के बाद ये सीधा मुगलसराय में रुकती हैं। भुवनेश्वर राजधानी का इलाहाबाद में स्टॉपेज ही नहीं है। रेलवे सूत्रों के अनुसार इन ट्रेनो की स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है।